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Thursday, 08 June 2023

  1. गौतम बुद्ध
  2. सुख किसके पास है
  3. परिंडा
  4. लखि भ्रमर मारग भूले है
  5. मिथ्या

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देवभूमि लुंबिनी की,जन्मे शुध्दो  कुल सिद्धार्थ,
धन्य गोद महामाया की,हुआ राजभवन कृतार्थ।

छत्रछाया माँ आंचल की,पाई सिर्फ़ दिवस सात,
लिया छीन क्रूर प्रकृति ने, माँ महामया का हाथ।

देख शुभ घड़ी,नक्षत्र,वार,लगा राजभवन दरबार
बड़े-बड़े विद्धवान-ज्योतिषी,रहे देख सुत-संसार।

``माँ`` सी बनकर गौतमी आई,धर ममतामयी रुप,
हुई उम्र जब बर्ष सोलह,बने दाम्पत्य पथ के भूप 

मिली ना मन को महलों में,पल भर  सुख-शांति,
मिथ्या है यह सकल जगत,रिश्ते-नाते सब भ्रांति।

बैशाख पूर्णिमा तिथि पुनीत  ,हुई साधना सफल,
जला ह्रदय में ज्ञान का दीप, छटा अज्ञान सकल।

कहलाए सदा ही अग्रदूत,शांति औऱ सदभाव के
राग-द्वेष,अधर्म-अनीति,नही गुण नर स्वभाव के।

रहकर दशक आठ धरा पर, हरे जन-जन के ताप 
हुए विलीन कुशीनारा रज में,बन गौतम बुद्ध आप।

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 07.05.2023

सुख किसके पास है

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Bharatlal Gautam
~ भरत लाल गौतम

आज की पोस्ट: 08 June 2023

ना मेरे पास है, ना तेरे पास है,

इस जहां में सुख, किसके पास है.

ना मेरे पास है, ना तेरे पास है,

मैंभी उदास हूं, तू भी उदास है,

इस जहां में सुख, किसके पास है.

ना मेरे पास है, ना तेरे पास है,

मुझे लगता तू खुश है, तुझे लगता मैं खुश हूं,

अपनी खुशी किसी लगती खास है.

ना मेरे पास है, ना तेरे पास है,

पास है बहुत कुछ,फिर भी चाहे और कुछ,

कोई नहीं है संतुष्ट, सबको प्यास है.

ना मेरे पास है, ना तेरे पास है,

Written By Bharatlal Gautam, Posted on 19.04.2023

परिंडा

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Mili Kumari
~ मिली कुमारी

आज की पोस्ट: 08 June 2023

छल- छल बहती धारा के 

कुछ बूंदों को समेट कर

रखना है परिंडो में भरकर 

थोड़ा उनपर दया कर!

 

प्यास सभी को लगती है

चाहे हो पक्षी, कीट या इंसान

हम अपना ख्याल रख सकते है

उनका कौन रखेगा ध्यान!

 

कई तालाबों को तबाह कर

हमने इमारते है बनाया!

अब हमारा भी फर्ज़ बनता है

प्रकृति का संरक्षण करना!

 

समय आ गया अब

मानवता दिखलाने का!

ज्यादा कुछ नहीं बस

थोड़ा धूप में तप कर

परिंडा भर पानी रखने का!

समय आ गया अब

मानवता दिखलाने का!

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* परिंडा -पक्षियों के लिए पानी रखने वाला मिट्टी का बर्तन

Written By Mili Kumari, Posted on 11.05.2023

तव मुख की छवि कान्तिमय,
लखि चन्द्र भी लज्जित हुआ.
सुन्दरता कमनीयता तेरी निराली निरखिकर,
मदन प्रिया का भी सब गर्व है खण्डित हुआ.

अरुण वसन तेरे प्रिये,
भानूदय ज्यों लग रहे.
नयन तिरछे और चंचल,
मीन-ए-तङाग लग रहे.

तव अधर अरुन मनु पंकज,
लखि भ्रमर मारग भूले है.
झूले मनिमय तव कर्णपुष्प,
ज्यो पदुम वात से झूले है.

Written By Shivang Mishra, Posted on 20.03.2023

मिथ्या

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Nidhi Mishra
~ निधि मिश्रा

आज की पोस्ट: 08 June 2023

बदतमीज मैं नही बदतमीज हैं
आप सबकी टोली
जो हमेसा से मुझसे
झूठ पर झूठ बोली
मेरे सामने मिठा और पीठ पीछे जहर की गोली

इसी कारणों से मैंने आप जैसे झूठे को नकारा
क्योकि ना मैं झूठ बोलती ना मुझे लगता हैं गवारा
मैं जो भी बात बोली तेरे सामने बोली
क्योकि मैं तुझे भी मान बैठी थी अपने समान भोली
मुझे क्या ?पता तेरे अंदर इर्ष्या की ज्वाला हैं
तेरी त्वचा तो गोरी, किन्तु तेरा मन काला हैं

मैं अकेले रह ली, तुझसे सहारा मांगा क्या ?
तु मेरी कितनी शिकायते की, मेरे अंदर का क्रोध जागा क्या?
क्योकि मैं जब तक सहती हूँ, चुप चाप सहती हूँ
लेकिन जब कहती हूँ, तो बिना रुके कहती हूँ
इसलिए बेहतर हैं तु मुझसे दूर रह
अगर हैं कोई दुबिधा तो आकर मेरे सामने कह
ऐसे इधर उधर बातें करके स्वयं को मेरी नजरों में और न गिरा
अगर हैं तुझमें इतनी हिम्मत तो सामने आकर नजरे मिला
मैं जानती हूँ झूठ बोलना तेरा तकियाकलाम हैं
ये बात मुझे हैरान नही करेगी,, क्योकि ये बात तो आम (सामान्य) हैं
तु एकलौती नही तुझ जैसे को मैंने बहुत देखा हैं
तेरी हर बातों का मेरे पास भी लेखा हैं
इसलिए बेहतर हैं आप अपना काम कीजिए
यूँ ऐसे चुगली करके मुझे मत बदनाम कीजिए
क्योकि जिस दिन मैं सामने आई
उस दिन आपकी खैर नही
कभी दोस्त थी तुम्हारी, कोई गैर नही
अभी शांत हूँ शांत रहने दीजिए
सोच रही आपसे न उलझूँ इसलिए मौन रहने दीजिए
क्योकि सत्य के सामने मिथ्या की औकात नही
ये एक चेतावनी हैं आपको कोई अभिशाप नही

Written By Nidhi Mishra, Posted on 08.06.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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