हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Wednesday, 27 September 2023

  1. पतन
  2. चिंता नहीं अजस्त्र चिंतन करें
  3. जलियावाला बाग हत्याकाण्ड
  4. गार्ड साहब
  5. लोकतंत्र की पीठ
  6. प्रश्न ही प्रश्न

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पतन

23SAT07702

Mahavir Uttaranchali
~ महावीर उत्तरांचली

आज की पोस्ट: 27 September 2023

मानव को अनेक चिन्तायें
चिन्ताओं के अनेक कारण
कारणों के नाना प्रकार
प्रकारों के विविध स्वरुप
स्वरूपों की असंख्य परिभाषायें
परिभाषाओं के महाशब्दजाल
शब्दजालों के घुमावदार अर्थ
प्रतिदिन अर्थों के होते अनर्थ
खण्ड-खण्ड खंडित विश्वास
मानो समग्र नैतिकता बनी परिहास
बुद्धिजीवी चिन्तित हैं
जीविकोपार्जन को लेकर!
क्या करेंगे जीवन मूल्यों को ढोकर?
व्यर्थ है घर में रखकर कलेश
क्या करेंगे मूल्यों के धर अवशेष?

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 10.03.2023

चिंता न करें हमेशा चिंतन कीजिए,
समस्या जो है उसका मंथन कीजिए,,
देखिए एक दिन हर मिल जाएगा।
कर्म करते रहिए एक दिन फल मिल जाएगा।।

मत रह परेशान,मत भटकाओ ध्यान।
हौसला, हिम्मत से ही मिलेगा ज्ञान।।
चमक होगी चेहरे पर समय बदल जाएगा...

निरन्तर प्रयास से, लगातार प्रयास से,,
बढ़ती प्यास से, तेरी तलाश से,,

देख लेना पहाड़-सा वक्त भी हिल जाएगा...

कर्म का सौदा,कभी खरा कभी खौटा,,
एक दिन देख भर जाएगा तेरा लौटा,,

सुबह का निकला सूरज शाम ढ़ल जाएगा....

राधये, अच्छी नीयती, अच्छी संगति रहिए,,
हर पल हर घड़ी उस मालिक को शुक्रिया कहिए,,

वो साथ है तू खुद ब, खुद संभल जाएग.

Written By Vijender Singh Satwal, Posted on 21.03.2023

वह पंजाब प्रान्त का अमृतसर,
वही जगह मुकर्रर थी.
जलियावाला था नाम उसका,
और उसकी मिट्टी सोधी थी.

दिन 13 अप्रैल 1919 का था,
एक सभा हो रही थी.
सब मिलकर विचार मे डूबे थे,
और ये भारत माता रो रही थी.

वीरो ने भारत की आजादी का,
था मिलकर दृढ संकल्प लिया.
उसी समय उस डायर ने था,
मुख्य द्वार फौज से घेर लिया.

जब तक कुछ वीर समझ पाते,
आदेश दिया उस डायर ने.
लाखों वीरो को भून दिया,
था गोली से उस कायर ने.

इस घटना ने सम्पूर्ण देश के,
था वीरों को हिला दिया.
इक छोटे से भगत सिंह को,
अन्दर से झकझोर दिया.

भरा इस मिट्टी को शीशी में,
मस्तक की शान बढाने को.
और कठिन प्रण ठान दिया,
गोरो को भारत से मिटाने को.

है धन्य धन्य वह वीर भूमि,
जिसने ज्वाला को बढाया है.
मै नमन करूं उन वीरों को,
उस धरती को शीष नवाया है.

Written By Shivang Mishra, Posted on 13.04.2023

गार्ड साहब

SWARACHIT6136

Jagdish Sharma
~ जगदीश शर्मा 'सहज'

आज की पोस्ट: 27 September 2023

गार्ड साहब मालगाड़ी के पीछे
सीटी बजाते हुए।
हाथ में झण्डी, कर्तव्य की भावना
चौकसी से जागना।
अंतिम बोगी, श्वेत रंग की वर्दी
गर्मी, वर्षा या सर्दी।

हाथ में टॉर्च, हिसाब की डायरी
डगमगाती बोगी।
एकांत पल, रेगिस्तान, जंगल
रेल का कोलाहल।
सरिया, खाद, कोयला लदा हुआ
पीछे का काला धुँआ।

अंतिम डिब्बा मालगाड़ी की चाल
पटरियों का जाल।
दर-ब-दर
विशाल रास्तों पर, रात-दिन सफर।
अकेलापन हावी होता ही नहीं
गार्ड साहब पर।

Written By Jagdish Sharma, Posted on 27.09.2023

लोकतंत्र की पीठ

SWARACHIT6137

Hareram Singh
~ डॉ. हरेराम सिंह

आज की पोस्ट: 27 September 2023

व्यापारी की अपनी भाषा होती है
वह जानता है तोल-मोल की भाषा
और यह भी कि कैसे पैसे को देख
खिलती हैं आँखें लोगों की
गुदगुदी होती है उनकी देह में
कि बुखार से पीड़ित आदमी भी बोल उठता है
इसलिए संकेतों में
और कभी-कभी मुँह-खोल भी
वह भाव कर ही लेता है
एक चतुर राजनेता की भाँति
इसलिए इन दिनों
व्यापारी और राजनेता में फर्क करना
मुश्किल हो गया है
इसलिए 'वोट' की खरीद-फरोख्त
जोरो पर है
और जिसके पास मनी-पॉवर है
वह चुनाव जीत जा रहा है
कुछ लोग इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं
जो हैं प्रोग्रेसिव
और व्यापारी मंद-मंद मुस्कुरा रहा है
जैसे कह रहा हो-
"तुम ही जान रहे हो लोकतंत्र को या मैं भी?"
और लोकतंत्र बेचारा बन
व्यापारी से हारकर रो रहा है
बच्चे की तरह
और व्यापारी उसकी पीठ सहला रहा है
"मैं हूँ न बड़ा कलेजा वाला, तुझे कुछ नहीं होने दूँगा।"
और जनता उसके इस आश्वासन से आश्वस्त
पैसे के प्रभाव बीच
मजबूर है
यह कहने को कि यही सही हैं,
ये हैं तो देश सुरक्षित है
दूसरे होते तो अबतक
बेच दिए होते मुल्क
और हमसभी हंटर खा रहे होते
और हमारी चमड़ी उधड़ रही होती!

Written By Hareram Singh, Posted on 27.09.2023

प्रश्न ही प्रश्न

SWARACHIT6138

Anup Kumar
~ अनुप कुमार

आज की पोस्ट: 27 September 2023

प्रश्न है, प्रश्न है,
हर तरफ बस प्रश्न है।
जवाब क्या, पता किसे
ये भी एक प्रश्न है।

प्रश्न की इस दुनिया मे
हर एक के पास प्रश्न है।
हल नहीं, उत्तर नहीं
सिर्फ-सिर्फ प्रश्न है।

जो उत्तर देना चाहते,
सुनता नहीं उन्हें कोई;
ये प्रश्न बैसे प्रश्न है,
उत्तर; के लिए बना नहीं।

ये प्रश्न कदाचार का,
भ्रष्टाचार, अत्याचार का,
लिप्त है, इसमें सभी;
उत्तर भला, क्यों हो इसका।

प्रजातन्त्र में लगाम का
प्रश्न एक हथियार है।
उपचार साथ मिल जाये
गर उत्तर भी इसके साथ है।

हथियार ये लगाम की
है, मारने की बन गई,
प्रश्न के जंजाल में,
अराजक स्थिति बन गई।

जवाब की है क्या पड़ी,
उत्तर भला क्यों चाहिए?
घेर के सवालों में,
आनंद लूट लीजिये।।

Written By Anup Kumar, Posted on 27.09.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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