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Monday, 05 June 2023

  1. कोमल हूँ कमजोर नही
  2. कुर्सी की गोद में बेहाल विज्ञान है
  3. बरसात
  4. जब उनकी याद में हम दिल निकाल देते हैं
  5. शाम

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बिना नारी संभव हुआ क्या? नव-सृजन का दौर कहीं,
हां,प्रेम-समर्पण है गहना मेरे,  कोमल हूँ कमजोर नही।।

किए हैं दो-दो हाथ जन्म से, मैंने मुश्किलातों के संग,
दग्ध-दुपहरी में भी लड़ी हूँ, सूरज से तापों की में जंग।।

जब भी घेरा विपदाओं ने,होंसलों का छत्र लिया तान,
चलकर अविचल सतपथ पर,लिए छीन काल से प्राण।।

मिला कदम से क़दम चली,धरती से आकाश तलक,
सीना तान सरहदों पर खड़ी,हरदम रहकर में अपलक।।

माना ममता से ह्र्दयसिन्धु भरा,दृगों में भी दहकते अंगारे,
मेरे कपाल की दिव्यप्रभा से,रोशन है सूरज-चांद सितारे।।

मेरी ख़ुशी जननी खुशियों की,मेरी व्याथा महाभारत है,
मिटाया स्वंय को संतति हित,नही चाहा तिलभर स्वारथ है।।

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 07.05.2023

राजनीति की ये कैसी कमान है 

हर तरफ नुकसान हि नुकसान है 

 

कुछ कहो तो धीरे से कहो प्यारे

दु चार दिवार के पीछे लगे कान है 

 

डार्विन भी हो गए देश से बाहर 

कुर्सी की गोद में बेहाल विज्ञान है 

 

दमन आँसू अन्याय चीख कहाँ यार

ये तो अच्छे दिन की नई राग तान है 

 

दिन ब दिन सत्य और ओझल हो रहा

धुंध मिथ्या प्रसिद्धि आज का ज्ञान है

 

प्रेम में क्या हिंदूँ और क्या मुसलमान

भक्ति मीरा कहीं भक्ति हि रसखान है 

 

कैसा भय कैसी चिंता मृत्यु से कुनु

अंत तो जीवन का एक नव विधान है

Written By Kunal Kanth, Posted on 01.06.2023

बरसात

23WED07533

Mahavir Uttaranchali
~ महावीर उत्तरांचली

आज की पोस्ट: 05 June 2023

मौसम यह बरसात का, पृथ्वी पर उपकार
हरियाली पर्यावरण, ऋतुओं का उपहार
ऋतुओं का उपहार, मास ये सावन-भादो
होते पूरे साल, माह श्रेष्ठतम यही दो
महावीर कविराय, ख़ुशी बारिश में औसम
सबकी ख़ातिर ख़ास,बरसात का यह मौसम

तन-मन फिर खिलने लगे, आयी है बरसात
अक्सर खुशियाँ साथ में, लायी है बरसात
लायी है बरसात, मौज मस्ती में झूमे
काग़ज़ की इक नाव, संग ले बालक घूमे
महावीर कविराय, हुए मोहित काले घन
रिमझिम गिरती बून्द, भीगते जाएँ तन-मन

वर्षा ही इस विश्व को, देती जीवनदान
लौटे फिर बरसात से, कोटि-कोटि में प्रान
कोटि-कोटि में प्रान, सभी के मन हर्षाये
हरियाली के राग, सुनाते वन मुस्काये
महावीर कविराय, सदा ही जन-जन हर्षा
जब जब वर्षा गान, सुनाती आई वर्षा

सावन के बदरा घिरे, सखी बिछावे नैन
रूप सलोना देखकर, साजन हैं बेचैन
साजन हैं बेचैन, भीग न जाये सजनी
ढलती जाये साँझ, बढे हरेक पल रजनी
महावीर कविराय, होश गुम हैं साजन के
मधुर मिलन के बीच, घिरे बदरा सावन के

मधुरिम मधुर फुहार है, बरखा की बौछार
शीतलता चारो तरफ़, मन पे चढे ख़ुमार
मन पे चढे ख़ुमार, हृदय को भाते प्रेमी
गिरी सभी दीवार, झूमते गाते प्रेमी
महावीर कविराय, पड़ीं बून्दें ज्यों रिमझिम
मनभाये बौछार, फुहार लगे त्यों मधुरिम

छह ऋतु बारह मास हैं, ग्रीष्म, शरद, बरसात
स्वच्छ रहे पर्यावरण, सुबह-शाम, दिन-रात
सुबह-शाम, दिन-रात, न कोई करे प्रदूषण
वसुंधरा अनमोल, मिला सुन्दर आभूषण
जिसमें हो आनंद, सुधा समान है वह ऋतु
महावीर कविराय, मिले ऐसी अब छह ऋतु

नदिया में जीवन बहे, जल से सकल जहान
मोती बने न जल बिना, जीवन रहे न धान
जीवन रहे न धान, रहीमदास बोले थे
अच्छी है यह बात, भेद सच्चा खोले थे
महावीर कविराय, न कचरा कर दरिया में
जल की कीमत जान, बहे जीवन नदिया में

होंठों पर है रागनी, मन गाये मल्हार
बरसे यूँ बरसों बरस, मधुरिम-मधुर-फुहार
मधुरिम-मधुर-फुहार, प्रीत के राग-सुनाती
बहते पानी संग, गीत नदिया भी गाती
महावीर कविराय, ताल बंधी सांसों पर
जीवन के सुर सात, गुनगुनाते होंठों पर

कूके कोकिल बाग़ में, नाचे सम्मुख मोर
मनोहरी पर्यावरण, आज बना चितचोर
आज बना चितचोर, पवन शीतल मनभावन
वर्षाऋतु में मित्र, स्वर्ग-सा लगता जीवन
महावीर कविराय, युगल प्रेमी मन बहके
भली लगे बरसात, ह्रदय कोकिल बन कूके

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 22.02.2023

जब उनकी याद में हम दिल निकाल देते हैं!
वो हमको रोज़ नया इक ख़्याल देते हैं!

बँधै हों पेट पे पत्थर ज़बाँ से हक़ निकले,
हम अपने बच्चों को दर्से बिलाल देते हैं!

समझ में आती नहीं बात जब खरी खोटी,
तो आस्तीनें मसल कर खँगाल देते हैं!

जो ऐसा कहता है अब मुझको भूल जाओ तुम,
हम ऐसे वैसों को दिल से निकाल देते हैं!

ख़ुदा का शुक्र कमाते हैं अपनी मेहनत से,
हम अपने बच्चों को लुक़्मे हलाल देते है!

यहाँ पे ऐसे भी सम्मान हो रहा है जनाब,
नवाज़ते हैं तो सस्ती सी शाल देते हैं!

खुदाई बैर हो जैसे उन्हें ख़ुशी से अबस,
अजीब लोग हैं रंजो मलाल देते हैं!

लकी ने पाया है सब कुछ जनाब विरसे में,
तभी तो लोग हुनर की मिसाल देते हैं!

Written By Mohammad Sagheer, Posted on 30.01.2022

शाम

SWARACHIT5022

Aditi Goyal
~ अदिति गोयल (बिन्नी)

आज की पोस्ट: 05 June 2023

आज क्या ख़ुशी की शाम है,
हर किसी के हाथ में जाम है,
दिल की ख्वाहिशें सबके दिल में है
फिर भी हर कोई यहां आम इंसान है।
आज क्या ख़ुशी की शाम है।

हर कोई शख्श दे रहा,
हर किसी को अंजाम है।
किसी की जुबां पर,
नहीं कोई लगाम है।
अच्छा करता नहीं कोई काम है,
फिर भी हर किसी के होठों पर
सच्चाई का नाम है।
आज क्या ख़ुशी की शाम है।

Written By Aditi Goyal, Posted on 05.06.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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