हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Friday, 22 September 2023

  1. ये मानव तन
  2. मुरझाई सी आंखें
  3. सच का स्वाद
  4. मंज़िलों के ख़्वाब दिल से हटा भी देना
  5. कवि और कविता
  6. तुम्हें खुशरंग कर दूँ

Read other posts

ये मानव तन

23SAT08102

Bharatlal Gautam
~ भरत लाल गौतम

आज की पोस्ट: 22 September 2023

यह मानव तन, कितना दूर्लभ जन्म है,

जिसे मिला है ये तन धन्य उसका जन्म है.

लाख चौरासी भोग के, मिला है ये काया,

लाख योनियों में भटका, ये तन तभी है पाया,

बार- बार नहीं मिलता, ये अनमोल जीवन है.

सब सुखों का द्वार है, देवता लिए अवतार हैं,

खुशियों का भंडार है, सबका होता बेड़ा पार है,

लाभ उठाले इस तन का ये अनमोल रतन है.

Written By Bharatlal Gautam, Posted on 22.04.2023

बिखरी हुई  हैं भू पर कुछ,कुमल्हाई सी पाँखें,
निहार रही शायद  वर्तमान, मुरझाई सी आंखें !

लगी नज़र किस दुश्मन की, टूट गए सारे सपने,
ग़ैरों से कैंसीं उम्मीदें, जब लूट रहे हैं सब अपने !

कामयाबी की कश्ती ने,जब हरा दिए क्रूर तूफा
उम्मीदों की अंगड़ाई  छोड़ रही थी अपने निशा !

आती याद छांव आज भी,बरगद पीपल नीम की,
ग़मलों में सिमटी हरियाली, बिना कोई  थीम की !

आते नही नज़र फूल कांस के अब खेतों के बीच
लीलती प्रगति कागजी,हरिचंदन सा महका कीच !

कोरे आश्वासनों से अब, लगने लगा है  भारी डर,
जबसे  मानव की बनी चहेती, प्राणन प्यारी जर !!

भर गई अब नीरसता,निर्मलता भरे पावन नेह में,
कुंठित कचनार भावों की,बढ़ता आकर्षण देह में !

दया-धर्म करुणा-प्रेम,लगते हैं बेबस औऱ बेचारे,
निर्दोष सजा रहे भोग,दोषियों के लगते जयकारे !!

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 19.05.2023

सच का स्वाद

23SUN08622

Ajay Poonia
~ अजेय पूनिया (बाग़ी)

आज की पोस्ट: 22 September 2023

चखना चाहें तो वो मुझे चख सकता है, 
जिसने सच का स्वाद कभी चखा नहीं।

 

मेरे दिल में वो इज्ज़त से रह सकता है,
जिसने झूठ के रास्तों पे पांव रखा नहीं।

 

अपने दिल का ग़म मुझसे कह सकता है,
जिसका दर्द कभी किसी ने सुना नहीं।

 

साथ रह कर मिरी सांसों में बस सकता है,
जिसने सही सा साथी अब तक चुना नहीं।

 

सब पूरे हो जाएंगे आधे अधूरे रहे सपने,
`बाग़ी` यार ने ताना-बाना अभी बुना नहीं।।

Written By Ajay Poonia, Posted on 15.07.2023

नाम लिखना अपना तो उसको मिटा भी देना,
ख़त भेजो तो क़ासिद को साफ़ बता भी देना,

तर्क़ तअालुक़ का कर लिया है ईरादा तो फ़िर,
तस्वीरें सभी मेरी सीने से अपने हटा भी देना,

रिश्ता जो तोड़ रहे हो तो कोई बात नहीं है,
मुता़ॉलिक़ कोई पुछे तो सच बता भी देना,

चाहतें जब तेरी मुहब्बतों  में तब्दील हो जाए,
वक़्त रहते हुए ये बात उनको बता भी देना,

खैरो ख़बर ही बस ज़माने मेरी मत पूछते रहना,
अरमान अपने लिखकर ख़त में भिजा भी देना,

चलने का हौसला न हो गर पास तुम्हारे,
मंज़िलों के ख़्वाब दिल से हटा भी देना,

ख़ामौशी उसकी पढ़ना मुश्ताक़ मगर चुप रहना,
होंठों पर अपने उंगली तु भी यार लगा ही लेना,

Written By Mushtaque Ahmad Shah, Posted on 14.07.2023

कवि और कविता

23SAT08664

Sunil Kumar
~ सुनील कुमार संदल

आज की पोस्ट: 22 September 2023

कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है 
भावों को दे शब्द रूप कवि कविता बनाता है।

मन में उठते भावों को कवि रोक नहीं पाता है
उठा लेखनी हाथ में निज भावों को सजाता है
कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है।

भावों के शब्द श्रृंगार से रचना को सजाता है
कालजयी सृजन कर जग में सम्मान पाता है
कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है। 

जहां न पहुंचे रवि,कवि वहां भी पहुंच जाता है
शब्दों की क्रीड़ा से कभी हंसाता कभी रुलाता है 
कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है।

कल्पनाओं की भर उड़ान क्षितिज पार जाता है 
देश और समाज को सदा सही राह दिखाता है
कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है।

निराशा  में  भी आशा की किरण  बन जाता है
सजग कर समाज को अपना फर्ज निभाता है
कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है।

साहित्य समाज का दर्पण है जहां को बताता है
सत्य झलक समाज की रचनाओं में दिखाता है
कवि और कविता का आपस में गहरा नाता है।

Written By Sunil Kumar, Posted on 21.07.2023

मदन बनकर चुरा लूँ मैं तुम्हारे नैन से काजल,
तुम्हारे गेसुओं को मैं बना लूँ नेह का बादल!
मिला लूँ रूप में मेरे , तुम्हारे रूप यौवन को,
भृमर बनकर उडूँ हर पल तुम्हारे नेह में पागल!

छुपाकर सारी दुनिया से तुम्हें रक्खूँ निगाहों में,
फ़लक पर चाँद बनकर मैं करूँ सजदा पनाहों में!
समुन्दर की सतह बनकर उठा दूँ ज्वार तूफ़ानी,
समा जाऊँ हवा बनकर तुम्हारी गर्म आहों में !

गगन के चाँद-तारों से कहो तो जंग कर दूँ मैं,
ज़मीं के हर नज़ारे को अभी नवरंग कर दूँ मैं!
पवन बनकर करूँ स्पर्श तुमको राह में हरदम,
प्रणय के रंग में रँगकर तुम्हें खुशरंग कर दूँ मैं!

Written By Jagdish Sharma, Posted on 22.09.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

×

केवल सब्सक्राइबर सदस्यों के लिए


CLOSE

यदि आप सब्सक्राइबर हैं तो ईमेल टाइप कर रचनाएँ पढ़ें। सब्सक्राइब करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।