हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Friday, 11 August 2023

  1. एक औरत
  2. काश! मुझे एक बहना होती
  3. इम्तिहान अभी बाकी है
  4. आया है सावन
  5. शब्द
  6. हमारे कपड़े

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एक औरत

22SUN05195

Khem Chand
~ खेम चन्द (मन्त्री भाई)

आज की पोस्ट: 11 August 2023

एक औरत होना भी कितना मुश्क़िल है ना
ना जाने कितने दर्द समेट के निकलती होगी वो घर से
शादी के बाद भी जीती है वो डर- डर के
समझने वालों ने सूखी आँखों का दर्द समझा है
मुस्कुराहट के पीछे का दर्द समझा है


पर कभी- कभी जीवनसाथी भी नहीं समझ पाए हैं
उस दर्द को उसकी तकलीफ़ों को
जो हर पल साए के जैसे साथ रहता है
क्यूँ नहीं समझना चाहते हो तुम उसे?
तुम्हें क्यूँ नहीं जानना है उसके घटते प्रेम को?


तुम्हें यही लगता है क्या?
बच्चे हो गए हैं
परिवार को वारिस मिल गया
मुझे बुढ़ापे का सहारा मिल गया
दादा- दादी को वंश का तारा मिल गया
अब मुझे उसके साथ की कोई ज़रूरत नहीं
बस तुम्हें तो वो तब प्यारी लगती है
जब तुम्हें आलिंगन में आना हो
फ़िर उसके बाद फ़िर दूर हो जाते हो


कुछ दिनों के लिए फ़िर से उसे अकेला
तन्हा और रोता बिलखता छोड़कर
उसका काम तो यही है ना
चूल्हा जलाए परिवार के लिए खाना बनाए
वो पूरा परिवार देखती है घर- खेती सम्भालती है
पर उसके मौन को कोई साथ देता नहीं
कोई उस मौन और उसके आँसुओं को पौछना नहीं चाहता


सुबह उठकर हर कार्य में हाथ बांटती
फ़िर भी क्यूँ है सास बहू को ही डाँटती
कैसी बनाई है ये रीत प्रभु
उसपर से दुःखों, अकेलेपन की चादर क्यूँ नहीं छटंति?


तुम्हारी छोटी सी खाँसी पे मर्ज़ के लिए
रात- रात भर जागने वाली पत्नी
तुम्हें उसके
मासिक धर्म के दिनों में उसके टूटते शरीर को सम्भालते क्यूँ नहीं
और कितना है तुम्हें अर्धांगिनी को तड़पाना
मकसद कुछ भी हो नादान कलम का
ज़रूरी है समाज और गलत सोच वालों को जगाना
 

Written By Khem Chand, Posted on 04.06.2022

कोई एक अभागा भाई,

किया करते हैं हरदम -

अपने से अपने ही मन में,

अनेकानेक प्रश्नें।

काश! मुझे एक बहना होती,

साथ मिलकर पढ़ा तो करते।

रक्षाबन्धन के त्योहार पर उससे,

पहले राखी हम बंधवाते।

फिर,

उनकी प्यारी कोमल हाथो से,

अपनी सुनी मस्तक पर,

चन्दन का हम लेप लगवाते।

और,

उसकी प्यारी हाथों से,

मिठाइयाँ हम बड़े शौक से खाते।

जब भी आता राखी का त्योहार,

दिल दर्द से भरा रहता है।

फिर,

बार-बार यही बातें दिल में,

सदा सर्वदा गदगदाते रहता।

जब भी राखी का त्योहार है आता,

नैन पलकें बिछाए रहता।

हाल फैलाए आहें भरता।।

दूसरों को आनंदित देख-देख कर,

अंसुअन की धार बहाए जाता।

मन ही मन गुदगुदाए जाता,

काश! मुझे एक बहना होती,

सुनी कलाई पर राखी तो बंधवाते।

जब-जब अकेले में हम रहते,

बहना ना होने का अहसास हो आते।

और-

अंसुअन की धार बह ही जाते।।

और मन ही मन प्रकृति से,

अनेकानेक प्रश्नें हम करते रहते।

इस यतीन को क्यों लाए जहां में,

निरूत्तर क्यों हो रहे प्रकृति।

क्या खता हुई थी हमसे,

यही सवाल गुदगुदाते रहता।

जब भी राखी का त्योहार है आता,

नैन पलकें बिछाए रहता।

Written By Subhash Kumar Kushwaha, Posted on 15.06.2022

संभला हूं मैं गिरकर,
जीया हूं मैं मरकर,
फिर भी जान अभी बाकी है।
शायद इम्तिहान अभी बाकी है।।

ताकतें रहते थे प्यासी निगाहों से,
जानें कितने गुजरते थे इन राहों से,
बेचैन था, परेशान था सुलझ न पाई उलझन अभी बाकी है।

बड़ी मुश्किलों, बाधाओं से गुज़रा हूं,
ठुकराया गया नादान -सा भंवरा हूं
मेहनत कश कमेरा हूं देख जरा निशान अभी बाकी है।

कितना चाहा,किस-किस से न मांगा,
मर्यादाओं में बंधकर रहा मर्यादा को न लांगा,
कच्चा था वो धागा फूल पिरोते टूट गया लेकिन चमन अभी बाकी है।

माना संसार का व्यवहार बडा़ तीखा है,
हमने भी हारकर जीतना सीखा है,
आज फिर एक मौका है मिला सबक पहचान अभी बाकी है।

रूत बदली,मौसम बदला बहार का इंतजार है,
इतना निर्दई नहीं तू इतना तो ऐतबार है,,
राधये, बरसता उसका प्यार है वो भगवान अभी बाकी है।।/p> Written By Vijender Singh Satwal, Posted on 25.02.2023

आया है सावन

SWARACHIT6050

Neeta Bisht
~ नीता बिष्ट (जौनपुरी)

आज की पोस्ट: 11 August 2023

ये बादलों का गरजना,
तेज बारिश का बरसना,
देखो आया है सावन का महीना।।

चारो तरफ घना कोहरा,
चिड़ियों का चहचहाना,
यही है सावन का महीना।।

हरे भरे पेड़ पौधे,
देख कर मेरे मन को रौंदे,
शब्द ही नही है आगे क्या बोले।।

देखकर खेतो की सुंदर हरियाली,
किसानों के घर की जो खुशहाली,
यही तो है सावन की कहानी।।

प्रकृति का मनमोहक दृश्य है सावन,
कहते हैं ये महीना है बहुत ही पावन,
यही तो है सावन।।

आओ कभी पहाड़ों में करने भ्रमण,
सूक्ष्म शब्दों मैं ही कर पाई वर्णन,
देखो आया है सावन।।

Written By Neeta Bisht, Posted on 11.08.2023

शब्द

SWARACHIT6049

Hariprakash Gupta
~ हरि प्रकाश गुप्ता सरल

आज की पोस्ट: 11 August 2023

शब्दों का क्या कहूं
कीमत बहुत अनमोल।
एक शब्द के अनर्थ सेे ही
खुल जाती है पोल।।
शब्दों का कीजिए
समझदारी से उपयोग।
वरना कुछ का कुछ, अपने बारे में
सोचते हैं लोग।।
शब्द- शब्द मिलकर पंक्तियां बनी
पंक्तियों से रच गई कविता।
कविता जो दिल को भा गई तो,
शब्दों की बहने लगती मन में सरिता।।
सरिता से शब्दों का बहना , जो मन मोहक
लगने लगता है।
रचनाकार तो भइया फिर सब कुछ
छोड़कर एक नई रचना, रचने लगता है।।
शब्दों का क्या कहूं
कीमत बहुत अनमोल।
एक शब्द के अनर्थ सेे ही
खुल जाती है पोल।।
शब्दों का सही समय और सही जगह पर
उपयोग कर स्वामी विवेकानंद जी हुये महान।
शब्दों के जहां जादूगर बसते
वह भारत देश महान।‌।
जय हिंद और जय शब्दकोश की,
बिनती सभी से हाथ जोड़कर
शब्दों का सही कीजिए उपयोग।
शब्दों से खेलकर किसी को परेशान
करने का मत पालिये रोग।।
शब्दों का क्या कहूं
कीमत बहुत अनमोल।
एक शब्द के अनर्थ सेे ही
खुल जाती है पोल।।

Written By Hariprakash Gupta, Posted on 11.08.2023

आर जाने जो तुम्हारे कपड़े
शर्म ओढ़े हैं हमारे कपड़े

नये कपड़ों की‌ दिवानी दुनिया
हम पहनते हैं पुराने कपड़े

इनसे तहज़ीब नुमा होती है
हैं तवारीख़ हमारे कपड़े

काट पहना था मिरे दादा ने
अब हैं अतलस के हमारे कपड़े

नंगी नफ़रत के सुलगते युग में
हैं मोहब्बत से हमारे कपड़े

शाह मुज़मिल है लक़ब अपना तो
हैं लक़ब वाले हमारे कपड़े

Written By Shahab Uddin, Posted on 11.08.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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