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Monday, 19 June 2023

  1. रिश्ते अपनी मौत कभी नहीं मरते
  2. काश! ये शाम यूँ ही ठहर जाए
  3. ख़्वाब बेचे हैं
  4. मशक़्क़तों से भरे इम्तिहान मिलते हैं
  5. कैसी यह मुहब्बत

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बेमौत मर जाते हैं रिश्ते
जब विश्वास टूट जाता है
रिश्तों की नींव उखड़ जाती है
जब स्वार्थ बीच में आता है

रिश्तों में यदि समझदारी से काम लें
तो रिश्ते ज़िन्दगी भर साथ निभाते हैं
अहंकार स्वार्थ पैसा जब आ जाये बीच में 
तो रिश्ते चुपचाप कहीं खो जाते हैं

रिश्ते तो फूल की तरह होते है
फैलाते हैं सुगंध अपनी चारों ओर
प्यार और विश्वास की खुराक मिलती रहे
तो कभी कमज़ोर नहीं होती इनकी डोर

रिश्तों की कद्र कीजिये
जितना हो सके इनको बचाइए
मनमुटाव कोई हो जाये तो दूर कीजिये
खुद झुकने से मत घबराइए

रिश्ते ही हैं जो ताउम्र काम आएंगे
सुख दुख में सभी का साथ निभाएंगे
रिश्तों के बिना यह संसार अधूरा है
रिश्तों के बिना सब अकेले रह जाएंगे

अपनी मौत कभी नहीं मरते रिश्ते
रिश्तों को अहंकार और स्वार्थ मिटाता है
ठोकरें ज़माने में जब लगती हैं बहुत
रिश्तों की कीमत कोई तभी समझ पाता है 

Written By Ravinder Kumar Sharma, Posted on 28.01.2022

एक सुरमई शाम में 
हम बैठे चाय पी रहे थे
उसने आहिस्ता से कहा था
चलो घूम कर आते हैं
मैं तो हूँ ही घुमक्कड़
सालों से घूम हो तो रहा हूँ
मैंने मन ही मन सोचा था
वो फिर बोली नहीं चलना है क्या..?
मैंने कहा चाय खत्म करो 
फिर चलते हैं
उसने कहा ठीक है
चाय की गर्मी को बदन में समेटे
हम स्कूटी पर ठंडी हवा में तैर रहे थे
मुझे अपनी कमर के कुछ हिस्से में
कुछ गर्मी का एहसास हो रहा था
उसी एहसास से साथ 
मैं शहर का चक्कर लगा रहा था
और सोच भी रहा था
काश! ये शाम यूँ ही ठहर जाए

Written By Manoj Kumar, Posted on 13.04.2022

फक़ीर रहा उम्रभर 
ना कुछ दे सका अपनों को 
ना ही कुछ ले सका ज़िन्दगी से 
बेचे हैं जमाने में मैंने 
ख़्वाब अपने 

रूठे ना कोई मुझसे
मुझसे कुछ गलत ना हो जाये 
सबको खुश रखते- रखते 
पता ना  लगा 
कि कब और कैसे ?
मैं खुद को भी 
भुला बैठा 
कि 
मैं भी एक इंसान हूँ 
मेरे खुदके भी 
कुछ सपने हैं 

हाज़िर रक्खा खुद को 
सबके लिए 
जब भी किसी ने कुछ काम दिया 
या किसी को कुछ ज़रूरत पड़ी 
सबकी ज़रूरतों का ख़्याल रक्खा 

कभी अपने सपने बेचे 
तो कभी अपने ख़्वाब बेचे 
इतना बेबस किया है ज़िन्दगी ने मुझे 
कि 
कभी अपने जवाब बेचे हैं 

दुखता नहीं है घाव अब नयाँ भी 
अब, मरहम कि ज़रूरत नहीं 
खिलने पर भी लौटते नहीं हैं 
भंवरें अब मेरे बागों में 
मैंने महक बिखेरने वाले 
बागों के गुलाब बेचे हैं 

पड़ने दो सूखा अब 
मेरी ज़िन्दगी में भी 
खुशियों का 
तुम ये सब देखकर 
जश्न का माहौल बनाओ 
क्यूंकि?
मैंने ज़िन्दगी में 
खुशियों के तालाब बेचे हैं 

कैसे बदलती है ये ज़िन्दगी 
कैसे बदलते होंगे लोग यहाँ
मुझे तुम्हारे साथ देखना है 
वीरान राह को रोशन होते हुए 
कड़ी धूप में, बिन छाते के 
देखते हैं पहचानते कितनों को अब हम 
हमने भी कुछ आफ़ताब बेचे हैं 

खुद को बेचा, अपने ज़मीर को बेचा 
किसकी खुशियों के लिए 
हमने वो 
ख़्वाब बेचे हैं ?

 

 

Written By Khem Chand, Posted on 20.04.2022

मशक़्क़तों से भरे इम्तिहान मिलते हैं!
बड़े बुज़ुर्गों की बातों से ज्ञान मिलते हैं!

ज़मीं पे जैसे उगे कंकरीट के जंगल,
हर एक शह्र में ऐसे मकान मिलते हैं!

ज़मीं में दफ्न है तहज़ीब अपने पुरखों की,
किताबों में लिखे सारे निशान मिलते हैं!

ख़रीद पाने की अपनी तो हैसियत ही नहीं, 
ज़मीन मँहगी व मँहगे मकान मिलते हैं!

मैं उनके ज़र्फ की यूँ दिल से दाद हूँ देता,
जो हो के मुझ से सदा मेह्रबान मिलते है!

ये इत्तेफाक़ भी अपनी समझ से बाहर है,
हमें तो दुनियाँ में सब बेइमान मिलते हैं!

सफेद पोश ग़रीबों की बात मत पूछो, 
भिखारियों की तरह उनको दान मिलते हैं!

लकी अकेला नहीं सबकी बात है करता,
नदी किनारे कई नौजवान मिलते हैं!

Written By Mohammad Sagheer, Posted on 30.01.2022

कैसी यह मुहब्बत है दोस्तो
कट रही रोज टुकडों में दोस्तों

जब प्यार था तब घर वार छोड़ दिया
आज उस ने ही यार प्यार छोड़ दिया

दिल से उतार फैंक दो उसे तुम
जिसने तुझे दिल से निकाल दिया

सौ टुकड़ो में कटने से अच्छा है
कि अकेले जिंदा रह लेना दोस्तों

जिंदगी जीने की सौ वजह ढूंढ लेना दोस्तों
तुम्हारे साथ जो हो रहा उस से उबर कर

दूसरों के लिए थोड़ा जी लेना दोस्तों
गम न करना मुहब्बत गवाने का जरा भी

मिलती नही यह जिंदगी दुबारा तो
कुछ अपनी फिक्र कर लेना दोस्तों

Written By Sandhya Chaturvedi , Posted on 19.06.2023

Disclaimer

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