पिछली रात की कोई बात? ख़्याल
एक नजर देखूं तो तुम्हें अहसास हो जाए
जमाने को छोड़ो ख़ुद पर विश्वास हो जाए
आज तो कुछ नहीं अभी तक
रब करे कल एक दूजे के खास हो जाए
नादाँ कलम
फ़िर कोई शाम आये फ़िर जुबान पर एक दूसरे का नाम आए
तुम भी चलने का हौसला करना
फ़िर खुशियों वाला पैगाम आए
ख़्वाब पूरे हो ये भी काम करना है
एक और ख़्वाब के लिए फिर मरना है
फ़िर कोई दिन आए फ़िर कोई शाम आए
मुझे भी बेटियों की तरह करना घर का काम आए
रूह का कोना- कोना खंगाल ले
तेरे सिवा कोई नहीं चाहे खुद को निकाल ले
हम तुम किसी शाम मिलेंगे, रेत पर जब मेरे तेरे पाँव मिलेंगे
तस्वीरों में कैद कर लेना उस पल
जब रेत पर साथ लिक्खे हमारे- तुम्हारे नाम मिलेंगे
फ़िर कोई मुलाक़ात हो
फ़िर जिंदगी में हम तुम साथ हो
स्वप्न एक
साथ हमारा तुम्हारा प्यारा हो
मुलाक़ात का सिलसिला दोबारा हो
कुछ हो ना हो जिंदगी में
कभी गाँव तुम्हारे तो कभी खुशनुमा मेरे गाँव का नज़ारा हो
मुकम्मल हो जाए ख़्वाब कभी
एक नाम विचारों में एक महक उसकी बहारों में
कभी याद आएंगे तुम्हें हम
तो कभी याद आएंगें हमें तुम
कुछ समेट लेंगें दर्द अपने
कुछ बाँट लेंगें प्रकृति के नज़ारों में
चमकना तो तुम्हें भी है मन मीत मेरे
जैसे चमकते देखे हैं
ख्वाब चाँद- सितारों में
हमेशा दिल्ली अभिजात्यों
की अमर भूमि रही है,
कर्मठ और जुझारू
संस्कृति के लोगों
और पवित्र मिट्टी
से भरी रही है.
अनेकों बार
लड़ाई लड़ी,
अनेकों बार
बसी-उजड़ी,
सुरक्षित खांडवप्रस्थ
की खंडहर और झाड़ी
प्रमाणस्वरूप आज भी पड़ी है.
कोलाहल भरे
इस महानगर में,
संरक्षित इंद्रप्रस्थ में,
मुगलकालीन शिलाएं
और खंड अवशेष में,
शांत,मौन वनों में,
अनेकों काल खंड की
कथाओं के अवशेष
दफन यहीं हैं.
बेपरवाह वर्तमान दिल्ली
वैश्विक प्रवाह में
अंधाधुंध रेस लगाती,
अब्बल के सपने दिखाती,
विश्व को अपनी मजबूत
संस्कृति और पराक्रम
का एहसास कराती,
राष्ट्रीय आत्मनिर्भर
बनाती खड़ी है.
वैसे दिलवालों की
दिलचस्प दिल्ली को,
जानने के लिए,
दरियादिल होना,
उसको दिल में,
उतारे बिना,
जानने की खीर
सचमुच टेढ़ी है.
Written By Lalan Singh, Posted on 02.06.2022
विश्व के सात आश्चर्यों में से,
एक है टेलीविजन।
घर बैठे ही देख लेते,
पूरे विश्व ब्रह्मांड॥
टेलीविजन है घर-घर में,
जिसे बनाया वेयर्ड ने।
पूरे दुनियाँ में टेलीविजन की,
है यह अद्भुत देन।
याद दिलाती है हमें,
धैर्य व साहस की वीरता।।
दिल खुश हो जाता है,
देख-देखकर।
फिर दिल जाते हैं मन मसोसकर।।
बेयर्ड` का हो गया देहान्त,
जब थी सन् 1926.
तब से उड़ गई चहरे पर से,
लहर हर्ष की।।
वेयर्ड स्कॉटलैण्ड का रहने वाला,
टेलीविजन तैयार करने वाला।
टेलिविजन बनाने में,
उसने किए दिमागें खर्च।
दूर देश की चीजों को,
जन-जन में दिखाने को
टेलीविजन बनाकर उसने,
जग में नाम कमाया।
इस धरा पर जब वो आये,
थी सन् १८८८.
इस धरा पर जहाँ वो आए,
वो थी स्कॉटलैंड की जमीं।
Written By Subhash Kumar Kushwaha, Posted on 12.06.2022हौसला हिम्मत से ले काम,
कर मेहनत सुबह -शाम,
सफलता मिलेगी आज नहीं तो होगा नाम।
मत सुन किसी ओर की खुद पर विश्वास खुद पर ध्यान दें।
सीख कहीं से मिल सकती है सबको सम्मान दे।
बुलंदियों को पार कर जीत का बजे डंका सबका होगा सलाम।।
गिरकर संभल उठकर दौड़ना होगा,
आलस्य, घबराहट को त्यागना होगा,
कई-कई घंटे जागना होगा नींद होगा हराम।।
राधये, फौलाद बाजूंओ में दम भर दे।
शौक फिजूल,फालतू के कम कर दें,
मां के चरणों में सिर धर दे तेरा होगा नाम।।
Written By Vijender Singh Satwal, Posted on 14.11.2022कुछ यूं शुरू हुई
समय की दौड़
अव्वल आने की लग गई होड़
रिश्ते नाते यारी तोड़
दो रोटी के पैसे जोड़
किस्मत लाई किस मोड़
रहते हैं किराए पर,
अपना आशियाना छोड़।
सुनो दिकु!
कभी तुम्हें गम सताये
तो आ जाना
कभी मेरी यादें चिल्लाए
तो आ जाना
कभी दिख जाए परछाई में चेहरा मेरा
कभी याद आये तुम्हारे लिए वो रात का पेहरा मेरा
कभी आखों में नींद ना आये
तो आ जाना
कभी दर्द आखों से मुस्कुराए
तो आ जाना
जानते है बहुत ही साहसी हो तुम
अपने चेहरे की उदासी बखूबी छुपाती हो तुम
कभी यह मुस्कुराहट साथ छोड़ जाए
तो आ जाना
प्रेम आज भी वहीं खड़ा है तुम्हारे इंतज़ार में
कभी तुम्हारा सब्र अपनी सीमा तोड़ जाए
तो आ जाना.
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