यू न पत्थर बनिये कि,
टकराकर हम टूट जाए।
यू न रूठे रहिये कि,
मनाते-मनाते साँसे छूट जाए।।
हम भी चाहते है कि,
हर लम्हा आपके संग बीत जाए।
पर डर इस बात की है कि,
हमारे प्यार को किसी की नजर न जाए।
इतना न रुठिए कि,
यकीन प्यार से टूट जाए।
आज तो दिख जाऊँ लेकिन,
कल मेरी जनाजा ही उठ जाए।
फेरे सात थे कि
सात जन्म साथ निभाया जाए।
चलिये छः जन्म छोड़िये,
एक जन्म तो हमारा हुआ जाए।
Written By Birendra Narayan Das, Posted on 02.05.2023कितनी अजीब बात है न
एक माँ बाप अपनी बच्ची को
इतने अरमानों से पाल पोस के बड़ा करते हैं
पर! उसे अपने पास नहीं रख पाते
और जिसके घर वह लड़की जाती है
वे लोग अरमानों के साथ नहीं रख पाते
चाहे कितना भी अच्छा क्यूँ न हो
ससुराल, ससुराल ही होता है
कुछ एक को छोड़कर
अधिकांश के साथ ऐसा होता है -
ससुराल वाले कहते है कि
`बहु` नहीं `बेटी` की तरह रखेंगे
पर वे शायद भूल जाते है कि
बेटियां सर पे पल्लू नहीं रखती हैं
माँ को `माँ जी` नहीं
सिर्फ माँ कहा करती हैं
बेटियों से सुबह से रात तक
काम नहीं लिया जाता
कुछ बोल दे अगर अपने हक़ के लिए
तो सवाल नहीं खड़ा किया जाता
हर बात के लिए उसी पे
उंगली नहीं उठायी जाती
गलती हो जाये गर गलती से भी
तो चार बात उसे नहीं सुनायी जाती
बेटियों को बड़े छोटे का लिहाज
उतना नहीं करना पड़ता
जितना कि बहुओं को करना पड़ता है
खुद खायी है की नहीं, कोई नहीं पूछता
पर उसे सबको खिलाना पड़ता है
एक माँ, अपनी बेटी को
बड़े प्यार से सिर में तेल लगाती है
और सुबह से रात तक काम कर के
थकी हुई बहू सास को तेल लगाती है
बहु, बेटे के साथ चली जाये कही और तो
दुःख का विषय बन जाता है
दामाद, गर बेटी को न ले जाये तो
दुःख का विषय बन जाता है
बहू को बेटी तो दूर,
लोग इंसान भी समझ ले
वही बड़ी बात होगी
ससुराल भी स्वर्ग जैसा लगेगा
जब लक्ष्मी की इज्जत होगी
Written By Rashmi Pandey, Posted on 05.05.2023सबको इस जहाँ में, सीखनी चाहिए दुनियादारी
कब कौन पराया हो के,दुःख दे जाए बारी बारी,
कोई अपना नही यहाँ पर, सब नाम के रिश्ते है
सामने से सब अच्छा- अच्छा,पीछे सब हँसतें है,
इस जहाँ में धन दौलत ही, सब रिश्तो से महंगा है
खून के रिश्तें निभाने में भी, समझो बहुत ही पंगा हैं,
कोई कभी लगता है प्यारा,बातें करते प्यारी प्यारी
दिल मे उसके लेकिन रहता, तुम्हें हराने की तैयारी,
सबको इस जहाँ में सीखनी चाहिए दुनियादारी,
कब कौन पराया हो के दुःख दे जाए बारी बारी!
लोग स्वार्थी है यँहा पर,सबके अलग मुखौटें है
अपना फायदा देख कर,लोग पास तुम्हारें सटे है,
एक समय आएगा जब, यँहा लोग रिश्तों को तरसेंगे
जो दिल से जुड़ें है हमसे, उनको भी शक से तौलेंगे,
दिल के रिश्तें होते है सच्चें,मन से निभाये ये रिश्तेदारी
रिश्तों को संजोलो वरना,रिश्तों पे चलेगी स्वार्थ की आरी
सबको इस जहाँ में,सीखनी चाहिए दुनियादारी
कब कौन पराया हो के, दुःख दे जाए बारी बारी।
आशा की किरण,दिखाती कविता।
मुझको मुझ तक,लाती कविता।
अन्तर्भावों की,अभिव्यक्ति कविता।
हमें भावाभिभूत,बनाती कविता।
परोपकार और परहित कर,
खुशियां लेना सिखाती कविता।
निस्वार्थ सेवा भाव से,
हर्षित सदा करती कविता।
हृदय व्यथित होता जब,
भाव अंकुरित करती कविता।
मन भावोन्मत्त होता तब,
नवकाव्य सृजन करती कविता।
ख़ुशी गमी के हर पहलू को,
बन आइना दिखाती कविता।
मर्मस्पर्शी चित्तवन भावों को,
शब्द रूप में बताती कविता।
आना जाना लगा रहेगा,
जब तक ये जहां रहेगा।
कुछ कर्म करले तू भले,
बिन कर्म ना गाड़ी चले।
सब कुछ यहीं रह जाना,
कोठी कार और बंगले ॥
हालत तेरी गंभीर यहाँ,
तू रहता है मदहोश कहाँ।
ये मोह,माया,और लालच,
ये हिसाब होगा तेरा वहाँ॥
मोक्ष प्राप्ति लक्ष्य बना तू,
ईश्वर का सिमरन कार तू।
जन्म मरण का चक्कर ये,
इसी जन्म में पा छुटकारा तू॥
भागलपुर बालों लड़के
मठरी गठरी ठेकुआ निम्की और बांध कर सपना कसकर हौसला बांध पीठ पर बैग टूरिस्टर रखना
दही चीनी से बनाकर जतरा,
दही चीनी से बनाकर जतरा छूकर पाव निकलना
ऐसे ही अल्हड़ सपनों से,
ऐसे ही अल्हड़ सपनों से बसा एक भागलपुर
कर्जा पैचा नगद ऊधारी किस से कितना मांग माई जाने या बाबूजी या बस भगवान और ऐसे ही कितने सपनों का रखना है तुमको मान
भागलपुर वाले लड़कों ऐ लड़कियों जारी रखना तुम अभियान लौटना लेकर तुम परिणाम
भागलपुर वाले लड़कों लड़कियों जारी रखना तुम अभियान जितना जीवन का संग्राम
प्यार तो करना पर मत करना फोलो कोई रूल डेट बेट में खर्च मत करना नहीं खरीदना तुम फुल हाथों में भगजोगनी रखना कहना करो कबूल कलम पकड़कर साथ नाय चलना भले गढे तुम्हें कोई सूल रहे निशाना सदा लक्ष्य पर भटके ना जी जाना भागलपुर वाले लड़कों ऐ लड़कियों जारी रखना तुम अभियान लौटना लेकर तुम परिणाम
भागलपुर वाले लड़कों ऐ लड़कियों जारी रखना तुम अभियान लौटना लेकर तुम परिणाम
जीवन के इस अहम मोड़ पर,
देखते हैं कौन - कौन साथ है।
दिन रात कमाया था जिनसे,
कांपते आज वही हाथ हैं।
संभाल लो इन बुजुर्गों को,
ये अमूल्य विरासत हैं हमारी।
ना तो जीवन इनसे पहले था,
और ना ही जीवन इनके बाद है ॥
Written By Om Veer Verma, Posted on 29.04.2023नहीं नाराजगी दिल में,
सभी का प्यार पाना है।
हमें तो जीतनी मंजिल,
नहीं बस हार जाना है।
यहां पर प्रेम मानवता
सतत उद्देश्य बैठाना।
दिलों में प्रेम बस जाये,
यही संदेश लाना है।।
निकल परी है, टोली
हाथों में ले कर झोली ,
हम सब के छोड़ा होड़ी में,
छोड़ी है बोरा-झोड़ा ।
शुरू हुए है, बस की सवारी।
दृश्य देखी है, बाहरी
यारों के साथ आए भागलपुर ।
वहाँ के नव किरणों से हुआ स्वागत ।
देखी हैं बस्ती टोली,
ना हुए कोई नोक झोक,
ना हुआ कोई रोक-टोक ।
मस्ती किये, उस बस्ती में।
नदिओं को हम देखे है,
मंदिर भी हम घूमे हैं।
तलाश है अपनी एक दुनिया की,
गैरो के महफिल का आश नही।
जीवन अपने मर्जी से जीना है,
किसी से अनुमति नहीं लेना है।
अपनी दुनिया की तलाश कर रही हूं,
अपनी लड़ाई खुद ही लड़ रही हूं।
अपनी खुशियां तलाश रही हूं,
अपना एक नया पहचान बना रहीं हू।
एक छोटा सा घर हो,
जहां ढेर सारा चैन हो,
जहां प्यार हो, सकुन हो।
जहां मैं रहु, और रहें मेरे अंदर की कमियां ,
जहां खुद को जान पाऊं, खुद को पहचान पाऊं।
अपनी एक दुनिया की तलाश कर रही हूं।
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