हम निज नेह उन पर लुटाते रहे।
वो हमे देख दूर ही जाते रहे ॥
वो मिले एक बार बेरुखी से बङी।
बोले उर से तुम्हे हम भुलाते रहे ॥
बेरुखी की जब उनसे पूछी वजह।
बस देख मुझको वो आँसू बहाते रहे ॥
जिस अमानत पर खुद को गुरुर था तुम्हे।
अपने हाँथो से तुम खुद लुटाते रहे ॥
अब हो पूछते बेरुखी की वजह।
पूछना था जब तो कतराते रहे ॥
वक्त के साथ माँगो तो सब मिलेगा।
राजू बाद पछताओगे सब बताते रहे ॥
मां तू ही कल्याणमयी है, तू ही ममतामयी हैं,
तेरे ही नाम जगदम्बा है,तेरे ही नाम मां दुर्गा है,,
मां तू ही शैलपुत्री तू ही गिरिजा भवानी हैं,
तेरे ही नाम सिद्धिदात्री है, तेरे ही नाम महागौरी हैं,
कभी कालिका तो, कभी महालक्ष्मी बन जाती हो,
भक्तों की रक्षा के लिए दुष्ट राक्षस से भी लड़ जाती हो,
कभी दुर्गा तो कभी पार्वती बन शंकर संग विराजती हो,
शेरों वाली मां, हम भक्तो को हर विपदा से बचाती हो
जगत के पालनहार हो, भाग्य विधाता कहलाती हो,
विश्व का कल्याण करती, सब कष्टों से बचाती हो,
अपनी कृपा से भक्तो को भवसागर से पार करती हो,
भक्तों की जिंदगी सवारती हो,अपने सीने से लगाती हो,
हे मां तेरे हजार स्वरूप है, उसमे हम खोए रहते हैं,
तुझे मां, तुझे पिता तुझे ही अपना सर्वस्व मानते हैं,
तुम्हारे बिना इस दुनियां में कोई नहीं है मां मेरा,
आपके शरण में आई हूं, हे जगदंब तुझे पुकारते हैं,
सारी दुनिया तेरे ही कृपा दृष्टि से चलती हैं,
तेरे मर्जी बिना कोई भूखा नही रह सकता हैं,
तू ही श्रृष्टि रचयिता है, ज्ञान प्रकाशिनी मां है,
तू विश्व संचालिनी मां, तू दैत्य संहारिणी मां है,
शक्ति प्रदायिनी, जीवन में हर काज सवारिणी है,
तू ही जगत जननी मां, तू ही ब्रह्मचारिणी है,
सकंदमाता है तू , तू ही कालरात्रि है,
शुभफलदायिनी है तू ही कष्ट निवारिणी है,
भाग्य बनाने वाली मां दुख को मिटाने वाली है,
मां तेरे रूप हजार है, तेरी महिमा अपरंपार है,
हर हार जीत के रूप में, हर संघर्ष में समायी है,
कण कण में हर धूप में छांव बन समायी है,
आपका नाम स्मरण से ही मन पावनमयी हो जाता हैं,
एक बार जो तेरा दर्शन हो जाए मन हर्षित हो जाता हैं,
तेरे दर पे जब आते हैं, मन का हर कोना पुलकित हो जाता हैं,
तेरे रूप को सुमिरन कर लूं जीवन सपनो से सुंदर हो जाता हैं।।।
विस्तृत विशाल,
अखंड ये भूखंड हमारा।
हिंदुस्तान हिंदुस्तान
प्यारा हिंदुस्तान हमारा।
प्रफुल्लित करती,
ललित लताएं जिसकी।
वीर शहीद और वीरांगना,
माताए जिनकी। प्राकृतिक,
सांस्कृतिक, की सुखद छटाँएं।
मिलकर नाचें सब,
मिलकर धूम मचाएं।
लहर लहर लगाये देखो,
तिरंगा प्यारा।
सारी दुनिया से जुदा है,
मेरा भारत प्यारा।
हम सब खायें कसमें,
भारत माँ की शान की।
मातायें, दादा, दादी,
सुनायें गाथाएं बलिदान की,
बढ़े चलो बढ़े चलो,
दुश्मन को मार गिराना है,
छाती पर दुश्मन की,
हमको तो चढ़जाना है,
भस्मीभूत तन-बदन सारा महिमा अनंत है,
शिव ही जीवन-मृत्यु, शिव ही आदि-अंत है।।
जय-पराजय लय-प्रलय,शिव के ह्रदय बसे,
शिव ही घनघोर अंधेरा, शिव ही उदय हसे।।
उमापति,कैलाशनाथ,सुख-समृद्धि के दाता,
सकल चराचर आठों याम,शिव..शिव गाता।।
भांग धतूरा मन भाए,नही भाए महल अटा,
है जगत में आलौकिक,शिव-शम्भू की छटा।।
सखा सिंह,नन्दी,मूषक देवादिदेव कहलाए,
कण-कण शंकर महिमा, सकल सृष्टि गाए।।
आ जाए भूचाल धरा पर डमरू जब बाजे,
मेरे भोले भंडारी सदा कैलाशगिरि पर राजे।।
धारण करे नाग गले में, बनके नागेश्वर नाथ,
है त्रिलोकपति त्र्यंबकेश्वर रखना सदा सनाथ।।
करते कृपा सदा दीनन पर सृष्टि के करतार,
करूँ दंडवत कोटि-कोटि,सुखमय रहे संसार।।
Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 18.02.2023बिछुड़न तेरी
तड़प मेरी
धड़कन तेरी
आह! मेरी
सौदाई तेरी
मोहब्बत मेरी
यादें तेरी
इंतजार मेरा
बेवफाई तेरी
वफ़ा मेरी
भूलना तेरा
यादें मेरी
लड़ाई तेरी
प्रेम मेरा
धोखा तेरा
विश्वास मेरा
फटकार तेरी
मिलान मेरा
महबूबा तेरी
हमदर्द मेरा
जान तेरी
दिल मेरा
सांसे तेरी
तू मेरा
मैं तेरी
कलम से मोती बिखेरती पन्नो पर
एक कवयित्री अपने कविता से कहती हैं।
तू न होती तो क्या होता...
मेरी भावनाओं का कोई आश्रय न होता !
मेरे सुखी बंजर रूपी जीवन में...
तू रंग भरती है !
उदासी हो या प्रसन्नता...
मेरे हर भावनाओं को तू एक रूप देती है !
मेरी आंखों में जब अश्क आते है...
उन अश्कों को मैं संजोती हूं !
तेरे द्वारा उन अश्कों को मैं...
एक स्वरूप देती हूं !
मेरे होठों पर जब हंसी आती है...
मेरी मुस्कान को मैं तुझे सौंप देती हुं !
मेरी चेहरे की खिलखिलाहट को...
तू अपने आप में समेट लेती है !
विविध आकृति में तू होती है...
इसलिए मैं तेरी अनुरागी हूं !
बीन तेरे मेरा कोई अस्तित्व नहीं...
क्योंकि कविता ही एक कवयित्री को जन्म देती है ! -२
Written By Mili Kumari, Posted on 21.03.2023कर्मों का फल मिलेगा आज नहीं तो कल,
जो बोया है उसे काटना पड़ेगा हर पल पल।
स्वर्ग की बात नहीं इसी धरती परका है फल
सबका हिसाब किताब, आज नहीं तो कल।
गीता का है ज्ञान, भगवान ने सुनाई है तान,
जैसा कर्म करेगा फल देगा भगवान ये ज्ञान
सकल पदारथ जग माहीं,तुलसी का गान
मत भूलो इंसान, जैसा कर्म करेगा, पायेगा।
Written By Kanhaiyalal Gupta, Posted on 02.03.2023हंसता- खेलता-गुनगुनाता है।
हर फिक्र को भुलाकर,
हर दिन को एक पिकनिक की तरह मानता है।
बचपन हंसता -खेलता गुनगुनाता है।
दोस्तों के साथ मनाई एक दिन की,
पिकनिक को बचपन भूल नहीं पाता है।
बचपन हंसता- खेलता -गुनगुनाता है।
पानी पे उछलता है,हर छल को भूलता है
रेत के किले बनाता है।
जिंदगी की हकीकत से परे हो जाता है।
कागज की कश्ती में जिंदगी की होड़ भूलता है।
कुछ जानता नहीं बस ...........
दोस्तों के साथ खेलना जानता है।
स्कूल के बस्ते से परे भागना जानता है।
अपने दोस्तों के साथ जिंदगी की हर खुशी को खोलना जानता है।
बस हर दिन पिकनिक हो .....बस यही चाहता है।।
Written By Preeti Sharma, Posted on 26.03.2023मेरी तमन्ना की कोई सीमा नहीं है
क्योंकि तमन्ना तो दिल में बस्ती है
और जब तमन्ना को बहार
निकालने की कोशिश करती हूं
तो कहीं न कहीं वो दब कर रह जाती है।
क्योंकि अगर दिल को खुली छूट मिल जाये
तो ही तमन्ना बाहर आती है।
और अगर स्वतंत्रता न मिल पाये
तो वह दब कर रह जाती है ,
इसलिए मैं अपनी तम्मनाओं को
दिल में ही रहने देती हूं
क्योंकि जो तमन्ना पूरी नहीं हो सकती
उस तमन्ना को दिल में ही
दबा रहने देना चाहिए।
शरद चाँदनी सी,
मृदु, स्निग्ध
अंतर्मन में घुलती
मिसरी- सी है,
माँ।
आँचल का छाँव,
निर्मल, स्नेहिल
संगीत का दरिया
जन्नत का गाँव
माँ।
बोल है अनमोल,
ममता न्योछावर
साँस -साँस खुशबू
सुख का सागर ,
माँ ।
करुणा भरी आँखें,
आस्था, विश्वास
शब्द की भाषा
मानस की चौपाई
माँ ।
मन की अभिलाषा,
सहस्त्र ढाल
लव कुश की सीता
तजुर्बा की खान,
माँ।
बहता हुआ नूर,
गंगाजल, फूल
व्रत ,उत्सव, त्योहार
प्रेम का कुआँ
माँ।
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