हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Tuesday, 20 June 2023

  1. कैसे हो उत्थान
  2. स्वर्णिम विजय वर्ष १९७१
  3. गांव तब और अब
  4. गुलाब और कांटे
  5. गांव में जब बिजली जाती

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कैसे हो उत्थान

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Rupendra Gour
~ रूपेन्द्र गौर

आज की पोस्ट: 20 June 2023

जनता को बिल्कुल नहीं, सही ग़लत का भान।
ऐसे में इस देश का, कैसे हो उत्थान।।

जरा जरा सी बात में, बेच रहे ईमान।
दुनिया देश समाज का, कैसे हो उत्थान।।

प्रेम दया करुणा मरी, मनुज हुआ हैवान।
सूखे में इंसान का, कैसे हो उत्थान।।

सुबह शाम दिन रात को, मदिरा ही भगवान।
सभी नशे में चूर हैं, कैसे हो उत्थान।।

चाटुकारिता कर रहे, आज बहुत इंसान।
स्वाभिमान है बिक रहा, कैसे हो उत्थान।।

चापलूस है पा रहा, दिन प्रतिदिन सम्मान।
मेहनतकश नित पिस रहा, कैसे हो उत्थान।।

खूब मुफ्त में बॅंट रहा, हर चौराहे ज्ञान।
मान रहे सच सब उसे, कैसे हो उत्थान।।

आपस में ही झगड़कर, बिखर रहा इंसान।
सेंध एकता में लगी, कैसे हो उत्थान।।

सच्चे का उपहास कर, झूठों का गुणगान।
फैली है ये विषमता, कैसे हो उत्थान।।

बिखर रहे हैं टूटकर, सब संयुक्त परिवार।
कैसे हो उत्थान जब, चलें रोज तलवार।।

लूट रहे हैं देश को, नेताजी श्रीमान।
रक्षक ही भक्षक बने, कैसे हो उत्थान।।

Written By Rupendra Gour, Posted on 02.05.2022

१९७१ के युद्ध में भारत की विजयी हुई थी,
पाक की कश्मीर पर नापाक नज़र रही थी।
विजय की ख़ुशी में मनातें हम स्वर्ण जयंती,
भारत सेना ने पाक को ऐसे धूल चटाई थी।।

मातृ भूमि का मान बढ़ाकर वो ऐसे सो गऍं,
हमेशा हमेशा के लिए दिल में घर कर गऍं।
सम्पूर्ण भारत-वासी थे उस समय सदमे में,
ऐतिहासिक विजेता बनाकर अमर हो गऍं।।

हमें अमन एवं चैन देकर गऍं है वीर जवान,
उनकी याद में देश स्वर्ण जयन्ती मनातें है।
इस आज़ादी को सभी हरगिज़ नही भूलेंगे,
इसलिए विजय मशाल प्रज्वलित रखते है।।

हिंदुस्तान के ऐसे अनेंक बहादुर सैनानी थे,
भारत के खातिर जो अपनें प्राण लुटा गऍं।
ऐसी अनुपम ख्याति वाले वे वतन प्रेमी थे,
संवेदनाओं के बीज वे यहां पर बोकर गऍं।।

हार मानकर पाक आत्मसमर्पण‌ कर दिया,
जीत की खुशी में हम सब जलाते ‌है दीया।
१६ दिसंबर १९७१ को आता है विजयपर्व,
भारतीय वीर जाॅंबाजों पर सभी को है गर्व।।

Written By Ganpat Lal, Posted on 09.05.2022

गांव तब और अब

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Lalan Singh
~ ललन प्रसाद सिंह

आज की पोस्ट: 20 June 2023


बालपन में सुना था-
गांवों का कृष्ण पक्ष
भयावह होता है.
चोर-सेंधमारों की 
चांदी कटती है.

सर्द की आधी रात,
घोर अंधेरा और निचाट,
लोग पुआल रजाइयों में दुबके,
प्रकाश की राह देखते,
रात काटते.

सियार और कुत्तों के
हुआ-हुआ और भौं-भौं
रात की भयावहता को बलवती करता
हवा की सांय-सांय खौफ भर देता
तभी वृद्धों की खांसी ढीठ बनाता

निशाचरी निशा के पदचाप
कानों को सतर्क करता.
आंतरिक शक्ति क्षीण होती
कुछ अनहोनी की आशंकाओं
को बलवती करता.

वहां न तो कोई रात्रि प्रहरी,
नहीं पक्के सड़क,
और नहीं पुलिस की गश्त,
गंवारु जीवन
अपने आप में मस्त.

और अब
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आज गांव में,
न सेंधमारी है,
न रौशनी विहीन रात
न कच्ची सड़कें हैं.

अब पुलिस भी लगाती गश्त
फिर भी अशांति के आगोश में
जीने को मजबूर दहसत के साये में
निरपेक्षता की उम्मीद में.

Written By Lalan Singh, Posted on 01.06.2022

फूल हुए इस घरा पर इतना,

जिसमें एक गुलाब का नाम।

गुलाब तो बहु रंगों के होते,

फिर भी गुलाब- गुलाब है।

गुलाब में होते कितने कांटे,

फिर भी बच्चे गले लगाते।

गले- लगाने वाले बच्चों को,

है कितना ऐसे फूलों से प्यार।

कांटे की हर एक चुभन को,

कर लेते हैं सहज स्वीकार।

बच्चे अपनी नटखटता से,

सह लेते हैं सब दर्द अपार।

बच्चे तो हैं होते सच्चे,

फिर भी नटखट व मनमौजी।

गुलाब के कांटों की हर एक चुभन को,

कर लेते हैं स्वीकार सभी।

नन्हें बच्चे नटखट सभी,

हरदम हरपल सहकर भी

गुलाब की कोमल फूलों को

गुलाब की कोमल टहनी से

गुलाब कांटों की हर चुभनों को

गले लगाकर बच्चे सब,

गुलाब को हमेशा हैं तोड़ते रहते।

उनका नाता अपने दिल से,

स्वतः खुद ही जोड़ते रहते।

Written By Subhash Kumar Kushwaha, Posted on 10.06.2022

गांव में जब बिजली जाती,
बच्चों की टोली बाहर आती,
पूरी टोली रात-भर हंसती-गाती,
खेलती और खुशियां मनाती।

बूढी औरतें भी अपनी - अपनी खाट बिछाती,
और फिर सब अपनी - अपनी बातें गाती,
पूरे गांव का बखान करती,
और लोगों के बारे में बातें बनाती।
गांव में जब बिजली जाती,
संग खुशियों की बहार है लाती।

छोटे-छोटे बच्चों का खेल भी
लगता बड़ा सलोना,
मिटटी के होते बर्तन,
और गुड़िया बनती दुल्हनिया,
पत्थर के बनते पैसे,
और टीन का था टीला।
कोई छुपता, कोई ढूंढता,
कोई भागता, कोई झूमता।
पेड़ की शाखाओं पर
झूला झूला करते,
छोटे - छोटे बच्चे,
हँसते - हँसते खेला करते।

गांव में जब बिजली जाती,
संग खुशियों की बहार है लाती।

Written By Aditi Goyal, Posted on 20.06.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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