हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Friday, 07 July 2023

  1. लड़ा कर इश्क़ गैरों से वो अब ठुकरा दिया मुझको
  2. चंदा मामा
  3. हम हैं स्वतंत्र
  4. कैसे हो अपना मेल प्रिये
  5. मेरा दर्द
  6. फिर आ गई बारिश

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लड़ा कर इश्क गैरों से वो अब ठुकरा दिया मुझको!
मेरी औकात क्या है उसने ये बतला दिया मुझको!

उठा कर आस्माँ से जब गिराना था तेरा मक़सद,
बता फिर ख़ाक से क्यों अर्श पर बैठा दिया मुझको! 

कभी पूरी नही करनी थी मेरे दिल की ख्वाहिश को,
दिलासा आपने फिर किस लिए झूठा दिया मुझको!

गिला शिकवा किसी से करके यारों फायदा क्या है,
मरासिम तोड़ के जब ग़ैर ही ठहरा दिया मुझको! 

दुआएँ अर्श से टकरा के मेरी लौट आई हैं,
तुम्हारे दर ने खाली हाथ फिर लौटा दिया मुझको!

ये कैसी ज़िन्दगी तूने अता की है मेरे मौला,
चले तो हर क़दम पे इक नया खुद्शा दिया मुझको!

मुझे शायद कभी खुशियाँ लकी हासिल नहीं होंगी,
दुबारा दिल के बदले उसने दिल टूटा दिया मुझको!

Written By Mohammad Sagheer, Posted on 18.02.2022

चंदा मामा

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Siddharth Yadav
~ सिद्धार्थ यादव

आज की पोस्ट: 07 July 2023

चंदा मामा सबसे प्यारे,
चंदनी रात में छलकाते।
होंठों पर हंसी लाते,
दिल में खुशियों की बाराते।


उठो बच्चो, बोलो जोर से,
चंदा मामा चाँद पर हैं दौड़े।
सुबह-सुबह जगाते हैं हमें,
प्यार से हमको बुलाते।

Written By Siddharth Yadav, Posted on 23.06.2023

क्या क्या सुनाएं हम तुम्हें पुरानी बातें
किस संघर्ष से निकल कर मिली हैं सांसे
सर भी कटे थे सूली भी चढ़े थे
उन्हीं की रहमत स्वतंत्र हैं हुए
था भारत  भी तब रोया 
जब सीने पर लहू के दाग़ थे मिले
फूलों के मौसम में शहीदों के लगे थे मेले
आज उनको कैसे न याद करें
कैसे हमारे लिए उन्होंने सर थे कटाए।
लाठी लिए, धोती पहने
एक बापू ने बड़ा कुछ है किया।
 21की उम्र में एक मां का लाल,
छोड़ कर सब ख्वाईशें
शहीद भगत सिंह कहलाया
राजगुरु, सुखदेव को भी अपने साथ था मिलाया 
रानी थी एक महलों की
साज श्रृंगार छोड़ उसने
तलवार थी उठाई
पीठ पर उठा बेटे को....
रण युद्ध में थी आई
ऐसी महान स्त्री मेरे देश की  थी, लक्ष्मीबाई।
फौजों के नायक थे सुभाष चंद्रबोस
हाथ से हाथ मिला कर सेना की माला थी  बनाई
अंग्रेजों पर पड़ी थी जो भारी 
और भी बहुत थे,किया जिन्होंने बड़ा जतन
याद में उनकी मेरा सर करता है नमन
उन्हीं की वजह से,तो हम है स्वतंत्र ....
है स्वतंत्र...।

Written By Priti Sharma, Posted on 25.06.2023

कैसे हो अपना मेल प्रिये
ये तुम हमको बतला दो
कैसे मै लगूं तुम्हारे जैसा
ये तुम हमको समझा दो 
 तुम लाल टमाटर जैसी महंगी
मै हूं देसी आम प्रिये
तुम हो गेहूं का गोडाउन
मै सस्ते गल्ले की दुकान प्रिये
 तुम फरचुनर की आदी हो
मै रखता हीरो होंडा हूं
तुम खाती पिज्जा बर्गर हो 
मै खाता चावल दाल प्रिये
 तुम रखती कई शौक न्यारे 
मै लगता एकदम झझ्झण हूं
तुम शहर की रहने वाली हो
और मै देहाती खुझ्झण हूं
 तुम जींस टाप में लगती प्यारी
मै जो मिलता वही पहनता हूं
तुम चाहती मैं पहनू सूट बूट
किंतु मै  सूट बूट न रखता हूं
 कैसे हो अपना मेल प्रिये
ये तुम हमको बतला दो
कैसे मै लगूं तुम्हारे जैसा
ये तुम हमको समझा दो

Written By Ashish Mishra, Posted on 04.07.2023

मेरा दर्द

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Manoj Bathre
~ मनोज बाथरे चीचली

आज की पोस्ट: 07 July 2023

मेरा दर्द

सिर्फ और सिर्फ

मेरा दर्द है

इसको कोई भी नहीं

बांट सकता

क्योंकि

ये तो मेरे संग

अठखेलियां करता है

और

मेरे ही संग

वो हर वक्त

कदम दर कदम

मेरे संग ही चलता है

और

चलता ही रहेगा।।

Written By Manoj Bathre , Posted on 12.05.2021

लो आज फिर आ गई बारिश
जैसे कर रही हो कोई हमसे साजिश
भीग रहा है सारा जहां,
हो रही है प्रकृति भी मगन,
लेकर कोई अपने में कशिश।

फिर आया सावन का मौसम,
याद आया गुजरा ज़माना ,
भीग रहे है सभी बारिश में,
लेकर हर कोई अपना गम ।
दिल फिर है उदास आज,
हो नहीं रहा कोई जख्म कम।

Written By Aditi Goyal, Posted on 07.07.2023

Disclaimer

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