हमारी ख्वाईश
सबसे अहम है
दो वक्त की रोटी
उसी की खातिर
हम सब कामों को
बहुत ही खूबसूरत ढंग से
और
अपने जीने के लिए
करते हैं
तब कहीं जाकर हम
अपनी जिंदगी बेहतर
तरीके से जी पाते हैं
और यही
ख्वाईश हमारी जिंदगी है।।
Written By Manoj Bathre , Posted on 04.06.2021
उसका घर है न कोई और ठिकाना है
मुद्दत से तेरे नाम का दीवाना है
जिसने मेरे ख़्वाबों को दी ताबीरें
उसकी ख़ातिर जीना औ`र मर जाना है
हमने आँखों को रक्खा है देहरी पर
इतना है मालूम कि उनको आना है
इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा ये क्या जाने
नादाँ दिल को फिर से अब समझाना है
बिन बोले लब की जुम्बिश या आँखों से
हाले दिल अब कैसे भी बतलाना है
उसको भी तो रिन्द कहा है लोगों ने
जिसके हाथों में ख़ाली पैमाना है
मिल जाना है इतना तो हर हाल तुझे
जितना किस्मत में जो लिक्खा दाना है
एक मुसाफ़िरख़ाना लगती ये दुनिया
सदियों से इन्सां का आना जाना है
`आनन्द` कोई कहता दिल में चुपके से
नेकी करके ही दुनिया से जाना है
Written By Anand Kishore, Posted on 09.06.2021
कहाँ ढूंढें तुमको कहाँ तुम मिलोगे
जहां भी रहो फूल बन कर खिलोगे
हमें तुमने पूरी आजादी दिला दी
गोरों की तुमने नींद उड़ा दी
गोरों की तुमने नींद उड़ा दी
मिलना भी चाहें नहीं तुम मिलोगे
कहाँ ढूंढें तुमको कहाँ तुम मिलोगे
जवां थे जवानी वतन पर लूटा दी
आज़ादी की दिल में आग जगा दी
आज़ादी की दिल में आग जगा दी
अमर हो गए तुम अमर ही रहोगे
कहाँ ढूंढें तुमको कहाँ तुम मिलोगे
जलियाँ वाला बाग में गोली चला दी
देशभक्तों की चिंताएं जला दी
देशभक्तों की चिंताएं जला दी
कसम खाई डायर तुम न बचोगे
कहाँ ढूंढें तुमको कहाँ तुम मिलोगे
भारत को छोड़ो बहुत ऐश कर ली
हमको लुटा झोलियां भर ली
हमको लुटा झोलियां भर ली
सोने की चिड़िया को मुक्त तुम करोगे
कहाँ ढूंढें तुमको कहां तुम मिलोगे
लाखों शहीदों ने कुर्बानियां दी
देश की खातिर अपनी जबानियाँ दी
देश की खातिर अपनी जबानियाँ दी
हम तो चले हैं नहीं फिर मिलोगे
कहाँ ढूंढें तुमको कहां तुम मिलोगे
हाँ मैं एक लडक़ी हूँ
हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ
जो अपनी हो तो
चार दीवारी में कैद रखतें हो।
किसी ओर की हो तो
चार दीवारी में भी
नज़रे गड़ाए रखतें हों।
हाँ मैं एक लडक़ी हूँ
हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ
जो अपनी हो तो
घर की इज्जत समझते हो।
किसी ओर की हो तो
सरेआम चार लोगों के बीच
उसकी इज्जत उछालते हो।
हाँ मैं एक लडक़ी हूँ
हाँ मैं वो ही लडक़ी हूँ
जो अपनी हो तो
प्यार,मोहब्बत से दूर रखते हो
किसी ओर की हो तो
मोहब्बत के नाम से उसके
जिस्म की ख्वाहिश करते हो।
मधुवन में बरसात न हो तो,सूना सावन रह जायेगा।
प्रेम सरोवर सूख गया तो, सूना सा मन रह जायेगा।।
संध्या आयी तारे चमके, बिजली दमकी, बादल फूटे।
गिरे नहीं बूँदों के छींटे, दादुर, मोर, पपीहा रूठे।।
प्रियतम के मधुमय वचनों से, शीतल हो जाता है तनमन।
साजन का संसार न हो तो, सूना आँगन रह जायेगा।।
मधुवन में बरसात न हो तो,सूना सावन रह जायेगा।
लड़ते-लड़ते जीवन बीता, जीने का सुख साधन रीता।
लूट लिये पानी के सागर, पृथ्वी का सारा धन रीता।।
नस नस में अब जहर घुला है, सम्बन्धों को कौन निभाये।
तलवारों से युद्ध हुआ तो , केवल तर्पण रह जायेगा।।
मधुवन में बरसात न हो तो,सूना सावन रह जायेगा।
नभ में पंछी उड़ते फिरते, हिल-मिलकर कलरव करते हैं।
सात सुरों के बाजे सारे, सुप्त हृदय में लय भरते हैं।।
इस दुनिया में प्रेम बड़ा है, प्रेम बिना सबकुछ सूना है।
चेहरे पर मुस्कान न हो तो, सूना जीवन रह जायेगा।
मधुवन में बरसात न हो तो,सूना सावन रह जायेगा।
उसे अह्दे मुहब्बत से मुकर जाने की जल्दी थी
थमा तुफां तो दरिया को उतर जाने की जल्दी थी
बिछड़कर उसको भी शायद नई दुनिया बसानी थी
मुझे भी टूटकर खुद ही बिखर जाने की जल्दी थी
तमन्ना रिन्द की थी जाम झलकाता रहूं, शब भर
मगर अफसोस के साक़ी को घर जाने की जल्दी थी
उसे भी शौक था हर बात पर नुक्ता बताने का
मुझे भी तंज सुन सुनकर निखर जाने की जल्दी थी
मदद के वास्ते जख़्मी की, रुकता कौन सड़को पर
वहां हर शख्स को बचकर गुज़र जाने की जल्दी थी
तबीबे शह्र के महंगे दवाखानों से घबराकर
गरीबे शह्र को बिस्तर पे मर जाने की जल्दी थी
तवक्को ही न कि मरहम की उनसे मैंने भी "साहिल"
मेरे ज़ख्मों को तो ऐसे ही भर जाने की जल्दी थी
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