हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Monday, 01 May 2023

  1. राम राम सुनते आये है
  2. कैसे कह दूं?
  3. बाबासाहेब की चाहत
  4. मैं कौन हुँ
  5. रंगत बदल रहा होगा
  6. मजदूर
  7. आनंदमई
  8. जिंदगी से जंग
  9. जब मन उदास होता है
  10. कैसी तेरी सोच

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राम राम
बचपन से सुनते आये है,
कोई बूढ़ा मिले तो
दादा राम राम
कोई बुजुर्ग मिलें तो
ताऊ राम राम
हां हां
दादी नानी
ताई चाची
सबको बड़े
अदब से राम राम
कहते आये है,
गांव देहात के चौक पर
बैठे हों चाहे
बस रेल में सवार
हम दिल से हर जान पहचान वाले

ओर अजनबी तलक कोस

सम्मान सूचक 

अभिवादन स्वरूप 
राम राम कहते आये है,
बाग़ी सत्य मर्यादा
सब सीखों राम से
देखो रामनवमी पे
हर जन जन की जिह्वा पे
कौशल्या नंदन राम के
जय-जय कारें
पूरे ब्रह्मांड में छाये है।

Written By Ajay Poonia, Posted on 30.03.2023

कैसे कह दूं?

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Surendra Gayki
~ सुरेंद्र गायकी

आज की पोस्ट: 01 May 2023

होता है खुदा सबका एक, कैसे कह दूं
मौसम है जवां रगीं, कैसे कह दूं...

होता है तो होने दो, गमजदां जहान को
चांदनी हो सकती तुम्हारी, कैसे कह दूं...

रखा तो था जिगर में तुम्हें, तुम आस्तीन में पले
अब भी बची जगह है, कैसे कह दूं.

चाहा तो ये बहोत ऐ ‘सुरेंद्र’, हमसे न टकराओ
अब सलामत बचोगे, कैसे कह दूं?

Written By Surendra Gayki, Posted on 10.04.2023

धर्म जाति से ऊपर उठकर
उनके रहे विचार,
और समाज की हर कुरीति पर
खुलकर किया प्रहार।
ऊँच नीच का भेद मिटाकर
हो सबका सम्मान,
बाबासाहेब की चाहत थी
ऐसा बने विधान।
चहुं ओर जन-जन में जागे
समरसता का भाव,
आपस में हो प्रीति निरंतर
बढ़ने लगे लगाव।
संविधान की रचना में
देकर अनुपम सहयोग,
भीमराव ने कम कर डाला
भेदभाव का रोग।

 


 देवेश द्विवेदी `देवेश`

 

Written By Devesh Dwivedi, Posted on 14.04.2023

मैं कौन हुँ

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Nandlal Ahi
~ नन्दलाल आही

आज की पोस्ट: 01 May 2023

मन में आज भी ये सवाल लिये कि मैं कौन हुँ।

ज़ी रहा हुँ आज भी ये ख़्याल लिये की मैं कौन हुँ।।

बचपन बीता आई जवानी, जिम्मेेदारियों में बंधकर

आज भी जी रहा हु ओर अपने आप से पूछ रहा हुं की मैं कौन हुँ।

देखा एक जनाजा यक़ीन नहीं आया, आकर संसार मैं क्यूं  इसने प्राण गवाया।।

पेहले बचपन, फिर जवानी, और आया फिर भुढ़ापा जीवन के ये खेल निराले, और फिर उसने प्राण गवाया।

देख नजारा-  इसका सब कुछ छूटा, अपनों ने क्यू इसे जलाया।।

कितनी बार ये नजारा मेरे सामने आया और बार बार फिर से इसने ये एहसास दिलाया की मैं कौन हुं।।

Written By Nandlal Ahi, Posted on 17.04.2023

रंगत बदल रहा होगा

23THU08062

Mohammad Akib Javed
~ आकिब जावेद

आज की पोस्ट: 01 May 2023

तमाम  आरज़ू  का  दम  निकल  रहा  होगा।।
वो जब भी रंगत को अपनी बदल रहा होगा।।

खुली  किताब  सी  है ज़िन्दगी  भी यूं  मेरी।।
पता  नही उन्हें सच बोलना खल रहा होगा।।

मक़ाम  उनका  बहुत  आसमाँ सा ऊँचा हैं।।
ज़मीन  में  उतरते  ही  सम्भल  रहा  होगा।।

नक़ाब  से  ऐसे  महफूज़ खुद किया उसने।।
मक़ाम  देखके आसमाँ भी जल रहा होगा।।

सुना हैं ख़्वाब को तुम भी तो ढूंढते हो अब।।
ऐसे यूं ख़्वाबो से जाना तो खल रहा होगा।।

किनारें  पे  भी  थोड़ा  शोर तो हुआ होता।।
मुझे  उम्मीद है....कोई  फिसल रहा होगा।।

उड़ा  के  ले  गई  मेरी  तमाम  आरज़ू भी।।
उसे कभी नही ख़ौफ़-ए-अज़ल रहा होगा।।

Written By Mohammad Akib Javed, Posted on 18.04.2023

मजदूर

23MON08172

Shivang Mishra
~ शिवांग मिश्रा "राजू"

आज की पोस्ट: 01 May 2023

हैं मजदूरी हम सब करते |
चाहे नौकर हो या अफसर ||
हमें मालिक का आभास है होता |
बैठ करके कुर्सी पर अक्सर ||

फर्क बस इतना है प्यारे |
तुम कुर्सी की हनक जमाते हो ||
और छोटे आदमी मेहनत करते |
तब तुम बैठ कमाते हो ||

कहां भूलते हो प्यारे |
तुम भी तो इक नौकर ही हो ||
सरकार के हो चाहे खुद के |
बस तुम नौकर ही नौकर हो ||

मत करो जुल्म तुम उन सब पर |
जो तुमसे रुपये लेते है ||
बस वो अपने परिवार की खातिर |
तेरे सारे जुल्म सह लेते हैं ||

Written By Shivang Mishra, Posted on 01.05.2023

आनंदमई

SWARACHIT4982

Rajiv Dogra
~ राजीव डोगरा 'विमल'

आज की पोस्ट: 01 May 2023

इश्क, प्रेम, मोहब्बत
ये सब शब्द अधूरे है
एक बार तुम
आ जाओ तो
ये शब्द खुद-ब-खुद पूरे है।
एहसास,वफा,दिल्लगी
ये सब शब्द अधूरे है
एक बार तुम
छू लो मेरी रूह को
ये शब्द खुद-ब-खुद पूरे है।
अनुरक्ति,प्रीति,भक्ति
ये सब शब्द अधूरे है
एक बार तुम
सिमट जाऊं मेरे अंतर्मन में
ये शब्द खुद-ब-खुद पूरे है।

Written By Rajiv Dogra, Posted on 01.05.2023

जिंदगी से जंग

SWARACHIT4983

 Omprakash Jha
~ ओमप्रकाश झा

आज की पोस्ट: 01 May 2023

बहुत बैचेन सी है मेरी जिंदगी
कई सवाल जेहन में रहता है।
क्यूं इतना दर्द मिलता है मुझे?
कितने जख्म ये दिल सहता है।

कोई अब मेरा सहारा नहीं होता।
कोई शख्स अब हमारा नहीं होता।
तकलीफों से हमेशा अकेले ही लड़े
हर शख्स यहां पर बेचारा नहीं होता।

जिंदगी से जंग तो हमेशा लड़ेंगे।
जो सच है वो बात हरदम कहेंगे।
मुस्कुराहट हमेशा चेहरे पर रहेगी
जब तक सांस है खुलकर जिएंगे।

गमों को तो धुंए में उड़ाएंगे हम।
दिल रोएगा पर मुस्कुराएंगे हम।
हर कदम जंग लड़ते रहना है मुझे
एक न एक दिन जीत जाएंगे हम।

Written By Omprakash Jha, Posted on 01.05.2023

कभी-कभी जब मन उदास होता है
परेशानियों का एहसास होता है
तन्हाइयां घेरती इस कदर
कोई न आस-पास होता है

न कुछ कहा जाता है
न ही सहा जाता है
कोई जैसे उदासियों को
ह्रदय की धड़कनों संग बहा लाता है

गिरह बंधी खुल जाती है
बैचेनियां बिखर जाती हैं
खुशियाँ औंधे मुंह पङी
बस चोट सी खाती हैं

मुस्कुराहट ओझल होती है
आँखें बोझिल होती हैं
न ही कोई ख़्वाब दिखता
न हकीक़त रूबरू होती है

बैठ जाती हूँ मिट्टी की परत में
सुनती हूँ पंछियों के कलरव को
हंसी -ठिठोली करती मधुमक्खियां
गुनगुनाने लगती हैं भीतर

मधुर संगीत सुनायी देता है
कुछ बयां करने की जरूरत नहीं होती
ढांढस बंधाती प्रकृति मुझसे
वाद-विवाद करे बिना
कितना कुछ सिखा देती है
महसूस करती हूं ममत्व की पराकाष्ठा
अद्भुत क्षणों को बटोर लाती हूँ
अमूल्य खजाना आंचल में अपने
बिना कोई मोल के

पीठ थपथपाते हुए खुद को संभालती
कितनी उम्मीदें
भरी हुई होती हैं मुझमें
ख़्वाब जीवित हो उठते
और कमरकस तैयार हो जाती हूँ
कर्मों की फसल उगाने को
जीतने को आतुर तो नही पर
नाकामियों को झुठलाती हुई

होता है अक्सर
उदासियां निकलती आंसुओं की धार बनकर
बह जाने दो व्यथा को दिल बहलाने दो उन्हें भी

और खङे हो जाओ तैयार और भी मजबूत
क्योंकि ज़िन्दगी खाक़ होने से पहले
रोशन करना है खुदी को
कि जब-जब धूल उङे बस
महक जाये जर्रा-जर्रा

Written By Uma Patni, Posted on 01.05.2023

कैसी तेरी सोच है मानव,कैसी तेरी नीयत रे
कहाँ को लेकर के जाएगा इतनी तू वसीयत रे।

जग में तू नंगा आया है, नंगा ही जाएगा,
जिसको तू अपना समझा वो, साथ नहीं जाएगा,
क्यों तेरे मन मे हाय बसा है,
क्या है तेरी अहमियत रे।।
कैसी तेरी .....

पत्नी, बच्चे दोस्त के आगे,नाम कभी नहीं होगा,
भाग्य के आगे पैर पसारे, शाम कभी नहीं होगा,
लोभ के सागर में डूबा तू,
कैसी इंसानियत रे।।
कैसी तेरी....

पैसे के चक्कर मे मानव, तू बन बैठा है अंधा,
इज्जत और एहसास भी तेरे, खातिर है बस इक धंधा,
आँसू की कोई फिक्र नहीं अब,
कैसी हैमानियत रे ।।
कैसी तेरी....

Written By Shravan Kumar, Posted on 01.05.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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