हे मातेश्वरी जानकी जी
तुम प्रभु राम के साथ में बैठी हो.
चरणों में प्यारे हनुमत है
सिर उनके हाथ कर बैठी हो
जो दशरथ नंदन कहलाते हैं
दुनिया की वो ही पालक है.
चरणों में आया दीन तेरे
वह `राजू` भी तेरा बालक है.
मुनियों की सेवा करते करते
तुम उनके कष्ट निवारी हो.
अब कृपा करो बालक पर भी
तुम प्रेम सभी पर वारी हो.
हनुमत से कह दो दे दें ज्ञान
यह बालक बहुत नादान है मां.
तुम भक्तवत्सल कहलाती हो
थोड़ा भक्ति का दे दो ज्ञान हे मां.
जो बोझ लगे,बेबात भाव खुद के बढ़ा लें,
बाग़ी दिल की खिड़की खोल उसे जाने दें।
ये ज़िन्दगी की सांस चंद बची गिनती की,
हवा संग मत बह,खुद ठहर उसे जाने दें।
कोई महल मकान स्थाई नहीं इस जग में,
जी भर ज़ी यहां,जिस्म राख है उसे जाने दें।
कौन सगा कौन पराया का वहम छोड़ पगले,
जो आये आने दे ओर जो जाये उसे जाने दें।
कौन पढ़ पाया अधुरे इश्क़ कि पूरी किताब,
``बाग़ी``जो जज़्बात तिरे न समझे उसे जाने दें।
कोई न जाने क्या होगा कल
फिर कैसा ये भविष्यफल।
सब शंकाओं का एक ही हल
जैसी करनी वैसा फल
कोई न जाने क्या होगा कल।
सुख-दु:ख उपजे निज कर्म
बस इतनी बात समझ लें हम
कोई न जाने क्या होगा कल।
सदकर्म करें जीवन हो सफल
कष्ट किसी को कभी न दें हम
सुखद जीवन का यही है मंत्र
कोई न जाने क्या होगा कल।
मन में न पालें कोई भ्रम
भाग्य से बढ़कर होता है कर्म
सोच-समझ कर बढ़ाएं कदम
सुंदर होगा आज और कल।
कुछ फ़नकार के लियाक़त पे रश्क होने लगा है
तस्वीर में उभरी किताबत पे रश्क होने लगा है
तुम ये सोचो आख़िर किस मुकाम पे जा चुका हूं
मुझे कफ़न मुर्दों के रि`आयत पे रश्क होने लगा है
नफ़रत, गुस्सा मलाल बातिल सब पीछे रह गया
अब फ़क़त रास्त ए ज़ियारत पे रश्क होने लगा है
कहाँ मिलेंगे वैसे कहानिकार जो क़ज़ा लिख रहे
यार मुझको ऐसी ऐसी रवायत पे रश्क होने लगा है
यानी उसका चेहरा दिखने लगा हर तस्वीर में कुनु
यानी आख़िर में रंज ए क़दामत पे रश्क होने लगा है
Written By Kunal Kanth, Posted on 24.07.2023भा जाते है सबको वो
हिला बहाना से तो अच्छा।
जो लब खोले और कर दे इंकार
कमबख्त कब तक लगाये आश रहे हम।
अकारण ही बादल घिरे है व्योम में
उल्लास जगाकर मन में बरसना नहीं जब
तप्ती वो मौसम वो रवि का चमकना
बिना कोई आशा के
खुद को ढालना अनुरूप मौसम के
यथोचित है धुंधला सा आश से।
करना और सुनना भी होता है मुश्किल
लगता जैसे एक झटके मे टूट के कुछ बिखरा हो
गर संभव ना हो तो कर ही दो इंकार
भले दिखेंगे कुछ धब्बे टूटे काँच में
पर हर टुकड़े फिर भी जुड़े रहेंगे।
भूलो नहीं आप इसको की
एक दरवाजा गर बन्द हो जाये
दूजा दरवाजा ईश्वर निश्चित खोल देता है
अगर न कर पाओ पूरा तो कर दो इंकार
जूठी आश से हमेशा ही बेहत्तर हैं इंकार।।
दिल लगाना अलग बात है, दिल को पाना अलग बात है
प्यार करना तो आसान है, पर निभाना अलग बात है
चाँद का मैं तलबगार हूँ, मुझको तारों की चाहत नहीं
झिलमिलाना अलग बात है,जगमगाना अलग बात है
कितने मिलकर जुदा हो गए,दूर हो कर भी कुछ मिल गए
पा के खोना अलग बात है, खो के पाना अलग बात है
याद गर मैं नहीं हूँ तुम्हे, तुम भी फिर याद आते हो क्यों
याद करना तो मुश्किल न था, भूल जाना अलग बात है
दर्द आँखों से बहता रहे, हंस के हर गम को सहता रहे
सबसे कहना अलग बात है, गम छुपाना अलग बात है
उसने मुड़कर भी देखा नहीं,जैसे पहचानता ही नहीं
दूर रहना अलग बात है, दूर जाना अलग बात है
बा वफ़ा, बे वफ़ा में सनम, फर्क बस इक हुरूफ का है पर
दिल में आना अलग बात है, दिल से जाना अलग बात है
दर्द साहिल जो है इश्क़ का, कम ना होगा किसी तौर भी
रोते रहना अलग बात है, मुस्कुराना अलग बात है
बोलो न तुम क्यू चुप से हो,क्यू रूठें रूठें गुम से हो
क्या दुखता है दिल ये तेरा किसके ख्यालो मे हो मौन प्रिये
तुम कौन प्रिये तुम कौन प्रिये
तुम न तो मेरे हमदम हो ,न तुम हो हमराही मेरे
फिर भी लगते अपने से बोलो न क्यू हो मौन प्रिये
तुम कौन प्रिये तुम कौन प्रिये
क्यू गुमसुम गुमसुम रहते हो क्या बात है जो न कहते हो
कभी बात जुबा तक आयी नही हर वक़्त हो रहते मौन प्रिये
तुम कौन प्रिये तुम कौन प्रिये
परछाई सी संग रहते हो फिरते रहते हो ख्यालो मे
मै पागल पागल फिरती हु तुम झलक दिखा गुम जाते हो
क्यू कुछ नही कहते मुझसे तुम किस के लिए हो मौन प्रिये
तुम कौन प्रिये तुम कौन प्रिये
जीवन के इस पथ पर ओ राही
तुझे अकेले ही चलना होगा।
ज़िंदगी है तो परेशानियाँ भी होंगी,
तुझे इनसे अकेले ही लड़ना होगा।
कांटो से भरे इस राह को तुझे फूलों से भरना होगा।
आसान नहीं है कुछ भी मिलना यहाँ,
तुझे गिरकर ख़ुद ही संभलना होगा।
करके मन को शांत लक्ष्य को तुझे ही भेदना होगा।
जीवन के इस पथ पर ओ राही तुझे अकेले ही चलना होगा।
मत कर भरोसा इस वक्त पे, कहाँ तक ये साथ है।
कब कौन कहाँ इस राह में साथ छोड़ दे,
तुझे ख़ुदपर भरोसा करना होगा।
आयेंगी बहुत अड़चने राह में, तुझे ही उनसे निपटना होगा।
करके परिश्रम इस जीवन में, तुझे ख़ुद ही काबिल बनना होगा।
कोई नहीं है अपना इस जग में,
तुझे अपना साथी ख़ुद ही बनना होगा।
जीवन के इस पथ पर ओ राही तुझे अकेले ही चलना होगा।
कोई नहीं है अपना इस दुनिया में,
ये बात तुझे समझना होगा।
ओ राही तुझे अकेले ही चलना होगा
अकेले ही चलना होगा।
प्राकृतिक सौंदर्य का आदान-प्रदान,
पेड़-पौधों की हरियाली, मनमोहक दृश्य,
नदियों का सुरमई जल, फूलों का खिलना,
प्रकृति की श्रेष्ठता, अनमोल अभिवादन।
फिजूल भौंकने की आदतों से हटकर,
हमें प्राकृतिक सौंदर्य को बचाना है,
पर्यावरण का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य,
नहीं तो हो सकता है प्रकृति का प्रतिशोध।
आओ, प्रकृति को संरक्षित रखें,
इसका सहारा लें, उसका सम्मान करें,
हमारा जीवन है प्राकृतिक सौंदर्य का हिस्सा,
इसे प्यार से देखें, सँवारें, और बचाएं।
यही सतर्कता, हमारी जिम्मेदारी है,
प्रकृति के साथ हमें रहना है हमेशा,
उसकी सुन्दरता को हम बचाएंगे,
तभी बचेगा यह अनमोल विरासत कभी बनाना।
देखा जिस रात ख़्वाब मैंने
वो रातें मेरी रंगीन हो गयीं ।।
उसे सोचता रहा रात भर
और रातें मेरी हसीन हो गयी ।।
अगले दिन भेजा उसे मेसेज
वो सब जल्द ही सीन हो गयी ।।
मैंने चंद अल्फ़ाज़ बयाँ किये
उसके सामने फिर क्या यारों ।।
वो गयी मान मेरी बात और
अब वो मुझमे लीन हो गयी ।।
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