शराब माफ़िया का फैला जाल
खबर नहीं किसी को कानों कान
कैसे यह धंधा चलता रहा इतने दिन
न पुलिस ने न एक्साइज ने दिया ध्यान
पैसे के खेल ने काम दिया बिगाड़
मेज के नीचे से पैसा चल रहा था
किसी की मजाल बिना पैसे के होता
तभी तो यह धंधा खूब पल रहा था
मन में क्यों नहीं आया तेरे
नकली दारू क्यों बना रहा
चार पैसों की खातिर लालची
क्यों अपनों की चिता जला रहा
मिलावट करके तूने क्या पाया
कई घरों के बुझा दिए चिराग
पुलिस और आबकारी दोनों
सोए क्यों थे अब तक विभाग
कितना स्वार्थी आज हो गया
मालिक देख तेरा इंसान
पैसे के लालच में रहता
दूसरे को समझता जानवर समान
दूसरों के स्वास्थ्य से जो कर रहे खिलवाड़
बंद क्यों हैं उनके लिए जेलों के किवाड़
मौत की सूली पर चढ़ा दो उन्हें
हरी भरी जिंदगियां जिन्होंने दी उजाड़
बड़ा दुखद है हमारे तंत्र का घटना
घटित होने के बाद ही हरकत में आना
यदि पहले से विभाग रहें सतर्क
तो किसी को न पड़े फिर पछताना
तेरी चाहत का मारा ही रहेगा
दिल-ए-बीमार हारा ही रहेगा
कोई मौसम रहे दुनिया में ये दिल
तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा
बदल सकती नहीं आँसू की फ़ितरत
ये खारा था ये खारा ही रहेगा
जो उड़कर आ गया बस्ती में यारो
जलाकर वो शरारा ही रहेगा
बदी की राह पर जो लोग चलते
उन्हें बेशक़ ख़सारा ही रहेगा
जो आता काम है औरों के जग में
सदा वो सबका प्यारा ही रहेगा
भले हों मुश्किलें `आनन्द` लब पर
सदा उल्फ़त का नारा ही रहेगा
Written By Anand Kishore, Posted on 07.06.2021
न टूटकर ये फिर जुड़ा कभी
मिरा ये दिल था आईना कोई
आईना टुकड़ों में बिखरा है यारो
फिर कहीं दिल कोई टूटा है यारो
आईना देख, हैरां हूँ मैं आज फिर
शख़्स ये अजनबी,कौन है रू-ब-रू
आई’ना टूटकर जिस तरह बिखरा है
क्या कभी आपका दिल भी यूँ टूटा है
देखकर आईना, याद फिर आई ना
टूटकर हिज़्र में, रो पड़ा आई’ना
एक आस
एक विश्वास
तुम से है सिर्फ एक मिलन की प्यास
चाहूं सिर्फ ख्वाब में साथ
ना करूँगा कोई निरथर्क प्रयास
बस तुम ही मेरे ख्याल में
तुम ही मेरे हर एक सवाल में
तुम बिन जैसे ज़िंदा बन गया हूँ लाश
लौट आओ अब ना करो और निराश
तुम से ही आस
तुम पर ही है विश्वास
खुदा से हरदम में मांगूं
वैसी एक तुम ही हो मेरी अरदास
उठो-उठो तुम ऐ बच्चों
देखो सुबह हो गई।
सूर्य की किरणें आती हैं
रैना देखो बीत गई।
निंद को कह दो टाटा-वाय
अखियाँ अपनी खोल दो।
मम्मी तुमको उठा रही
एक गुड मॉर्निंग बोल दो।।
उठो-उठो तुम ऐ बच्चों
देखो सुबह हो गई.
स्कूल नहीं जाना तो क्या
आन लाइन आना होगा।
उससे पहले तुमको फिर
तैयार होना होगा।
ब्रश करो, ब्रेकफास्ट करो
यूनिफार्म तुम डाल लो।
मम्मी तुमको उठा रही
अब गुड मॉर्निंग बोल दो।।
उठो-उठो तुम ऐ बच्चों
देखो सुबह हो गई.
मै और मेरी किस्मत,
दोनो बनी है मेरी दुश्मन।।
आगे मैं पीछे मेरी किस्मत ,
दोनो से नही हू मै सहमत।।
दर दर भटका रही मुझे मेरी किस्मत,
और कब तक सताएगी मुझे मेरी किस्मत।।
जो चाहु तु दुर कर देती है,
सारी उम्मीदों पर पानी फेर देती हैं।।
नौकरी पैसा ना रहा कोई अपना,
अधुरा ही रह गया मेरा सपना।।
खो दिया मैने सबको,
हो क्या गया मेरी किस्मत को।।
किस्मत ने ऐसे नाट नचाए,
जो अपने थे वो भी खुब हसाए।।
हार चुकी हु मै जिन्दगी की इस भाग दौड़ में,
फस गई हु जैसे दलदल में।।
किस्मत ने ऐसे मुझे है सताया,
कि बस लगती ही जा रही है बकाया।।
ना मैं मजबूत ना मेरी किस्मत,
खुदा भी नहीं कर रहा मुझ पर रहमत।।
करा दे मेरी भी नय्या पार
भर दे खुशियां अपार,
बस यहीं थे मेरे विचार
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