रिमझिम-रिमझिम बरसे बदरा,
मदमस्त कोयलिया गाए मल्हार।
ओढ़ली धरा ने धानी चुनरिया,
आया राखी का पावन त्यौहार।।
राखी,चंदन,श्रीफ़ल,हल्दी,रोरी
औऱ सजाया थाल मिष्ठान से।
बांधू तुम्हे प्रीत की डोर भैय्या,
युगों-युगों तक,दुआ भगवान से।।
ऱखना सदा नेह निश्छलता भरा,
देना हरदम पिता-सा साथ मुझे।
रहे सुशोभित धागे रेशम के,
छू ना पाए दुश्मन के हाथ तुझे।।
सकल विश्व में सबसे अनमोल,
होता भाई-बहिन का रिश्ता है।
बहिने होती सु-भाग्य भैय्या का,
कहलाये भाऊ भी फरिश्ता है।।
रक्षासूत्र की ऱखना है लाज,
वस यही तुमसे उपहार चाहूं।
हर जन्म तुम्ही हो भैय्या मेरे,
शत-शत ईश में शीश झुकाउं।।
करते हैं हम करबद्ध विनय,
रहें खुशियां दामन में भरपूर।
न्याय-धर्म के प्रहरी बनके तुम,
चमकना चमके ज्यों कोहिनूर।।
मुझे भी भारत का नाम चमकाना है
चंद्रयान 3 बनकर मुझे चंद्रमा पर जाना है
जो भी खार खाते हैं हमसे पड़ोसी मुल्ख
उनकी छाती पर मूंग दल कर आना है
अमेरिका और चीन जहां जा पहुंचे हैं
तिरंगा भारत का वहां भी फ़हराना है
भारत भी अब किसी से कम नहीं
पूरे विश्व को यही समझाना है
डरते हम नहीं किसी से
न ही किसी को हमने धमकाना है
पर जो आंख उठा कर देखेगा
उसकी आंख को नीचा करके आना है
जलते हैं जो हमसे उनको और जलाना है
कम नहीं किसी से हम ठोकर पे हमारी ज़माना है
हमसे मुकाबला क्या कर पाओगे तुम
कुछ नहीं बचा तेरे पास तो खाली खज़ाना है
लिख देंगे चांद पर हम एक नई कहानी
बनेगा इक दिन यह अफसाना है
अलग अलग जात पात मज़हब हैं हमारे
पहले हम हिंदुस्तानी सब को यह बताना है
Written By Ravinder Kumar Sharma, Posted on 30.08.2023शंकर ओ शिव शंकर,
गंगाधर तो महेश्वर,
सबके दुखड़ा को तू हर
मानव तुझे पूजे,
दानव तुझे पूजे,
तुझे पूजे हैं सब ईश्वर
भोला भंडारी है तू,
अवघडदानी है तू,
तू ही तो है नागेश्वर
देवों को दिया तूने,
दानव को दिया,
तूने दिया है सबको वर.
Written By Bharatlal Gautam, Posted on 27.08.2023हरियाला सावन आया रे
संगअपने खुशियां लाया रे
देख प्रकृति की छटा निराली
तन-मन मेरा हर्षाया रे
हरियाला सावन आया रे।
बागों में देखो पड़ गए झूले
गाएं सखियां खुशी से झूमें
देख उन्हें मन मेरा ललचाया रे
हरियाला सावन आया रे।
धरती ने ओढ़ी धानी चूनर
अम्बर ने अमृत बरसाया रे
हरियाला सावन आया रे।
हाथों में मेहंदी बालों में गजरा
पैरों में महावर सजाया रे
शिव भोले का पूजन कर
अखंड सौभाग्य सुख पाया रे
हरियाला सावन आया रे।
रखो हौसला, रखो हिम्मत हारने से पहले मत हारो तुम।
परिस्थिति बदलना मुमकिन न हो तो खुद को बदल डालो तुम।।
कर मेहनत लगातार, कर एक और प्रयास,
कामयाब होगा एक दिन इतना रख विश्वास,
बिखरो न खुद को हर परिस्थिति में संभालो।।
औरों से उम्मीद छोड़ खुद की पहचान कर,
धीरज रख गुस्से में किसी का न अपमान कर,
सब का सम्मान कर गले सबको लगा लो।।
तेरी कामयाबी का डंका बजेगा चारों ओर,
खुशी का माहौल,अलग ही होगा उस दिन शौर,
जिंदा है जिंदादिली की आदत डाल लो।।
कहते है,
दीवारों के भी कान होते है।
मैं कहता हूँ!
कान ही नही,
दिलोदिमाग भी होते है।
वो बोलती नही है।
लेकिन चुपचाप से,
हर आने -जाने,
वालों को,
देखती रहती है।
टटोलती रहती है।
कौन अपना है?
कौन वेगाना है?
वह देखती है!
कौन दीवारों से,
वफादारी कर रहा है।
कौन दीवारों से दगा कर,
सिर्फ वक्त गुजार रहा है।
कौन अधिकार जता,
दीवारें उठा रहा है।
कौन कर्तव्य की राह में,
दीवारें सजा रहा है।
कौन झूठ ओढ़े,
रोज ढ़ोग करता है।
कौन सच के लिए,
सब से लड़ता है।
कौन अपने लिए,
चुरा रहा है।
कौन सब को मिल जायें।
यह सोच कर बचा रहा है।
वो देखती है!
करनेवाले को तो,
सुनाया जा रहा है।
जो नही करते,
उनके लिए,
पकवान बना कर,
छुपाया जा रहा है।
वो देखती है!
रिश्तों की हकीकतें,
सम्बन्धों को,
कानों ही कानों में,
मरोड़ा जा रहा है।
वो देखती है!
फर्ज पर,
इल्ज़ाम लगाया जा रहा है।
किस का चोरी से,
गुनगान गाया जा रहा है।
कौन!
रो- रो के मुकर जाता है।
कौन!
सच के साथ बिखर जाता है।
दीवारें प्यार को पहचानती है।
कौन दीवारों से जुड़ा बैठा है।
कौन दीवारों को तोड़ने बैठा है।
लोग बदल जाते है।
कई आते और कई जाते है।
लेकिन सब,
दीवारों पर लिखे जाते है।
दीवारें हर एक की,
कहानी वयान करती है।
यह सिर्फ सुनती ही नही।
दिलोदिमाग में हर लम्हा बुनती है।
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