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Thursday, 18 May 2023

  1. वृक्ष
  2. हर उत्सव से डर लगता है
  3. केवल यादें रह जाती हैं
  4. परिधि का नवनिर्माण
  5. सर्वश्रेष्ठ कवि सूरदास

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वृक्ष

21WED02012

Manoj Bathre
~ मनोज बाथरे चीचली

आज की पोस्ट: 18 May 2023

अगर वृक्ष सब 

खामोश हो जाएं

तो क्या होगा

कभी सोचा है

हमने इस विषय पर

नहीं

हम तो सिर्फ

स्वयं की सोच में ही

निरंतर चलायमान है

पर हम जिस 

प्राणवायु के दम पर

चल रहें हैं

उसके लिए भी हमें

कुछ करना होगा

जन सामान्य में

जागरूकता लाना होगी 

जिससे जीवन दायिनी 

प्राणवायु को बचाया जा सके

इसके लिए हमें

एक संकल्प लेना होगा

कि हम अपने जीवन में

अनेक वृक्ष अवश्य लगाएंगे।।

Written By Manoj Bathre , Posted on 11.05.2021

उत्सवों को में अब नकारने लगा हु
कोई भी उत्सव से 
मन मे कोई दीप नही जलता।
कोई रंग असर नही करता।
मैंने बहुत प्रयास किया
बहुत गहरे तक मे 
अपने अंदर तक लौटा।
मगर कोई उमंग
कोई उत्साह मुझे 
स्वयं में नहीं दिखा।
कुछ जख़्म हरे नजर आए
कुछ खामोशियाँ गुनगुनाती दिखी
मगर उत्साह, उमंग 
नदारद ही मिले।
अब उत्सवों से डर सा लगता है।
काश मेरे पास 
हाथी की तरह दांत होते 
तो में भी भीड़ की तरह 
दुसरो को दिखाने के लिए 
झूठा ही चेहरे पे नकाब 
पहन लेता मगर अफसोस
में जमाने के साथ 
नही चल पाया 
अब हर उत्सव से डर लगता है।
कहाँ तक अपने जख़्म छुपाऊ।

Written By Kamal Rathore, Posted on 21.11.2021

दुनियाँ में कौन कोई हमेशा रह पाता है
गिनती की सांसें पूरी कर अलविदा कह जाता है
रह जाती हैं केवल यादें जो हमेशा तड़फाती हैं
इंसान अकेला आया था अकेला चला जाता है

रहें न रहें यह कोई बड़ी बात नहीं
काम ऐसा करे जिसे लोग याद करें
भलाई के कामों में अर्पित कर दें तन मन
व्यर्थ में अपना समय यूं न बर्बाद करें

गठरी में बांध के रख लो बेशक
पैसा कभी साथ नहीं जाएगा
खाली हाथ आया था इस जहां में
वक्त आने पर तुझे कोई नहीँ रोक पायेगा

आना जाना तो लगा रहता है
जानेवाली की याद बहुत आती है
अकेला होता है जब कोई
तो यादें बहुत तड़फ़ाती हैं

Written By Ravinder Kumar Sharma, Posted on 18.12.2021

 

इस नश्वर संसार का प्रत्येक जीवन्त नियम
आज के आधुनिक युग में
लिपट गया है
सुनहरे वर्तमान की नई युवा पीढ़ी के बलशाली कदमों से
एक लोहे की जन्ज़ीर बनकर
विद्रोह
हाँ! विद्रोह सिसक रहा है
विस्फोट करने को लावा उबल रहा है क्योंकि
ज्वालामुखी के मुख पर रख दिया गया है
प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का भारी पत्थर
हमारे समाज के मक्कार व धूर्त कर्णधारों के द्वारा
हलचल लेती जा रही है शोर का रूप
क्रांति का जन्म बग़ावत से ही होता है
सामने खड़ी है चक्रवात बनकर
जवान ख़ून की आँधी
इन नियमों को निगलने के लिए
आओ सबकुछ भूलकर
आज एक निर्णय लें 
अपने विचारों के व्यास को बढ़ाकर
अपने मस्तिष्क रूपी घेरे को बड़ा करें 
परिधि को तोड़ना नहीं है 
पुरानी परिधि के अस्तित्व को नकारकर
स्वयं निर्माण में लग जाएँ
एक नई उज्जवल परिधि के
हाँ! नवनिर्माण में लग जाएँ।

 

Written By Anand Kishore, Posted on 17.05.2021

ता-उम्र श्री कृष्ण भक्ति में किया आपने व्यतीत
हिन्दी-साहित्य में सूर्य उपाधि से हुऐ है प्रसिद्ध।
सूरसागर सूर सारावली साहित्य लहरी यें रचित
महाकवि सूरदास से हुऐ आप बहुत ही प्रसिद्ध।‌।

मदनमोहन था बचपनें में कभी आपका ये नाम
सूरदास उपाधि देकर बढ़ाया है गुरुदेव ने मान।
महाप्रभु वल्लभचार्य के सबसे नेक शिष्य आप
वात्सल्य भाव के श्रेष्ठ कवि ऐसी आपकी शान।।

हिंदी काव्य में लिखी रचनाऍं व पद सवा-लाख
निर्धन पिता पं. रामदास और माता जमुनादास।
ब्रजभूमि पर ब्रज भाषा में रचा आपने इतिहास
नदी किनारें बैठकर पद लिखतें थे यह सूरदास।।

आगरा के रुनकता या फिर सीही में हुआ जन्म
गायन गातें लिखते सुनाते दोहे पदों को हरदम।
नहीं थे नैन फिर भी लिखते करतें सजीव वर्णन
श्री कृष्ण लीला और श्रृंगार रचनाओं में है दम‌।।

बिना देखें ही लिख दिया वास्तविकता की छवि
इसी लिए इनको कहते वात्सल्य सर्वश्रेष्ठ कवि।
१६ ग्रंथ लिखें इन्होंने श्रीकृष्ण भक्ति के रस पर 
इस-दृष्टि से सूरदास को कहा जाता है ये कवि।।

Written By Ganpat Lal, Posted on 08.05.2022

Disclaimer

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