मानव हो तो मानवता को,
छलो ना धर छल-छदमी भेष।
जात-पात के बंधन तोड़ो,
छोड़ दो ऱखना तुम राग-द्वेष।।
क्या मिलेगा खोदकर खाई,
भाई से ही भाई के बीच।
नर तो स्वरूप नारायण का,
करता है क्यों हरक़त नीच।।
जिएं औऱ जीने दें सबको,
यही हो जीवन ध्येय सबका।
राम-रहीम नानक औ यीशु,
है सर्वोउतम नाम रव का।।
नही भेद ज़रा भी मानव में,
होता सबका ही लहू लाल।
रखती है सहर्ष स्नेह धरती,
कभी करती ना प्रकृति सवाल।।
मानव होकर छल-छदम किया,
धिक्कार तेरा यह नर जीवन।
छोड़ दे करना मानवता का,
ए-मूर्ख मनुज अब उत्पीड़न।।
खून जला शौक से धुआँ बना रहा मैं
जिने के लिए रूह-ए-रवाँ बना रहा मैं
मुझको अश्क़ की बू आने लगी थी सो
खुद को अब ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ बना रहा मैं
जिसको आना है आओ आलम-ए-जुज़
ए`तिबार -ए -निहाँ-ओ-अयाँ बना रहा मैं
मरने से पहले देखना था मौसम ए जहन्नुम
बस याद कर उसे रंज-ए-ख़िज़ाँ बना रहा मैं
मजहब जाति नफ़रत छोड़ो इश्क करो साहब
देखो मुहब्बत से हसीं रश्क-ए-जिनाँ बना रहा मैं
ये नज्म़ ग़ज़ल शेर अश`आर फ़ुज़ूल नहीं है कुनु
इनको उकेर पन्नों पे इख़्लास ए ज़माँ बना रहा मैं
Written By Kunal Kanth, Posted on 01.06.2023नियम कायदे ताक पर रखते हैं,
क्योंकि बटुए में ताकत रखते हैंं,
यदि काम ना बने तो,
ऊंची अट्टालिकाओं में पहचान रखते हैं,
असंभव भी संभव होकर दिखलाये,
ऐसी औकात रखते हैंं।
इतिहास गवाह है,
कि सब कुछ हासिल हो सकता है,
गर सत्ताधीशों के जूतों पर जु़बां रखते हैं।
मेहनतकश इंसान तू कुछ नहीं पाएगा,
नसीब के भरोसे है,
नसीब तेरा लिखा नहीं जाएगा।
तू तो बस नेकी ही कर,
क्योंकि ईमान तेरा कभी बिक न पाएगा।
क्यों घबराता है तूफानों से,
हिम्मत रख ये तूफान भी गुजर जाएगा,
हां अगर वक्त बदलने के इंतजार में है,
तो शायद ही ये कभी हो पाएगा?
मन में व्याप्त
संवेदनाएं
मुखर हो उठती है
जब वो
मन को प्रफुल्लित
देख लेती है तब
वो उन पलों को
संजोने के लिए
अपने मन के
हर कोने में
जगह सुरक्षित करना
प्रारंभ कर देती है
क्योंकि
वो चाहती है कि
ये सुखद एहसास
कहीं मेरे हाथ से
निकल ना जाए।।
Written By Manoj Bathre , Posted on 13.05.2021
जिन्हें अपना समझा पराये हुये हैं
हमें हर तरह ये सताये हुये हैं
दिये जा रहे हैं भले ज़ख़्म हमको
हम अपनी मुहब्बत लुटाये हुये हैं
अभी धूप ही धूप रुकना ज़रूरी
अभी रास्तों पर न साये हुये हैं
अभी चाँद बदली के पीछे छुपा है
वो ज़ुल्फ़ों की चिलमन गिराये हुये हैं
न उम्मीद कोई मुहब्बत की उनसे
जो नफ़रत दिलों में सजाये हुये हैं
जो लाए हैं दुनिया में पैग़ामे-उल्फ़त
वही तो जहाँ को बचाये हुये हैं
नज़र में वो सबकी हैं जाँबाज़ `आनन्द`
जो हंसते हुये ग़म छिपाये हुये हैं
Written By Anand Kishore, Posted on 20.05.2021
दुनिया वही है,बस लोग बदल जाते हैं,
मानसिकता वही है,बस शरीर बदल जाते हैं,
उजाड़ने को हर राह, तैयार है सब यहाँ
मंजिल वही है,बस राहगीर बदल जाते हैं....
कट्टरता वही है,स्थान बदल जाते हैं,
आक्रामकता वही है,चेहरे बदल जाते हैं,
अशान्ति वही है,तरीके शोर के बदल जाते हैं
उजाड़ने को हर राह, तैयार है सब यहाँ
मंजिल वही है,बस राहगीर बदल जाते हैं....
कोलाहल वही हैं,व्यवहार बदल जाते हैं,
हलाहल वही हैं,विषधर बदल जाते हैं,
सन्नाटे वही हैं,चित्कार के बाद जो आते हैं,
उजाड़ने को हर राह, तैयार है सब यहाँ
मंजिल वही है,बस राहगीर बदल जाते हैं....
मस्तिष्क वही है,अरमान बदल जाते हैं,
छिपाकर इरादे,पहचान बदल जाते हैं,
लाशें वही हैं,बस कब्रिस्तान बदल जाते हैं,
उजाड़ने को हर राह, तैयार है सब यहाँ
मंजिल वही है,बस राहगीर बदल जाते हैं....
आखें वही हैं,बस नजरिये बदल जाते हैं,
रिश्तें वही हैं,बस लालच थोड़े बढ़ जाते हैं,
जबाब अब भी वही हैं,बस सबाल बदल जाते हैं,
उजाड़ने को हर राह, तैयार है सब यहाँ
मंजिल वही है,बस राहगीर बदल जाते हैं....
कुछ इम्तिहान और लगेंगे
तुम तक मेरी बात पहुंचाने के लिए
पर एक दिन वो वक्त ज़रूर आएगा
तय करना है सफर मिलों दूर का अभी
मेरा परिश्रम तुम तक मुजे ज़रूर पहुंचाएगा
लाख कोशिश कर ले ये कायनात तूफानों में गिराने की
यह विश्वास मिटेगा नही, ना ही थकेगा
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु को ज़रूर वापिस लायेगा
आज खूब बारिश हो रही है
याद है वह बचपन का दौर
जब होने लगती थी बारिश झमाझम
तो निकलती थी हमारी टोली
बारिश की फुआरों में हमसब
करते खूब मस्ती, नहीं सुनते बड़े बुजुर्गों की
बस अपने ही धून में निकल पड़ते सब
बारिश में भिगने को और
कोई लाता कागज बनाता नाव
तो कोई पत्ते तोड़ छतरी बनाता
तो कोई कीचड़ में उछल कूद करता
याद है वह बचपन का दौर
निश्चछलता परिपूर्ण हम सब खूब खेलते
देखो आज खूब बारिश हो रही है
याद है वह स्कूल का दौर
जब होने लगती थी बारिश
कर स्कूल की छूट्टी भिगते -भिगते
घर लौटते हम सब और
दूसरे दिन जुखाम का बहाना कर
और एक दिन कर देते छुट्टी
कुछ इस तरह करते थे शरारते
वह बचपन का दौर था
हमारा बचपना यादों में रह गया
अब तो दूजे बच्चों को देख
अपना दौर याद करते हैं
और अनकहे किस्से कहते हैं ।
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