हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Thursday, 14 September 2023

  1. हिंदी
  2. हिंदी का संक्षिप्त इतिहास
  3. हिंदी- अभिमान देश का
  4. हिन्दी दिवस मनाएँ
  5. हिंदी का लालित्य- दोहे
  6. हिंदी मेरा अभिमान
  7. हिंदी दिवस
  8. हिंदी भाषा पसंद है ना

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हिंदी

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Bharatlal Gautam
~ भरत लाल गौतम

आज की पोस्ट: 14 September 2023

हिंदुस्तान की मस्तक पर,
चमकती बिंदी है,

सदियों से बह रही निरंतर,
वो कालिंदी है,

सबसे सरल सबसे सहज,
राज्यभाषा हमारी,

करोड़ों लोगों के मुख से,
निकलती हिंदी है.

Written By Bharatlal Gautam, Posted on 27.08.2023

वैदिक काल का संस्कृत और
पालि प्राकृत व अप्रभंश
गुलेरी जी ने कहा `पुरानी`-
हिंदी ने किया इतना संघर्ष

संस्कृत के `सिंधु` का
ईरानी में `हिन्दू` हुआ
भाषा के अर्थ में हिंदी
फ़ारस और अरब से नियुक्‍त हुआ

अमीर खुसरो ने आदिकाल में
पहेलियाँ और मुकरियाँ सुनाएँ
तभी तो वे खड़ी बोली के
प्रथम कवि कहलाये

भक्तिकाल में सूर तुलसी ने
किया हिंदी का विस्तार
ब्रज, अवधी का लिया सहारा
जन-जन में किया भक्ति का संचार

सूफ़ी अंदाज़ में जायसी जी ने
पद्मावत लिख डाला
क्रुद्ध भाव से कबीर ने भी
जनता को फटकारा

लार्ड वेलेजली ने कलकत्ता में
फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना कराया
जॉन बोर्थविक गिलक्रिस्ट को
हिंदुस्तानी भाषा का अध्यापक बनाया

लल्लूलाल व सदल मिश्र ने
किया भाखा मुंशी पद पर काम
सदासुख लाल व इंशाअल्लाह खां ने
स्वतन्त्र रूप से किया योगदान

सन अठारह सौ चौहत्तर मे कहा भारतेंदु ने-
``हिंदी नई चाल में ढली``
नागरी प्रचारिणी सभा के अथक प्रयास से
उन्नीस सौ में हिंदी को अदालत में जगह मिली

बाल गंगाधर तिलक ने फॉन्ट बनाकर
देवनागरी लिपि का किया सुधार
इंदौर के चौबीसवें अधिवेशन में
गांधी जी ने भी किया प्रसार

चौदह सितंबर उन्नीस सौ उन्चास में
राजभाषा के रूप में मिला दर्ज़ा
तीन सौ तिरालिस से इक्यावन तक
संविधान के अनुछेदों में होगी इसकी चर्चा

महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने
शुद्ध हिंदी का उद्धार कराया
उपन्यास सम्राट और कहानीकार प्रेमचंद ने भी
अपना लोहा मनवाया

जयशंकर प्रसाद भी कहां कम थे
``कामायनी`` महाकाव्य की रचना की
दिनकर जी ने रश्मिरथी, कुरूक्षेत्र और
रेणुका, हुंकार, रसवंती

पुराने उपमान मैले हो गये तो
अज्ञेय ने नये बिम्ब और प्रतीक बनाये
तभी तो अज्ञेय, जैनेन्द्र और इलाचन्द्र जोशी
मनोविश्लेषणवादी कवि कहलाये

जितना भी लिखूं उतना कम पड़ जाए
ये भाषा है हिंदी
हम हैं बच्चे भारत माँ के
और ये है उसके माथे की बिंदी

Written By Rashmi Pandey, Posted on 13.09.2023

हिन्दी है संबिधान देश का
हिन्दी है अभिमान देश का !

हिन्दी है अनुसंधान देश का
हिन्दी है स्वाभिमान देश का !

आओ पढ़े,पढ़ाएं हिन्दी में
हिन्दी है सुसम्मान देश का !

मिश्री-सी है मधुर शब्दावली
गढ़ती नूतन विज्ञान देश का !

दोहा-छंद चौपाई और रोला
गद्य-पद्य आख्यान देश का !

संधि-समास, उपसर्ग-विसर्ग
करे सुदृढ़ व्याख्यान देश का !

सूर-कबीर निराला-जयशंकर
करते हिंदी में गुणगान देश का !

हिन्दी हो जन-जन की भाषा
अंग्रेजी है अपमान देश का !

प्रण करें परिपूर्ण अब हम
हिन्दी बने भगवान देश का !

हर ह्रदय की धड़कन हो हिंदी
``गोविमी ``है अरमान देश का !

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 13.09.2023

हिन्दी की सब शान बढ़ाएँ।
आओ हिन्दी दिवस मनाएँ।।

जुड़ जाएँ सब, सेतु है हिन्दी,
हम  एक  रहें, हेतु  है हिन्दी।
सारे  मिलकर  क़दम बढ़ाएँ।।
आओ  हिन्दी दिवस मनाएँ।।

`अ` से `ज्ञ` तक जब होती यात्रा,
अनपढ़  भी   ज्ञानी  बन  जाता।
सब   अपनी   पहचान   बनाएँ।।
आओ   हिन्दी  दिवस   मनाएँ।।

हिन्दी है अभिमान हमारा,
हिन्दी  ही  है प्राण हमारा।
हिन्दी जन जन तक पहुँचाएँ।।
आओ  हिन्दी दिवस मनाएँ।।

संवेदना  का  भाव  है  हिन्दी,
और अमृत का स्राव है हिन्दी।
पीकर  सारे  अमर  हो जाएँ।।
आओ  हिन्दी दिवस  मनाएँ।।

Written By Anand Kishore, Posted on 14.09.2023

अपनी भाषा का नहीं, जो करता सम्मान।
उसको इस संसार में, कहाँ मिल सका मान।।

हिन्दी भूषण, जायसी, हिन्दी मीरा, सूर।
हिन्दी फिर क्यों देश में, दिखती है मजबूर।।

हिन्दी केवल बन गई, साहित्यिक दूकान।
पखवाड़े मनते रहे, ख़ूब हुआ गुणगान।।

है अर्जुन का सारथी, हिन्दी का साहित्य।
जितना इसमें ज्ञान है, उतना ही लालित्य।।

वर्षों से यह देखकर, मन हो रहा अधीर।
हिन्दी विस्थापित हुई, आँखों में है नीर।।

जिसको बनना चाहिए, जीवन का संवाद।
उस हिन्दी का भाग्य में, जड़े हुए अपवाद।।

आज़ादी के गीत लिख, बनी प्रेरणा श्रोत।
अँधियारे में देश हित, हिन्दी थी इक ज्योत।।

हिन्दी आयी लौटकर, अपने गाँव-जवार।
महानगर की हो गयी, अंग्रेजी सरदार।।

हिन्दी की यह दुर्दशा, आज मिटाए कौन?
सारे नेता सो रहे, अफ़सर सारे मौन।।

आओ हिन्दी के लिए, हम मिल करें प्रयास।
हिन्दी सुखद भविष्य है, गौरवमय इतिहास।।

फटी चदरिया नेह की, सीते रहा फ़कीर।
ढाई आखर प्रेम का, समझा गया कबीर।।

कौन बना पाया भला, ऐसा जीवन-चित्र।
तुलसी घर-घर में बसे, रचकर राम-चरित्र।।

छंद सवैया में किया, गिरिधर का गुणगान।
लीलाओं का रस चखा, स्वयं हुए रसखान।।

मीरा के पद में बसे, ब्रजराजा गोपाल।
प्रेम और विश्वास की, ऐसी नहीं मिसाल।।

गद्य, पद्य में भर दिया, जीवन का लालित्य।
भारतेन्दु हैं हिन्द के, साहित्यिक आदित्य।।

भावुकता से मुक्त कर, किया भाव-संवाद।
रच मानस-विज्ञान को, अद्भुत हुए प्रसाद।।

महाप्राण की साधना, जीवन एक समान।
तभी निराला हो सके, कविता के दिनमान।।

प्रकृति-प्रेम मृदु कल्पना, भावों का विस्तार।
इन्हीं गुणों से पंत को, जान रहा संसार।।

आज कथा सम्राट को, करते हैं हम याद।
कौन कर सका पीर का, फिर ऐसा अनुवाद।।

नगपति की आवाज़ वे, जनता का फरमान।
दिनकर में जीवित रहा, कविता का अभिमान।।

फक्कड़ भले स्वभाव से, पर जन की आवाज।
जनकवि नागार्जुन सदृश, झुकता है गिरिराज।।

मुक्तिबोध के बोध में, मध्यवर्ग-संघर्ष।
वे जन-मन के दूत हैं, कविता के उत्कर्ष।।

हिन्दी हर दिन पूछती, हमसे यही सवाल।
वो अपने ही देश में, क्यों इतनी बदहाल।।

Written By Satyam Bharti, Posted on 14.09.2023

हम सब भारतवासी हैं,
करते हैं अपनी मातृभाषा से प्यार,
उत्तर हो या हो दक्षिण चाहे हो फिर पूर्व पश्चिम,
सारे लोग हो जाओ तैयार।
पूर्ण रूप से अपनाएं हिंदी को,
आओ हिंदी से करें हम प्यार।

बनाए हिंदी को आमजन की भाषा,
पढ़ाएं हिंदी लिखाएं हिंदी,
हर कार्यालय में बनाएं अनिवार्य हिंदी,
बने विश्व विधाता फिर अपनी प्यारी हिंदी।

आओ खुले मंच से करें अब ये ऐलान,
हिंदी का प्रयोग हो सभी जगह अनिवार्य,
हिंदी को पूर्ण रूप से मिले ये राष्ट्र सम्मान,
हिंदी मेरी जान है ,पहचान है, है मेरा अभिमान।

प्रारंभिक स्तर से करो मिश्रण,
निज भाषा में हिंदी के शब्दों का,
फिर देखो कमल हिंदी राष्ट्रभाषा का,
कैसे एकता बनी रहेगी अपने वतन में,
ना होगी किसी को कोई समस्या,
किसी की बात समझने में।

है हिंदी मेरा अभिमान,
है इससे मेरा मान सम्मान, आओ करें और अधिक प्रयास ,
करें हिंदी का प्रचार प्रसार और गुणगान,
है हिंदी मेरा अभिमान,
इसी से है हम सब का मान सम्मान।

Written By Jay Mahalwal, Posted on 14.09.2023

हिंदी दिवस

SWARACHIT6112

Sushil Kumar Sharma
~ सुशील कुमार नवीन

आज की पोस्ट: 14 September 2023

"लिखने मात्र से 'इंडिया' नहीं बन सकता 'भारत'
कहने से नहीं, अपनाने से होगी हिंदी की सार्थकता"

आप सभी जेंटलमैन को ' हिंदी दिवस' की मैनी मैनी कांग्रेचुलेशन। यू नो वेरी वेल कि हिंदी हमारी मदरटेंग है। इसकी रिस्पेक्ट करना हम सब की रेस्पॉनसबिलीटी है। टुमारो हमारे कॉलेज ने भी हिंदी-डे पर एक प्रोग्राम आयोजित किया था। उसमें पधारे चीफ गेस्ट ने हिंदी की इंपोर्टेंस पर बड़ी ही अट्रेक्टिव और वेल्युबल स्पीच दी। आप भी सोच रहे होगे कि बड़ा अजीब आदमी है। अपने आपको हिंदी साहित्यकार कहता है और हिंदी का कार्यक्रम सम्पन्न करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा। बुरा लगा ना। ऐसा ही बुरा हर हिंदी प्रेमी को लगता है। लगना भी चाहिए। हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमारी मां है। हमारी पहचान है। हिंदी हैं हम वतन है, हिंदोस्तान हमारा का नारा बचपन से लगा रहे हैं। गुरुवार को देवत्व रूप धारी हमारी मातृभाषा हिंदी का जन्मदिन है। दोस्तों, यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि हिंदी की वर्तमान दशा और दिशा बिगाड़ने में हम सब का कितना योगदान है।

एक संस्थान ने समाचार पत्र में विज्ञापन दिया। इसमें सबसे पहले बड़े अक्षरों में लिखा गया' वांटेड'। नीचे लिखा हिंदी असिस्टेंट प्रोफेसर। नीचे वाली लाइन तो और गजब की थी। आप भी पढ़ते तो पदम् श्री की सिफारिश कर देते। लिखा- अंग्रेजी जानने वाले को वरीयता दी जाएगी। कमाल है भाई। ये तो वही हो गया कि सोसायटी की चौकीदारी की नौकरी को आए एक जने से पूछा गया कि अंग्रेजी आती है क्या। उम्मीदवार भी बड़ा हाजिरजवाब था, क्यों ,चोर इंग्लैंड से आयेंगे क्या।

कहने को हम अपने आप को हिंदुस्तानी कहते है और हिंदी हमारी मातृभाषा बताते हैं। इसे हम अपने जीवन में कितना धारण किए हुए हैं, यह आप और हम भलीभांति जानते हैं। सितम्बर में हिंदी पखवाड़ा का आयोजन करते है। जहां कहीं बड़ा आयोजन हो, वहां चाट पकोड़े के चटकारों के साथ हिंदी प्रेम की इतिश्री कर लेते हैं। सभी 'हिंदी अपनाएं' हिंदी का प्रयोग करें ' की तख्तियां गले में तब तक लटकाए रखते हैं, जब तक कोई पत्रकार भाई हमारी फ़ोटो न खींच लें। या फिर सोशल मीडिया पर जब तक एक फोटो न डाल दी जाए। फ़ोटो डालते ही पत्नी से 'आज तो कोई ऐसा डेलिशियस फ़ूड बनाओ, मूड फ्रेश हो जाए' सम्बोधन हिंदी प्रेम को उसी समय अदृश्य कर देता है। आफिस में हुए तो बॉस का 'स्टुपिड' टाइप सम्बोधन रही सही कसर पूरी कर देता है।

और भी सुनें, हमारी सुबह की चाय 'बेड-टी' का नाम ले चुकी है। शौचादिनिवृत 'फ्रेश हो लो' के सम्बोधन में रम चुके हैं। कलेवा(नाश्ता) ब्रेकफास्ट बन चुका है। दही 'कर्ड' तो अंकुरित मूंग-मोठ 'सपराउड्स' का रूप धर चुके हैं। पौष्टिक दलिये का स्थान ' ओट्स' ने ले लिया है। सुबह की राम राम ' गुड मॉर्निंग' तो शुभरात्रि 'गुड नाईट' में बदल गई है। नमस्कार 'हेलो हाय' में तो अच्छा चलते हैं का ' बाय' में रूपांतरण हो चुका है। माता 'मॉम' तो पिता 'पॉप' में बदल चुके हैं। मामा-फूफी के सम्बंध 'कजन' बन चुके हैं। गुरुजी ' सर' गुरुमाता 'मैडम' हैं। भाई 'ब्रदर' बहन 'सिस्टर',दोस्त -सखा 'फ्रेंड' हैं। लेख 'आर्टिकल' तो कविता 'पोएम' निबन्ध 'ऐसए' ,पत्र 'लेटर' बन चुके है। चालक' ड्राइवर' परिचालक ' कंडक्टर', वैद्य'' डॉक्टर' हंसी 'लाफ्टर' बन चुकी हैं। कलम 'पेन' पत्रिका 'मैग्जीन' बन चुकी हैं। क्रेडिट 'उधार' तो पेमेंट 'भुगतान का रूप ले चुकी हैं। सीधी बात नो बकवास। 'हिंदी है वतन हैं.. हिन्दोस्तां हमारा' गाना गुनगुनाना आसान है पर इसे पूर्ण रूप से जीवन में अपनाना सहज नहीं है। तो हिंदी प्रेम का ड्रामा भी क्यों।

इंडिया को भारत बनाने की पहल सार्थक है। यह किसी एक के बस की बात नहीं है। सब साथ देंगे तो यह भी हो सकता है। विचारें, इंडिया को भारत लिखने से भारत थोड़े ही बन जाएगा। इंडिया को भारत के रूप में स्थापित करने ले लिए सर्वप्रथम हमें इंडियन की जगह भारतीय बनना होगा। भारतीय संस्कृति को अपने अंदर धारण करना होगा। ' इंडियननेसज' का मुखौटा छोड़ भारतीयता को अपनाना होगा। तभी तो इंडिया भारत बन पाएगा और हम इंडियन भारतीय। बात कड़वी जरूर है पर शहद के झूठे लबादों से हिंदी की दशा का सुधरना संभव नहीं। शुरुआत ' हिंदी के लिए एक दबाएं, दो नहीं। हिंदुस्तान है तो हिंदी के लिए एक दबेगा और दूसरी भाषा के लिए दो।

नोट: लेख मात्र मनोरंजन के लिए है, इसे कोई व्यक्तिगत रूप से न लें।

Written By Sushil Kumar Sharma, Posted on 14.09.2023

हिंदी भाषा पसंद है ना

SWARACHIT6113

Prem Thakker
~ प्रेम ठक्कर

आज की पोस्ट: 14 September 2023

तुम्हें हिंदी भाषा बहुत पसंद है ना
आज उसी का दिवस है

हर्ष और उल्लास के साथ मनाना
आज न मानना किसी का भी बहाना

में जानता हूं पूरे परिवार की तुम्हें फ़िक्र रहती है
पर आज के दिन अपने मन को करना तुम सयाना

मेरी नज़र में हिंदी दिवस यानी तुम्हारा दिवस
जो आज पूरा तुम्हें अपने आप को ही देना है
मन से एकदम प्रफुल्लित होकर
आज के दिन का आनंद तुम्हें लेना है

एक दिन तो छोड़ दो कामों से खुद को सताना
आज का दिन हर्ष और उल्लास के साथ मनाना

Written By Prem Thakker, Posted on 14.09.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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