हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Wednesday, 14 June 2023

  1. दया की ज्योत लेकर
  2. अंतर्मन को मेरे महका जाओ
  3. काक भगोड़ा
  4. ममता क्यो कर आये
  5. फ़रेब यार

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दया की ज्योत लेकर, ऋषि दयानंद देख लो आये
जला है सत्य का सूरज, मिटे अज्ञान के साये
दया की ज्योत लेकर ………………….

ज़रा तो नींद से जागो, पढो तुम पाठ वेदों का
रहा सदियों से दुनिया में, बड़ा ही ठाट वेदों का
है वेदों का उजाला पास तो फिर क्यों तो घबराये
दया की ज्योत लेकर ………………….

कुएं-तालाब में क्यों आज तुम डुबकी लगाते हो
नहाओ वेद सागर में, कहाँ जीवन गंवाते हो
करे उपकार वो संसार का, जो वेद अपनाये
दया की ज्योत लेकर ………………….

ये जीवन बीत जायेगा, अँधेरे ही अँधेरे में
अगर तू सत्य ना जाने, चलेगा दुःख के घेरे में
हवन कर वेद मन्त्रों से, सवेरा खुद ही हो जाये
दया की ज्योत लेकर …………………

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 27.02.2023

ढोल बजते और 
मृदंग गूंजते, 
मकरंद की आवाज़, 
लोग थिरकते, 
रंगों की बौछार,
महुआ महका,
आमों में, मोर लगें हैं, 
आओ तुम भी 
फ़ागुन में, और होली में,
अंतर्मनको  मेरे 
महका जाओ,
तनिक तो मुझको
छूट जाओ न,
प्रेम जगा दो, ह्रदय की 
वीणा पर, 
मधुर तान तुम्हारी, 
भली भली सी प्यारी, 
हाँ जी फ़ागुन में, 
आपस में हम मिल जुल 
जाएं हंस, मुख सा तुम वेश, 
बनाओ, होली आई, 
तुम भी आओ 
आजाओ न फ़ागुन में, 
बांसुरियां गीत सुनाती
घुंगरू की आवाजें आतीं,
पलाश से बनता रिश्ता,
मन भावन, सा प्रिये 
अपना आजाओ 
न फ़ागुन में, 
आजाओ न होली 
आई फ़ागुन में

Written By Mushtaque Ahmad Shah, Posted on 22.01.2023

काक भगोड़ा

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Kamal Rathore
~ कमल राठौर 'साहिल'

आज की पोस्ट: 14 June 2023

बेजान पुतला काग भगोड़ा 
करता खेतों की रखवाली, 
चारों मौसम निडरता से झेलता
 ना कभी मांगे दाना पानी।

बच्चों में सिहरन पैदा करता
पक्षियों को दूर भगाता,
बिन पगार करता पहरेदारी
सालो से ये रीत पुरानी।

जीने का ये सबक सिखाता
जीवन का मर्म है बतलाता,
बेजान होकर भी अन्नदाता के
चारो-पहर ये अपना कर्म निभाता।

Written By Kamal Rathore, Posted on 07.01.2022

आज मानव का आपस में,
प्यार घटता जा रहा.
कुत्ते बिल्ली जनवरों से,
प्यार बढता जा रहा.

बच्चे तरसे मां की गोदी को,
वो डूबी अपने फैशन मे.
कुत्तों को गोदी ले करके ,
वो दूध पिलाये फैशन मे.

बच्चे को देखे दाई जी,
न है दूध पिलाने की फुरसत.
डाॕगी ना भूखा रह जाये,
उसे है साथ खिलाने की फुरसत.

जब मां की ममता का क्रय हुआ,
तो कैसे संस्कार आये.
जब मां ने खुद को मां न माना,
तो उसमे ममता क्योकर आये.

नोट - हम वर्तमान समय की बात कर रहे है कोई इसे अन्यथा न ले.

Written By Shivang Mishra, Posted on 20.03.2023

फ़रेब यार

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Shiv Pandey
~ शिव पांडेय (शिवम)

आज की पोस्ट: 14 June 2023

चाहिए बस तेरी रियायत हमें
और कुछ नहीं चाहिए हमें।

इक तेरी ही इनायत है हमें
और क्या आता है हमें।

क्या तुम मुझे समझते हो?
सब समझ आता है हमें।

शिकायत करे भी तो कैसे
ये करना नहीं आता है हमें।

जब - जब मांग कुछ पल तो
गम के सिवा क्या मिला हमें।

कर दिया सब न्यौछावर उसपे
उसने क्या कुछ दिया हमें।

उसे रोशनी की जरूरत क्या
पड़ी, अंधेरे में जलाता है हमें।

Written By Shiv Pandey, Posted on 14.06.2023

Disclaimer

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