सुबह की पहली किरण के साथ ही
दाने - पानी के लिए परिंदे
अपना घोंसला छोड़ देते है।
इंसान भी अपने सपनो को
पोटली में बांधकर
पहली भोर के साथ निकल जाता है
ताकि इस धधकती जठराग्नि को
आहुति दे सके।
दुनिया की इस भूल-भुलैया में
सच में वो एक पहेली-सी ही है
अठारह बसन्तों तक वो
खूब बढ़ी और खेली है
जीवन की इस अल्पावधि में
कामनाओं की बड़ी कतार में
पूरी हो रही है जब मेरी यात्रा
स्मृतियों में झूल रहा ये मन है
नदी बीच झूलती नाव
चली अब घर की ओर है
चंचल चित्त शिशु मन में
सवालों की बड़ी उलझन है
बैलों सरीखा श्रम साधक भविष्यवेत्ता मन
अब विश्रांति में चला जाना चाहता है मन
कोरोना के ख़ौफ़ से, जीव-जन्तु भयभीत
चीन की खुराफ़ात से, उत्पन्न मृत्यु गीत
उत्पन्न मृत्यु गीत, कौन उसको समझाये
उसके नए प्रयोग, विश्व पे विपदा लाये
महावीर कविराय, मृत्यु का क्या अब रोना
कुदरत से खिलवाड़, वायरस है कोरोना
कोरोना सीखा दिया, विश्व को नमस्कार
अनचाहे ही घुल गए, भारतीय संस्कार
भारतीय संस्कार, बन रहे शाकाहारी
एक दिन बिना मांस, रहे ना जो नर-नारी
महावीर कविराय, महामारी फिर हो ना
करो शवों का दाह, जले उसमें कोरोना
कोरोना के तेज़ से, बचा न कोई शख़्स
हर किसी के दिमाग़ में, कोरोना का अक्स
कोरोना का अक्स, जगत में सर्वत्र छाया
यह चीनी षड्यंत्र, काट कोई ना पाया
महावीर कविराय, रोज़ का है अब रोना
रोग बड़ा विकराल, नाम जिसका कोरोना
जो तुम अपनी इच्छाओं को
मारते हो ना
जिनके लिए
वही एक दिन कहते हैं
हमने नहीं कहा था
और हमसे पूछा था
इसलिए जो पल है
जी है जीवन में
उन्ही को जी लो
वक्त का कोई
भरोसा नहीं
Written By Seema Ranga, Posted on 19.03.2023माहे रमज़ान ख़त्म होने को है
खुशियों की सौगात लिए ईद आने को है!
गरीबों के घर से भी मिठी सेवइयों की खुशबू आए
बस इतना सा ख़ाब दिल में उतर जाने को है!
चांद रात में मेंहदी की खुशबू से
हवाएं महक जाने को है!
सबके चेहरे की खुशी से
इलाकों में रौनक आने को है!
नफ़रत के चिंगारियों पर
मुस्बत-फ़िक्र की पानी फिरने को है!
मोहब्बत ही मोहब्बत चारों तरफ़
फिज़ाओं में फैल जाने को है!
नियत साफ़ कर, गले मिलकर
सभी गिले- सिखवे दूर करने को है!
फिर से भाईचारे की मिशाल को
एक नए मुकाम तक पहुंचाने को है!
दुनियां में फैली हुई हिंसा पर
अब शुकून की चादर बिछने को है!
उपर वाले के रहमों करम से
खुशियों की सौगात लिए ईद आने को है!
Written By Mili Kumari, Posted on 17.04.2023कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।