हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Wednesday, 24 May 2023

  1. आत्ममंथन
  2. मुझे जीने दो न
  3. मेरी कविता
  4. उनका प्यार
  5. मां
  6. बहाना है

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आत्ममंथन

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Mahavir Uttaranchali
~ महावीर उत्तरांचली

आज की पोस्ट: 24 May 2023

``सम्पूर्ण विश्व में मेरा ही वर्चस्व है,`` भूख ने भयानक स्वर में गर्जना की।

``मै कुछ समझी नहीं,`` प्यास बोली।

``मुझसे व्याकुल होकर ही लोग नाना प्रकार के उद्योग करते हैं। यहाँ तक कि कुछ अपना ईमान तक बेच देते हैं,`` भूख ने उसी घमंड में चूर होकर पुन: हुंकार भरी, ``निर्धनों को तो मै हर समय सताती हूँ और अधिक दिन भूखे रहने वालों के मैं प्राण तक हरण कर लेती हूँ। अकाल और सूखा मेरे ही पर्यायवाची हैं। अब तक असंख्य लोग मेरे कारण असमय काल का ग्रास बने हैं।``

यकायक मेघ गरजे और वर्षा प्रारम्भ हुई। समस्त प्रकृति ख़ुशी से झूम उठी। जीव-जंतु। वृक्ष-लताएँ। घास-फूस। मानो सबको नवजीवन मिला हो! शीतल जल का स्पर्श पाकर ग्रीष्म ऋतु से व्याकुल प्यासी धरती भी तृप्त हुई। प्यास ने पानी का आभार व्यक्त करते हुए, प्रतिउत्तर में ``धन्यवाद`` कहा।

``किसलिए तुम पानी का शुक्रिया अदा करती हो, जबकि पानी से ज़्यादा तुम महत्वपूर्ण हो?`` भूख का अभिमान बरक़रार था।

``शुक्र है मेरी वज़ह से लोग नहीं मरते, ग़रीब आदमी भी पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेते हैं। क्या तुम्हें भी अपना दंभ त्यागकर अन्न का शुक्रिया अदा नहीं करना चाहिए?``

प्यास के इस आत्म मंथन पर भूख हैरान थी।

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 20.02.2023

मुझे जीने दो न

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Mili Kumari
~ मिली कुमारी

आज की पोस्ट: 24 May 2023

बहुत चिंतित हूं
मुझे निश्चिन्त होने दो न !
मेरे पैर बंधे है
मुझे उड़ने दो न !

डरी हुई हूं
मुझे थोड़ा खुलने दो न !
मेरे बहुत से सपने है
उन्हें पुरे करने दो न !

व्याकुल हूं
स्थिर होने दो न !
मन में सवालों के सैलाब आए है
उन्हें थोड़ा अचल होने दो न !

एकांत में रहना चाहती हूं
एकाकी छोड़ दो न !
मैं जीना चाहती हुं
मुझे जीने दो न !

Written By Mili Kumari, Posted on 28.03.2023

मेरी कविता

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Bharatlal Gautam
~ भरत लाल गौतम

आज की पोस्ट: 24 May 2023

थोड़ी मिली है,थोड़ी मिलाई,

थोड़ी मेरी है,थोड़ी पराई,

थोड़ी कमाई है,थोड़ी चुराई,

जोड़-तोड़ के, सोच समझ के,

ये कविता मैंने है बनाई,

ये न कहना ये कविता मेरी है,

ये लब्ज मेरी है चुराई,

माना कि ये शब्द पहले आपने अपनाए,

लेकिन ये शब्द आपने भी तो कहीं से उठाए,

कहीं पढ़ के कहीं सुनके आपने भी अपनाए,

आपने खुद से कोई शब्द कहां है बनाए,

हमने भी कही से देख सुनकर इसे लाए,

अक्षर- अक्षर चुन -चुन मोती हमने है बनाई,

बड़ी मेहनत की है अकल हमनें है लगाई.

Written By Bharatlal Gautam, Posted on 19.04.2023

उनका प्यार

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Manisha Kumari Jha
~ मनीषा कुमारी

आज की पोस्ट: 24 May 2023

 मिलने को भी कहते हैं, फिर मिल नही पाते हैं 
 बोलते है बहुत याद करता हूं फिर बात भी नहीं करते हैं,
 कैसे जीए यादों के सहारे जब वो मुलाकात ही नही करते हैं
 न जानें कैसा हैं ये उनका प्यार कभी हम समझ ही नहीं पाते हैं,
 
सोचती हूं सुबह से शाम कभी मुलाकात होगी उनसे,
दिल की बाते भी कभी अहसास होगी  उनको,
न जाने कब वो लम्हा वो पल आएगा जिंदगी में,
जब एक दुसरे के लबों पे प्यार की कुछ गुफ्तगू होगी,

नाराज भी खुद हो जाते हैं, फिर प्यार जताते हैं,
सपने में आकर अपना होने का एहसास भी कराते हैं,
कहते है तुम्हारे ही लिए तो हूं बना है मैं 
फिर न जाने वो  क्यों वो  हर पल मुझसे जी चुराते हैं,

बस कहते मिलना है तुमसे आज बहुत प्यार से बुलाते हैं,
फिर वक्त देकर वो वक्त देना भूल जाते हैं,
क्या खता हुई है हमसे या कोई उनकी मजबूरी है,
कौन सी ऐसी जिम्मेदारियां तले हमदोनों में दूरी हैं,

जब वो प्यार करते है तो,फिर इजहार करने से कतराते हैं,
ऐसे न जाने कितने सालों से मुझे इंतजार वो कराते हैं,
क्या करूं मैं की वो मेरे हो जाएं कुछ पल के लिए,
कैसा है उनका प्यार जो मुझसे नहीं जताते हैं...

Written By Manisha Kumari Jha, Posted on 27.04.2023

मां

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Abhishek Jain
~ अभिषेक जैन

आज की पोस्ट: 24 May 2023

तुम्हारे शब्द

बने मेरी कविता।

जिसको मैंने

गाया है।

मां भगवान है।

जिसको मैंने पाया है।

भटककर जब भी

उलझा था मैं।

मां समझाने है आती है।

ख़ुदा को

देखा जब भी मैंने।

मां ही नजर आती है

Written By Abhishek Jain, Posted on 14.05.2023

बहाना है

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Kunal Kanth
~ कुणाल कंठ कामिल

आज की पोस्ट: 24 May 2023

मुद्दा धर्म संकट में ये तो इक बहाना है 

इसके आड़ में सब को कुर्सी बचाना है 

 

तुम वोट दो हम तुमको बस जंजीर देंगे

आज के नेता का यही नारा यही तराना है 

 

ऐसे कैसे असल मसले पे बात हो काम हो

हिंदू मुसलमां कर रास्त से भी तो भटकाना है 

 

युहीं नहीं घोटाले मामले में विपक्ष भी शांत रहा

यार ले दे कर हर किसी को यहाँ सरकार बनाना है 

 

पहले घर घर घूम भीख माँगना फिर ये बुलडोज़र

मियां जम्हूरियत में राज पाट का ये अंदाज सुहाना है

 

अच्छे दिन अच्छे दिन नहीं कुछ नया सोचो इसबार

टोपी के साथ साथ सबको फूल पैंट भी पहनाना है

Written By Kunal Kanth, Posted on 21.05.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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