अब तो नरम नाज़ुक फूल को छोड़ कर,
नुकीले कांटे से हाथ मिलाना चाहिए।
चोर ठग लुटेरे फैले हो जिस जहां में,
वहां खुद को इनका सगा बताना चाहिए।
कुछ रखा नहीं मेहनत की अधपकी रोटी में,
भूखे पेट को हेराफेरी का माल खिलाना चाहिए।
कोई बुरा कहें तो फिर शर्म से लाल मत होना,
उसे जी जान से बुरा बन के चिड़ाना चाहिए।
क्या पाप क्या पुण्य की बेकार ज़िद्द में पड़ना,
`बाग़ी` झूठों को सच का आईना दिखाना चाहिए।
कहने को कितना छोटा शब्द है वादा,
लेकिन नहीं है इसको निभाना,
कोई खेल सीधा - सादा।
दिल में होती है सभी के गहराइयाँ,
जब दिल टूटे किसी का तो
नहीं बजती दिल में शहनाइयां।
दोस्तों मुस्कुरा कर लेलो सभी की बधाइयां।
क्या रखा है दुनिया में करके
किसी से लड़ाइयां।
कितना आसान होता है करना वादा,
जब निभाना हो तो,
किसी का नहीं होता निभाने का इरादा।
कहने को कितना छोटा शब्द है वादा।
प्रेमी एक नहीं दो नहीं तीन नहीं न चार
गिनती में क्या रखा है जनाब
जो भी मिल जाए सरेराह
हजूर हम कर लेंगे प्रेम का इजहार
प्रेम एकनिष्ठ है
सही बात है
पर प्रेमी हरबार एक ही हो
ये कब किसने कहा है
अगर मिल जाए आपको तो पकड़ कर ले आना
और दुर्लभ प्राणी के संरक्षण का पुरुस्कार
हाथों हाथ ले जाना
जब ब्रम्हांड में सबकुछ परिवर्तनशील है
तो प्रेम को क्यों जकड़ कर रखा है
वो भी तो भ्रमनी शील है
विश्वास नहीं होता गर मेरी बात सुन आपको
तो देख लेना वन–वन फिरते उस कस्तूरी मृग को
सच कहूं
ये इतना चिकना–गहन और अथाह सागर है
बहुमुखी होकर बह रहा इसका प्रवाह है
देशप्रेम, मातृ–पितृ, मातृभूमि या सखा–सखी प्रेम कहूं
कहीं से भी पकड़ में नहीं आता ये चंचल प्रेम
इसलिए हे प्रभु इसे क्यों न तुझे ही समर्पित करूं।
उठो देश के वीर जवान
करो देश का उज्जवल नाम।
भगत सिंह ने धरती मां को अपनी दुल्हन बनाया
उसके लिए अपना सिर फांसी चढ़वाया
ले लो ऐसा प्रण पनप न पाए देशद्रोही जन...
उठो देश के वीर जवान
करो देश का उज्जवल नाम।
गांधीजी ने लड़ी लड़ाई
ब्रिटिश की जड़ से फेंक उखाड़ी
भारत को करे सब नमन ऐसा बनाओ देश महान.
उठो देश के वीर जवान
करो देश का उज्जवल नाम।
गंगाधर की पत्नी बनी लक्ष्मीबाई
उसने मचाई फिरंगियों में हाथापाई
भारत में जन्मे है ऐसे देशभक्त महान....
उठो देश के वीर जवान
करो देश का उज्जवल नाम।
अब हमारा देश आजाद हैं
देश को देश भक्तों पर नाज़ है
भारत पर भगवान के चिन्ह महान...
उठो देश के वीर जवान
करो देश का उज्जवल नाम।
माँ बस तू माँ है,
माँ बस तेरे कारण ही
मेरे सपने ,
मेरे विचार,
मेरे संस्कार हैं।
माँ बस तू माँ हैं।
माँ बस तेरे कारण ही,
हर कोई के नजरो में
मेरा सम्मान हैं
माँ बस तू माँ हैं।
माँ तू मेरी आत्मा है,
माँ तू भगवान का दिया हुआ
वो अनमोल चमत्कार है,
माँ बस तू माँ हैं।
हम अपने लिए,
जीवन को युद्ध बना देते है।
हम लड़ते है,
अपने आप से
जब कि
यह युद्ध मृत्यु तक
निरंतर चलता ही जाता है।
हम जानते है,
हमें कुछ हासिल नही होगा।
फिर भी हम ,
जीतने के लिए ,
सब हार जाते है।
जब कुछ ,
हाथ नहीं लगता है।
उसी युद्ध को,
खुद पर थोपा हुआ पातें है।
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