हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Wednesday, 21 June 2023

  1. डेली डोज
  2. आओ करें नित योग हम
  3. जिंदगी गुज़रे जा रही है
  4. मुझे प्रीत है वतन से
  5. जा बैठ उस एकांत में

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डेली डोज

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Vivek Kumar
~ विवेक कुमार

आज की पोस्ट: 21 June 2023

30 मिनट का डेली डोज,
भगाए हमारे सारे रोग।
योग का हमें मिला वरदान,
क्यूं न करें इसका निदान,
सूर्य नमस्कार का करें प्रयोग,
तन-मन स्वस्थ हेतु करें उपयोग,
योग से जीवन होता निरोग,
यही है एक सुंदर संयोग,
शरीर को रखता चुस्त दुरुस्त, 
बीमारी को जड़ से करता पस्त,
योग करें, भाई योग करें,
दूर सभी हम रोग करें,
आलस दूर भागता है,
तन स्वस्थ सुखी बनाता है,
चलो आज एक जन संदेश फैलाए,
बिजी लाइफ से कुछ समय बचाएं,
करें 30 मिनट का नित्य डेली डोज,
पास न फटकेगा कोई रोग,
जिसका आज शरीर है निरोग,
वही सुखी, ये जान ले लोग।
योग करें भाई योग करें,
दूर सभी हम रोग करें।।

Written By Vivek Kumar, Posted on 20.06.2023

रहे सदा तन-मन प्रफुल्लित,
     आओ नित करें योग हम  ।
रहता सदा सुडौल बदन,
      दिखाये  न ब्लडप्रेशर दम  ।।
वात-पित्त  कफ़ रहे दूर,
         करें जब नित प्राणायाम  ।
रहे सदा निरोगी काया, 
           दौडें जब-जब अविराम  ।।
 रहते दूर व्याधि -विकार,
           करते मन से जब योगा  ।
छट जाती नीरसता सारी,
         हौंसला बज्रासन सा होगा  ।। 
योग  अद्वितीय -अनुपम                                                                                    
           करता स्वास्थ्य का वादा  ।
बिना मूल्य हरता संताप,
           सहज सरल और ज्यादा  ।।
योग  से पाई  जाती  है,
           सफलता हर वियोग पर  ।
आज विश्व वंदन करता,
            मानव हितकारी प्रयोग पर।।

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 21.06.2023

सोचने में चिंता में हर घड़ी बीती जा रही है
पता न चला बस जिंदगी गुज़रे जा रहीं है

सोचता हूं देखता हूं हर रोज नजारा
शायद वक्त बदले कभी हमारा
इसी उम्मीद इसी आशा में जिंदगी बीती जा रही है।।

कौशिक नाकाम हुई पर हारा नहीं
रूके कदम हमको गंवारा नहीं
पर वो संवारा नहीं धडी़ चली जा रही है।।

सांसों की डोर जब तक हिम्मत है
वक्त की सच में न कोई कीमत है
बस गए वो हमे तो बस लूटे जा रही है।।

राधये,सुन ले मेरी भी इसी आश में है
सुख का वो पल मिलें उसकी तलाश में हैं
पतझड़-सा जीवन बहार गुजरे जा रही है।।

Written By Vijender Singh Satwal, Posted on 23.10.2022

मुझे प्रीत है वतन से, मेरी जान है तिरंगा
करूँ प्राण तुझको अर्पित, मेरी शान है तिरंगा
मुझे प्रीत है वतन से…..

मेरी शा’इरी में तू है, मेरे शेर हैं सुहाने
सदा गाऊँ मैं जहाँ में, तेरे प्यार के तराने
मेरे गीत मुझसे बोलें, तेरी आन है तिरंगा
करूँ प्राण तुझको अर्पित, मेरी शान है तिरंगा
मुझे प्रीत है वतन से…..

मुझे दे खुदा तू ताकत, करूँ मुल्क की हिफ़ाज़त
रहूं मैं रहूं न चाहे, रहे देश ये सलामत
कहे रोम-रोम मेरा, तेरी जान है तिरंगा
करूँ प्राण तुझको अर्पित, मेरी शान है तिरंगा
मुझे प्रीत है वतन से…..

मेरे दिल में तू ही तू है, फ़क़त तेरी बन्दगी है
मरुँ मैं लिए तिरंगा, ये हसरत-ए-ज़िन्दगी है
मिले शान से शहादत, ये अरमान है तिरंगा
करूँ प्राण तुझको अर्पित, मेरी शान है तिरंगा
मुझे प्रीत है वतन से…..

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 27.02.2023

जा बैठ उस एकांत में

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Suraj Mahato
~ सूरज महतो

आज की पोस्ट: 21 June 2023

किस दुनियां में खोया है तू मुसाफिर,
कभी निकाल वक्त तू खुद के लिए भी।
जा बैठ उस एकांत में
और खुद से दो बातें कर
कुछ बातें हवाओ से कर
दो लफ्ज़ उन घटाओं से कर
दुनिया की भीड़ से दूर होकर
कभी बैठ तू तन्हाई में।
थोड़ा प्यार इस तन्हाई से भी कर
जरा प्रेम तू अपने आप से भी कर
कुछ पल के लिए भूल जा इस दुनिया को
भूल जा तू हर दुःख गम को
और सिर्फ और सिर्फ
तू खुद से प्रेम कर।

Written By Suraj Mahato, Posted on 21.06.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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