जय अंबे जगदंबे मैया-जय अंबे जगदंबे .....2
जय अंबे जगदंबे मैया-जय अंबे जगदंबे .....2
शेरसवारी करके आईं मेरी मैया अंबे....2
शेरसवारी करके आईं मेरी मैया अंबे....2
भाग जगाने देखो आईं मेरी मैया अंबे............
शेरों वाली का दरबार निराला रे.....2
मेहरों वाली का दरबार निराला रे....2
ऊंचे पर्वत लंबा रस्ता-
ऊंचे पर्वत लंबा रस्ता (कोरस)
कटरा के ऊपर बाण गंगा-
कटरा के ऊपर बाण गंगा (कोरस)
उसके आगे गर्भजून में नौ मास डेरा डाला रे.......
शेरों वाली का दरबार निराला रे- मेहरों वाली का दरबार निराला रे....
दक्षिण में रत्नाकर सागर-
के घर जन्मीं मोरी मैया..
श्रीधर के सपनों में उत्तर-
आकर बोली मेरी मैया...
कर भंडारा ना डर अब तू, होगा तेरा बोलबाला रे.....
शेरों वाली का दरबार निराला रे- मेहरों वाली का दरबार निराला रे....
भैरव पीछे पड़ा मैया के-
माता आगे भैरव पीछे
पवनपुत्र जो आए लड़ने
तब भी खल यह ना ही संभले
महाभवानी बन मैया ने सिर-धड़ अलग कर डाला रे....
शेरों वाली का दरबार निराला रे- मेहरों वाली का दरबार निराला रे....
सिंहसवारी के दर्शन से
गुलाबराव भी थे चकराए
भार्या वहीणा को संग लेकर
सीधे त्रिकूटा पर्वत धाए
लक्ष्मी-शारदा बन माता ने करा जो उजियारा रे....
शेरों वाली का दरबार निराला रे- मेहरों वाली का दरबार निराला रे....
दु:ख सबके हरती मेरी मैया
सुख से झोलियां भरती मैया
कहे ‘सुरेंद्रा’ ना घबराना
हर संकट में मां को ध्याना
शक्ति बन मां दूर करेगी जीवन का अंधियारा रे......
शेरों वाली का दरबार निराला रे- मेहरों वाली का दरबार निराला रे..
आओ सुनाता हूं अपनी कहानी,
निःस्वार्थ प्रेम की कहानी, अपनी जुबानी
मां के छोटे शब्द में ब्रह्मांड है समाई,
दुख दर्द सहे ठोकरे खाई,
जन्म दे मुझे धारा पर लाई,
प्रतिकूल परिस्थितियों को ठेंगा दिखाई,
खुद भूखे रह मुझे पिलाई,
समाज के तिरस्कारों को आन बनाई,
बहते आंसू आंचल में सुखाई,
मेरी परवरिश का जिम्मा उठाई,
झाड़ू लगाई, पोंछे लगाये,
दूसरे घर बर्तन धो, चंद रुपए कमाये,
फिर भी मेरे सारे नाज नखरे उठाती,
गोद में बिठाती, लोरी सुनती,
समय बिता कुछ बड़ा हुआ,
मां की तकलीफों का तब भान हुआ,
असहाय संग लाचार था,
छोटा मगर समझदार था,
मां परवरिश में कोई कसर न छोड़ती,
तिनका तिनका जोड़ घर को चलाती,
बड़े प्यार से मुझे खिलाती,
खुद भूखे प्यासे वो सो जाती,
समय बदला स्थिति में आया सुधार,
फिर भी न बदला मां का प्यार,
आज भी जब होता परेशान,
मां की गोद में सर रखते, होता निदान,
निस्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति,
सारे खुशियों की करती पूर्ति,
मां के त्याग और बलिदान को,
न कर सकता है कोई पूरी,
मदर्स डे पर सभी माताओं की हर मुरादे हो पूरी,
ऐसी अभिलाषा दिल की गहराईयों से है मेरी,
दोस्ती प्यार दार सब बाब पलकों पर
तिरा हर ख़्याल ओ ख्वाब पलकों पर
बस बिछड़ने की कोई बात मत करिए
इसके अलावा गुस्सा रुआब पलकों पर
तुमसे जो मिले सब तुम्हारी उबूदियत है
अब हलाहल खार या गुलाब पलकों पर
तुमसे मोहब्बत है बेपनाह मोहब्बत है जां
इसके लिए हर तरह का तुराब पलकों पर
तुमने हि देर कर दी हुकुम में मैने कहा था
तिरा हर हुकुम सवाल जवाब पलकों पर
Written By Kunal Kanth, Posted on 20.05.2023मोक्षदात्री गौ माता,
मंगलमय वरदान।
भवसिंधु से उद्धारती,
करती जगत कल्याण।
आज के युग में है बड़ी,
गौमाता लाचार।
मिलकर सारे प्रण करें,
होवे न अत्याचार।
गौ सेवा सबसे बड़ी,
पाया कभी न पार।
धनधान्य से भर देती,
हम सबका घरबार।
प्रभुत्व क्षमता मिले सदा,
हो न जिससे अधीर।
गौ सेवा करते रहे,
बनकर वीर कबीर।
गौ मेरी आराध्य है,
गउ ही मेरा मान।
जिसके चरणों में हमें,
मिलता सकल जहान।
हमारा जीवन है शायद 70-80 सालो का खेल,
फिर कभी नही होगा वर्तमान के संसारियों से मेल|
जीवन के 10 साल बचपने का पता नही कब बीता,
हर साल खुश होकर हमने काटा हैप्पी बर्थडे का फीता|
20 साल की उम्र तक हमने की पढ़ाई,
फिर शुरू हुई जीवन में संघर्ष की लड़ाई|
30 साल तक रोटी कपड़ा के लिए दौड़े भागे,
हमे तो पता ही नही चला कब सोए कब जागे|
30- 40 साल की भी है बहुत अजीब अनुभूति,
परिवार बढ़ते ही शुरू हो जाती एक नई चुनौती|
40 के बाद कमजोर होने लगता शरीर और जोश,
50 साल के होते ही नई पीढ़ी दिखाती अपना धौंस|
60 साल के होते होते हम होते अपनो से ही लाचार,
फिर अकेले से करते क्या खोया और पाया का विचार|
यही तो है हमारे जीवन का असली सार,
70 साल के होते होते हम बन जाते है भार|
फिर 80 में याद आते राम जब बढ़ता बहुत कष्ट,
तब समय आ जाता जब होना होता है हमको नष्ट|
यही होती है हम सबके सम्पूर्ण जीवन की लंबी यात्रा,
इसे पढ़ने वाले अभी से बढ़ाएं राम नाम लेने की मात्रा|
Written By Avinash Rai, Posted on 19.05.2023दिल मे आज भी
कुछ बातें ऐसी गई जो
कह न सकी तुमसे
तुम्हारी अमानत बन
आज भी पड़ी है
वह अनकही और
अनसुनी बाते
बोझ न जाने
कब तक ढोती रहूं
कब तुम आओगे
कि मैं सुकून से
बैठकर तुम्हें सारी
बातें बोल कर
भार मुक्त हो जाऊं
और भूल जाऊं
तुम मेरे लिए क्या हो
और मैं तुम्हारे लिए क्या हूँ
आज है पूर्णिमा की रात,
चाँद की भी है नयी बात,
इतराते गगन ने की रौशनी से मुलाकात,
चमकते तारे और जुगनू भी आये साथ,
आज है पूर्णिमा की रात..।
चंचल मन को भी है ,
किसी से मिलने का इंतज़ार,
आये कोई मिलने,
मिलने को ये दिल है बेकरार,
आये यूं वो मिलने हमसे,
जैसे चाँद आये चांदनी के साथ,
आज है पूर्णिमा की रात..।
आसमान ने जैसे पकड़ा ,
आज है किसी का हाथ,
चाँद भी अन्य रात,
से लाया बड़ी सौगात,
तारों ने भी है क़ी आज,
खुशियों की बरसात,
आज है पूर्णिमा की रात..।
मां आज मदर्स डे है आपकी डायरी मेरे हाथ में है ।आप हमारे साथ नहीं हो बहुत याद आते हैं बीते दिन और आप , आज मैं भी मां हूँ पर शायद आप जैसी नहीं बन पाती ।सुबह की कड़कड़ाती ठंड में पता ना कितने बजे बिस्तर छोड़ देती थी । आज जैसी सुविधाएँ भी नहीं थी घर में पर मां के चेहरे पर कोई शिकन नहीं बस धुन थी बच्चों को पढ़ाना है और अच्छा भविष्य देना है।
मां की दी हुई शिक्षा आज समझ में आती है वह कहती थी जहां जाओ अपने व्यवहार से दूसरों को अपना बना लो ।मां पापा के ना रहते हुये आपने बहुत कष्टों से उच्च शिक्षा हम बहनो को दिलवाई ।
आज मुझे बहुत बातें आपकी डायरी पढ़कर पता लगी है। वह डायरी हमेशा संभाल कर रखती थी आज पहली बार मुझे पता लगा की आपने शादी अपनी मर्जी से की थी दोनों ओर के परिवार में से कोई राजी नहीं था ।आपकी शिक्षा अधूरी रह गयी थी । पापा शुरू में आपका बहुत ख्याल रखते थे बाद में वह बदलते चले गये । दो साल में हम दोनों बहनों का जन्म हो गया ।कुछ दिन बाद अपने परिवार के कहने से वह आपको छोड़ कर चले गये । आपने मौन साध लिया और प्रण करा कि अपनी बेटियों को इस लायक बना दूगी कि वह किसी पर आश्रित ना रहें । आपने उस प्रण को पूरा किया मुझे प्रोफेसर और छोटी बहन को इंजीनियर बना कर दिखा दिया की मां की ममता के आगे सब नत मस्तक हो जाते हैं।
जिससे हमारा सबसे पावन है नाता
जिसके बिन हमें कुछ नहीं है भाता।
वह एक ही तो है हमारी माता
हम सबकी है भाग्य विधाता।।
प्रेम,आदर,सम्मान की भाषा सिखलाती
सही-गलत,गुण-अवगुण सब बदलती।
हमारी जिम्मेदारियों का ज्ञान करवाती
दिल खोलकर हमसे ही तो बतियाती।।
मां का संघर्ष ही तो है हमारी कामयाबी
जो हर फर्ज निभाती है बखूबी।
मां से सुंदर नहीं है कोई छवी
जिसके अंदर हजारों आकांक्षाएँ हैं दबी।।
मां से बढ़कर बच्चे के लिए नहीं दूजा भगवान
उसकी ममता से बढ़कर करें प्रेम ऐसा नहीं कोई इंसान ।
मां के ऋण से उऋण हो ऐसा नहीं कोई संतान
मां की दुआओं से बड़ा नहीं कोई वरदान ।।
भाग्य वह फुल है,
जो किस्मत के खेत में उगती है,
व्यवहार के संग खेलती है,
सोच के संग बड़ी होती है,
विश्वास से सींचती है।
भाग्य वह फुल है,
जो अपनी खुशबू किस्मतवालो को ही देती है,
अच्छे नसीब वालों के बाग में ही खिलती है,
अच्छे कर्म करने वालो को ही सुगंध देती हैं।
भाग्य वह फुल है,
जो किस्मत के खेत में ही उगती है।
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