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Saturday, 08 July 2023

  1. कटाक्ष
  2. सातों जन्म अब निभाता कौन है
  3. मां के हाथ की रोटी- 3
  4. मुकद्दर के हम ही रखवाले हैं
  5. क्या पूरे है वो लोग?
  6. मेरा विश्वास

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कटाक्ष

22MON04920

Rupendra Gour
~ रूपेन्द्र गौर

आज की पोस्ट: 08 July 2023

मतलब के हैं लोग सब, मतलब का संसार।
रिश्ते  नाते  मतलबी, मतलब  के सब यार।।

अचरज  होता  देखकर, रह जाता हूॅं दंग।
गिरगिट से भी शीघ्रतम, मानव बदले रंग।।

प्रेम मरा करुणा मरी, और मर चुकी लाज।
बहुत बुरा  सा हाल है, मानवता का आज।।

कर्जा  मॉं   के  दूध  का,  ऐसे  रहे  उतार।
बृद्धाश्रम में भेजकर, बनते श्रवण कुमार।।

मोहन तेरे देश में, गिरी  गाय  पर  गाज।
दूध दही नवनीत सब, हुए विषैले आज।।

सभी ओर है आजकल, दारू की भरमार।
दारू  दारू  हो   गए,  हिंदू   के   त्यौहार।।

मंदिर मस्जिद में नहीं, चर्च नहीं गुरुद्वार।
बसते  हैं   परमेश्वर,  इनकी  सीमा  पार।।

थोड़ी  सी  शर्मिंदगी, थोड़ा पश्चाताप।
सबमें होना चाहिए, तर जायेंगे आप।।

Written By Rupendra Gour, Posted on 09.05.2022

आग का दरिया पार करता कौन है
 महबूब को ताजमहल  बनाता कौन है।

सच्ची कहानियां किताबों में दर्ज है
 उम्र भर साथ अब निभाता कौन है।

चंद मुलाकातों में इश्क हवा हो जाता
रात रात भर अब जागता कौन है।

मोहब्बतें अब जिस्म पर खत्म हो जाती
इश्क की रूह को अब छूता कौन है।

वो दौर था इश्क़ का गुजर गया
सातों जन्म अब निभाता कौन है।

Written By Kamal Rathore, Posted on 19.01.2022

साधु - ठीक है भाई सुबह चलते हैं मैं ले चलूंगा देख लेना समझ में आए तो।

सुखवीर - चलो ठीक है सुबह समय से आ जाऊंगा।

साधु - चलो चलते हैं भाई समय हो गया है अब ताऊ प्यारेलाल वहीं मिलेंगे।

साधु - ताऊं राम - राम साधु आ गया ले बालक किसका है।

साधु - बालक नहीं ताऊं ये मेरे से बडा़ है। प्यारेलाल - बडा़ तो होगा लेकिन शरीर से कितना कमजोर है ये यहां क्या कर पायेगा।

साधु - कोई न कोई काम कर लेगा बहुत काम है आपके यहां।

प्यारेलाल - ठीक है कराकर देख ले कुछ कर पाए तो लेकिन ध्यान रहे अगर ये दो - तीन दिन काम कर चला गया एक पैसा नहीं दूंगा।

साधु - ठीक है जाऊं।

साधु - ये काम कर भाई एक बार तो कठिन लगेगा लेकिन धीरे धीरे कर लोगे।

कई कामो पर लगाया लेकिन कोई काम नहीं कर पाया।

साधु - क्या बात दुखी परेशान क्यों हैं भाई।

सुखवीर - नही भाई मेरे से नहीं होगा और मैं नहीं चाहता मेरे कारण आपको सुनना पडे़ इसलिए मैं जा रहा हूं।

साधु - देख लो भाई मर्जी आपकी मैं तो तो यही चाह रहा था कुछ समय में आदत पड़ जाएंगी।थोडा़ समय और देख लेते।

सुखवीर - नही भाई नहीं होगा मैं जा रहा हूं।

साधु - ठीक है भिर जाओ।

प्यारेलाल - क्या हुआ साधु कहा गया वो।

साधु - घर गया वो जाऊं।

प्यारेलाल - मै तो पहले ही कह रहा था बाकी मैं तेरी काबिलियत के आगे कुछ न कह सका।चलो ठीक है कितने दिन काम किया उसने।

साधु - दो दिन किया ताऊं।

प्यारेलाल - घर जाएं मेरे से उसके पैसे ले जाना।मैं नहीं चाहता किसी गरीब की मेहनत का मैं खाऊं।

साधु - कितना बडा़ दिल है ताऊं आपका।

प्यारेलाल - रहने दे ऐसा कुछ नहीं मैं तुम लोगों की बदौलत हूं तुम नहीं मैं कुछ नहीं।

साधु - वाह ताऊं कितनी बढ़ीं बात कह दी आपने यही बड़प्पन है आपका।

प्यारेलाल - अच्छा साधु ये बता तेरे को कोई दिक्कत परेशानी तो नहीं।

साधु - नही ताऊं आपकी छत्रछाया में किसी को क्या दिक्कत हो सकती है। होगी भी तो आपकी बातों से सब दूर हो जाती है।

प्यारेलाल - कल सुबह नांका वाले 200बीगा ज़मीन को जोतना चालू कर देना।एक बात और मैं चाहता हूं कोई तेरे कैसा ट्रैक्टर चलाने वाला मिल जाए तो देख दोनो ट्रैक्टर चलेंगे तभी काम काबू में आएगा।

साधु - कौशिश करूंगा कोई मिल जाए ताऊं बाकी आप परेशान मत होना मैं दिन - रात काम कर पूरा कर दूंगा।

प्यारेलाल - वो तो मेरे को विश्वास है मिल भी देख लो कोई मिल जाए ंं

साधु - ठीक है ताऊं।

साधु - काम तो बहोत है ताऊं ठीक कह रहा है लेकिन ऐसे काम के वक्त कोई मिलना तो भी मुश्किल है चलों जो होगा अच्छा होगा दिन - रात मेहनत करूंगा।

प्रभाती - साधु की मां सुनती हो।कहा हो तुम।

मूर्ति - यही हूं साधु के बाबू क्या कह रहे थे।

प्रभाती - मै ये कह रहा था अब तो बेटा कमाने लगा सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है भई मैं तो गंगा नहा लिया ऐसा बेटा भगवान सबको दे। प्यारेलाल भी बहुत बढा़ई कर रहा था।गांव में रूक्का गिरवा दिया हमारे साधु ने देख सच कितना मेहनती हैं हमारा बेटा।प्यारे कह रहा था इसको सर्दियों में अच्छी खुराक दूंगा।गात ओर गाल जाएगा।

भई मैंने तो कह दिया तू जाने तेरा काम जानें अब बेटा तुम्हारा ही है।

मूर्ति - क्या कहा प्यारे ने कहना क्या था यही कहा हां बेटा तो हमारा ही तू इसकी चिंता मत कर अब।

प्रभाती - बात ये है कि अब तो रिश्ते वाले भी आने लगे हैं।मैं सोच रहा था एक बेटे एक बेटी को निमटा ही दूं अब के दाने निकलने के बाद।क्या सलाह है तुम्हारी।

मूर्ति - मै तो कहती हूं थोडा़ एक दो बरस रूक जाते अभी बच्चे हैं।

प्रभाती - अभी कोश - सा पक्का हो गया बात चली है। देखते हैं आचार - विचार मिलता है या नहीं।और भिर रिश्ता होने के बाद शादी एक साथ नहीं करेंगे हम कुछ वक्त यानि साल - दो साल का वक्त ले लेंगे।

मूर्ति - भिर तो ठीक है जी देख लेना। वैसे कौन कह रहा था।

प्रभाती - साधु की तो भाई ईशर ही कह रहा है।कह रहा था मेरी ससुराल में है अच्छा काम है लड़की देखी हुई भी बस आप कहो तो आगे बात बढ़ाएं यही कह रहा था।

मूर्ति - जब देवर ही कह रहा तो थोड़ी ग़लत होगा।देख लो विचार विमर्श कर मां - बाबूजी से।।

प्रभाती - तुम ठीक कह रही हो देखते हैं बात कर आगे।।

ईशर - भाई राम राम भाई आज ससूराल जा रहा हूं कुछ रिश्ते वाली बात बढाऊं आगे।

प्रभाती - उसी बात को लेकर मैं तेरी भाभी से कहा रहा था।मिल भाभी क्या कह रही है वो तो कह रही है।

ईशर - क्यो नहीं भाभी बहूं आ जाएगी काम करने के लिए।

मूर्ति - हां ठीक है जो तुम ठीक समझो कर लो।अब दोनों भाई कहा मेरी सुनोगे(।मजाक करते हुए....)

ईशर - ठीक है भाई मैं चलता हूं भिर राम राम।

प्रभाती - रूको.... आवाज़ देते हुए..वेसे काम - धंधा क्या है। परिवार कैसा है।मैं तो मान गया लेकिन बाबू को भी सब बताना है वो तेरो को पता है सब बातों की छानबीन करते हैं।

ईशर - एकदम बढ़िया काम है। दो ही बच्चे हैं। एक लड़का और एक लड़की। पिता जी फौज में काम करते हैं। जोतने लायक़ एक दो बीघा जमीन भी है। अच्छा खासा परिवार मे किसी प्रकार की चिंता करने की कोई बात नहीं है।

प्रभाती - चल ठीक है फिर मैं बाबू से बात करके सलाह - मुसहरा करके बता देता हूं।

ईशर - अब जाऊं

प्रभाती - हां भाई जाओ।मन में..चलो ये भी घर बैठे अच्छा काम हुआ ना तो जूतियां रगड़ मर जाते हैं रिश्ते नहीं होते।औलाद के मामले में सच में भाग्यशाली हूं। भगवान सब का कल्याण करें जय हो प्रभु जय हो आपकी।

प्रभाती - मै तो यही सोचता हूं अभी अकेले साधु की ही शादी करता बाकियों की बाद में ही देखूंगा।हां यही ठीक रहेगा।

ईशर - कहां है जी आप लोग दरवाजे पर आवाज़..

हीरालाल - हां जी आ जाओ राम राम सुबह - सुबह दर्शन दिए कोई खास वजह।

ईशर - हां जी है आपकी बिटिया है और मेरा भतीजा है मैं चाह रहा था आपको कोई ऐतराज न हो तो बात आगे बढ़ाते।

हीरालाल - ऐतराज की कोई बात नहीं है हां मैं एक बार लड़के को देखूंगा ज़रूर। मेरी लड़की मैंने नाजों से पली है वो इस लायक है भी या नहीं।

ईशर - हां आप किसी दिन आ जाईए देख लीजिए कोई दिक्कत नहीं है।चाहो तो आज ही चलों मेरे साथ।

हीरालाल - नही आज नहीं मैं रोज बाद आऊंगा मैं शहर जाऊंगा सामान लेने क्योंकि मेरी पांच छुट्टी बचीं है। कोई नहीं आप चलो मैं आ जाऊंगा।

Written By Vijender Singh Satwal, Posted on 29.10.2022

मुकद्दर के तो अपने एक हम ही रखवाले हैं
अपनों ने तो जमकर कई जख़्म उछाले हैं

बेशक होते होंगे बेटे घरों का चिराग
बेटियों से होते घर-घर में उजाले हैं

बौखलाये हैं जिन्होंने लूटा जहां को
मूक हैं शरीफ जुबां पे ताले हैं

इन्सां हैं मामूली बस नहीं चलता कहीं
कुछ काम हमने उस खुदा पे टाले हैं

पैमाना लिए झूमते अय्याश लुटेरों
मैकदों में कहीं लगते गमों को ताले हैं

कोशिशें जालिमों की बेकार ही रहेंगी
नेकियों से आज भी खुद को संभाले हैं

रास न आती हमें रौनके महफ़िल
हम अपनी ही गजलों में झूमते मतवाले हैं

कुछ तो उसूल होंगे कलमकारों के
चोरों ने भी यहां कैसे मोर्चे संभाले हैं

Written By Uma Patni, Posted on 08.07.2023

पूरे है वो लोग क्या ?
जो अधूरी सी बातें करते हैं
समझदार है वो लोग क्या ?
जो समझदार होने के
बावजूद भी नासमझी सी करते हैं।
शिक्षित है वो लोग क्या?
जो अशिक्षितओं की तरह
व्यवहार करते हैं।
कामयाब है वो लोग क्या ?
जो दूसरों की कामयाबी पर
तर्क-वितर्क करते हैं।
उच्च पद के अधिकारी हैं
क्या वो लोग क्या ?
जो दूसरों की काबिलियत को
नकारा करते हैं।
अपने है वो लोग क्या?
जो पराये लोगों की तरह
व्यवहार करते हैं।

Written By Rajiv Dogra, Posted on 08.07.2023

मेरा विश्वास

SWARACHIT5059

Prem Thakker
~ प्रेम ठक्कर

आज की पोस्ट: 08 July 2023

सुनो दिकू!
में जानता हूँ
कि तुम बेवजह
मुजे छोड़कर नही गयी
कुछ मजबूरियाँ
तो तुम्हारी भी रही होगी
जिस दिन दूर हुई मुझसे तुम
उस दिन तुम्हारी आँखें भी
बारिश की तरह रोयी होंगी

Written By Prem Thakker, Posted on 08.07.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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