हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Monday, 26 June 2023

  1. बोरियों में समय
  2. छलकते आंसु
  3. निचोड़ देता है दिल ख़ून के समुंदर को
  4. किताब-एक सच्ची मित्र
  5. गौरवमयी है अपना बिहार
  6. इक आस

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        कुछ दिनों पहले जन्माष्टमी पर छुट्टी लेकर घर गया और कुछ मित्रों से बात हुयी। हम बाहर नौकरी करने वालों के पास अक्सर उतना ही समय होता है जितने दिन की हमें छुट्टियाँ मिलती हैं। घर या गाँव आते ही अपना ही बैग गौर से देखने पर लौटने के वक्त को बताता रहता है। अंगुलियों पर छुट्टी के दिन गिनते हुये, बीतते रहते हैं। अपने ही घर जाने के लिये किसी के आदेश हेतु मुहँ ताकते रहते हैं। बड़ी विडम्बना है।

       जब हम घर पहुँचतें हैं तो घरवालों की आँखो में चमक के साथ जुबाँ पर एक ही सबाल होता है, कि कब तक की छुट्टी मिली है? कहीं न कहीं वो भी स्वीकार चुके होते हैं कि नौकरी तो नौकरी ही होती है। जाना तो पड़ेगा ही,तो भारी मन से वो भी हर बार विदा कर देते हैं और अगले चक्कर की राह देखने लग जाते हैं। हम जब घर पहुँचतें हैं तो समय भी दुगुनी गति से भागता है और लगता है कि कल ही तो छुट्टी लेकर आये थे, अब लौटना भी है। ये चार से पांच दिन इतनी जल्दी बीत गये पता भी नहीं चला।

            खैर इन्हीं छुट्टियों के दौरान एक पुराने और लगावी मित्र से मिला। अक्सर हम नौकरी वाले लोग जब छुट्टी जाते हैं तो जरूरी काम होते हैं उनको याद रखते हैं कि ये काम इन छुट्टियों में जरूर निबटाने हैं। फिर भी कुछ काम बाकी रह ही जाते हैं। सब कुछ हमारे हिसाब से जो नहीं होता न। हाँ तो मित्र से जब मिला तो हमारी कुछ बातें हुयी। बातों का सिलसिला बढ़ा और बातें जीवन,परिवार,नौकरी,तरक्की,वेतन से होती हुयी समय पर पहुँच गयी। मुझे याद आया कि समय तो कम है मेरे पास। छुट्टी खत्म होने वाली हैं, जल्द और भी काम निबटाने होंगें। यहाँ समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। मैं तुरन्त बोला,`` मित्र मैं अब चलता हूँ।``
मित्र-अरे इतनी जल्दी?
मैं-हाँ यार, और भी काम निबटाने हैं।
मित्र-अरे इतने दिन बाद मिला है, कुछ देर तो रूक। साथ खाना खाते हैं।
मैं(समझाते हुये)-यार देरी हो जायेगी। आज का दिन फिर पूरा बर्बाद हो जायेगा। खाना फिर कभी खा लूँगा।
मित्र(दुखी होते हुये)-यार, फिर कहाँ आना होता है तेरा भाई।

मैं(अपनी पुरजोर कोशिश करते हुये)-यार समय नहीं है क्या करूँ।
मित्र (ठण्डी आह भरते हुये)- समय......। समय हमसे ले ले भाई। हमारे पास ``बोरियों भरकर समय`` है। अन्दर बहुत पड़ा है। तू बता कितना चाहिए? आदमी को इतना भी व्यस्त नहीं होना चाहिए भाई कि अपने भी मिलने को तरसें।

          मैं अन्दर तक हिल गया। उसकी बात सही लगी। मैं वहीं बैठ गया और फिर खाना खाकर ही आया। अक्सर हम जिन्दगी की भागदौड में अपनों के साथ यादगार पल निभाना और बनाना ही भूल जाते हैं। जब तक हम पल बनायेंगें नहीं, तो याद क्या ही करेंगें। इसलिए चाहे नौकरी हो या स्वयं का काम अपनों के लिये जब भी हो सके, समय जरूर निकालिये क्योंकि वो तो आपके लिये बोरियों में समय भरकर बैठे हैं, आप ही अपनी व्यस्तता का ढिंढोरा पीट रहे हैं।

 

Written By Sumit Singh Pawar, Posted on 07.09.2021

छलकते आंसु

21FRI02026

Manoj Bathre
~ मनोज बाथरे चीचली

आज की पोस्ट: 26 June 2023

नयनों से छलकते आंसु

कहते हैं बहुत कुछ

समझने वाले

समझ जाते हैं

उनकी मौन भाषा

और

ना समझने वाले

शायद क्या 

सोचते होंगे वो

किसी को नहीं मालूम

पर इन

आंसुओं की भावनाएं

कहना चाहती है 

हम सबसे 

कुछ न कुछ

इसके लिए हमें 

इनकी भाषा को समझना होगा।।

Written By Manoj Bathre , Posted on 13.05.2021

निचोड़ देता है दिल ख़ून के समुंदर को!
बहुत क़रीब से देखा है ग़म के मंज़र को!

कभी यहाँ तो वहाँ सर उठाये फिरता हूँ,

क़रार मुझको नहीं जि़न्दगी में पल भर को!

इसे फज़ूल के कामों में मत उड़ा दीजे,
मशक़्क़तों से कमाता है आदमी ज़र को!

यक़ीन आता नहीं पर सुना है अपने ही,
उतार देते हैं सीने के पार खंजर को!

जो हक़ परस्त हैं उनको नही कोई परवाह,
कभी भी लेके नहीं साथ चलते लश्कर को!

सुना तो होगा कि वहदत के हम पुजारी हैं, 
हर एक दर पे झुकाते नहीं हैं हम सर को!

हमारे जिस्म का शैतान हो गया बेदार,
मुआफ इस लिए करते नहीं सितम गर को!

हमेशा साथ ग़लत का ही देता आया है,
कभीभी अच्छा नहीं समझा उसने बेहतर को!

ज़रूर हो गया मरऊब मैं लकी उससे,
मैं किस तरह से कहूँ बात अपने दिलबर को!

Written By Mohammad Sagheer, Posted on 18.02.2022

सबसे अच्छी दोस्त होती है किताब,
नहीं मांगती ये किसी से कोई हिसाब,
विद्या है बढाती देकर अपना ज्ञान,
सभी मानव देते इसको सम्मान..।

बड़ी-छोटी कैसी भी हो किताब,
सभी शब्द है इसके लाजवाब,
इसको जिसने भी अपना दोस्त बनाया,
ज़िन्दगी में बड़ा मुकाम है पाया..।

बिना इसके कोई नहीं है जीवन,
पढ़े जो भी इसको बन जाए वह महान,
बिन बोले सबको देती है ये ज्ञान..।
सबसे अच्छी दोस्त होती है किताब..।

Written By Aditi Goyal, Posted on 26.06.2023

ये है अपना बिहार
एक बिहारी (संसय एक मत नहीं), महान अर्थशास्त्र की रचना की
चाणक्य था उनका नाम
अर्श से फर्श तक लाने की
जिनमे था गुण विद्धमान
विश्व में जिसके वीरता के
समान हुआ ना दूजा
बिहारी ही था वो अशोक सम्राट
इसी बिहार के लाल ने विश्व को शुन्य दिया
परिचय का वो मोहताज नहीं
आर्यभट्ट था उनका नाम,
ये है अपना बिहार
शिक्षा का मुख्यकेंद्र था अपना बिहार
जिसने नालंदा विश्वविद्द्यालय सा शिक्षा केंद्र दिया,
गौरवपूर्ण है बिहार का इतिहास
ज्ञान दिया जिस पावन भूमि ने
भगवान बुद्ध को वो भूमि है अपना बिहार
भगवान महावीर और जैनधर्म का है जन्मस्थान
अपने ज्ञान ज्योति से विश्व में है विख्यात
ये है अपना बिहार
पाठ सिखाया जिसने विश्व को लोकतंत्र का (वैशाली)
जिक्र ना हो गर बिहार का
पूर्ण न होगा आर्यव्रत का इतिहास
ये है अपना बिहार
जिसने रचना किया रामायण का वाल्मीकि था उनका नाम
इसी भूमि में जन्म लिया वो जिसका नाम है बिहार
विश्व को सर्जरी सिखाया जिसने
सुश्रुत जी था उनका नाम
संयोग है सुश्रुत जी का भी
बिहारी ही है पहचान (एक मत नहीं संसय है)
महान गुरु गुरुगोविन्द सिंह जी का जहाँ जन्म हुआ ,
वो पावन भूमि भी है अपना बिहार
~कुछ आधुनिक अंश~
जिस भूमि से गाँधी जी ने
आंदोलन की नींव रखी(चंपारण)
जिस वीरों की गाथा गाती
नहीं थकती है संसार
अली गौहर, वीर कुंवर सिंह, खुदीराम,प्रफुल्ल चाकी इत्यादि
बिहारी जिनकी है पहचान
ये है अपना बिहार
महान संविधान सभा का अध्यक्ष रहा वो
देश का प्रथम राष्ट्रपति रहा जो
श्री राजेंद्र प्रसाद था उनका नाम
जानते है आप उस महापुरुष का भी
बिहारी ही है पहचान
ये है अपना बिहार।।

Written By Dumar Kumar Singh, Posted on 26.06.2023

इक आस

SWARACHIT5046

Shiv Pandey
~ शिव पांडेय (शिवम)

आज की पोस्ट: 26 June 2023

हो मुझमे तुम इक आस बनकर
कैसे कहूँ रहने लगे हो ख़ास बनकर

जब भी लगता मर सा गया अंदर से कुछ
जी उठती हो मुझमें तुम हसीं साँस बनकर

ये गुलाब ये इजहार ए इश्क नहीं कर सकता यार
मगर समझो जी नहीं सकता तिरा काश बनकर

तुझसे दूरी भी कयामत है ये हिज्र ए लम्हें जियूँ गर
तो अजाब रंज पी रह जाऊँगा फ़क़त उदास बनकर

शिव तुम फूजूल हि मलाल करते हो ये सब पर
अरे यार जिंदा है यहाँ पे हर कोई लाश बनकर

Written By Shiv Pandey, Posted on 26.06.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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