हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Friday, 08 September 2023

  1. सांझ आज फिर मिलने आई
  2. बंद कर दिया है मैंने
  3. आंखों से कह गया कोई
  4. दैनिक जीवन में विज्ञान
  5. वैसी लड़की है वो
  6. बेजान

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उम्मीदों  के उन्मुक्त  पखेरे,
   आये  लौट  देख अरुणाई !
       ख़यालों से टिमटिमाते तारे
         सुधियाँ भी बन गई हरजाई!
           सांझ आज फिर मिलने आई !!

दबा ह्रदय मैं  अथाह पीर
   अनुबंधों से रिसता रहा नीर !
        खिला  कसम वो मीठी-सी
           छोड़ गया  अपनी परछाई !
            सांझ आज फ़िर मिलने आई !!

अपलक है देखता  रहा  राह,
   लगता दम तोड़ रही है चाह !
      आता नही मन को धीर ज़रा 
         बढ़ती ही जाये नित रुसवाई !
           सांझ आज फिर मिलने आई !!

बैठ गया मन मार  के मनवा,
  विरह-व्यथा रही जला तनवा !
     सांप-सीढ़ी  से  ख्वाब  सिंदूरी,
        पल-पल रहे कर फिर बेबफाई
            सांझ आज फिर मिलने आईं !!

मंद-मंद  मुस्का  रही  कलियां,
  फिर आई याद सुहानी गलियां !
      जुगनू-सा एक बार चमक कर,
          गया जगा कुछ-कुछ आशनाई
              सांझ आज फिर मिलने आई!!

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 11.05.2023

अब खुद को खुद से ही साफ़ मना कर दिया है मैंने,
हर झूठे हर मतलबी से मिलना बंद कर दिया है मैंने।

चलना चार क़दम दो दिन की बची खुची जिंदगानी में,
बेवजह झुठों के संग संग चलना बंद कर दिया है मैंने।

सोता अब भी रात को खुले आसमां के तले आंगन में,
टुटे तारें से बार बार मन्नत मांगना बंद कर दिया है मैंने।

नमक मेहनत का अब भी बहुत जमा है गालों के ऊपर,
लालची संग झूठा निवाला खाना बंद कर दिया है मैंने।

पैर बहुत दुखते दिन भर पैदल ही मंजिल पर पहुंचते हुए,
उधार के लोहे पतरे पे सवार होना बंद कर दिया है मैंने।

कोई काम पड़े तो पुकारना जरूर मेरे यारों इस ``बाग़ी``को,
अपने कानों से ऊंचा सुनना बिल्कुल बंद कर दिया है मैंने।।

Written By Ajay Poonia, Posted on 07.07.2023

ज़ख्मे दिल मुझको ये दे गया कोई,
दिल से न जाने क्या कह गया कोई, 

आंखों से आंखों की बात हो गई, 
आंखों से दिल में उतर गया कोई, 

नक्श ए पा तेरे  कहां तलाश करुं, 
राहे गुबार आँखों को दे गया कोई, 

मुझे अब भी नाज़ है तेरे वादों पर, 
एतबार एसा फिर दिला गया कोई, 

तन्हा कैसे कटेगा ज़िंदगी का सफ़र,
मझधार में ही किनारा कर गया कोई, 

हां मेरे दोस्तों हां मेैं बिल्कुल नशे में हुं, 
आंखों अपनी मुझे  पिला गया कोई, 

वक़्ते रुख़सत,बड़ा बैचेन  लगता था,
ज़ुबां से नहीं आंखों से कह गया कोई,

शहर में मुसलसल ख़ामोशी तारी है, 
होने वाला है यहाँ पर हादसा कोई,  

मेरी तरफ़ वो बढ़ रहा था महफ़िल में, 
क़रीब था, मुझतक न आ सका कोई, 

तबस्सुम का मुश्ताक़ एसा हुआ असर, 
सारी रात फि़र जागता ही रह गया कोई, 

Written By Mushtaque Ahmad Shah, Posted on 13.07.2023

दैनिक जीवन में विज्ञान
कर रहा है बड़ा कमाल
रोटी-कपड़ा या हो मकान 
हर जगह पहुंच गया विज्ञान।

बना मोटरगाड़ी-रेल-विमान 
आवागमन कर दिया आसान 
शिक्षा-चिकित्सा और सुरक्षा 
सबमें इसका बड़ा योगदान
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

आधुनिक कृषि उपकरणों से 
कृषि कार्य हुआ आसान
बड़े-बड़े कामों को भी  
पल भर में देता है अंजाम 
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

विद्युतबल्ब-ट्यूबलाइट से
रौशन हुआ जग-संसार 
रेडियो-टीवी और मोबाइल 
करा रहे मनोरंजन अपार
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

टेलीफोन - मोबाइल से
संवाद हुआ बड़ा आसान 
कंप्यूटर - लैपटॉप से 
निपट रहा पल में अब काम 
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

फैला जबसे अंतराजाल
संदेश भेजना हुआ आसान 
विज्ञान ने खोले उन्नति के द्वार 
चांद पर भी जा पहुंचा इंसान
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

जिधर देखो उधर विज्ञान
कर रहा है काम आसान 
लगता था जो स्वप्न समान 
देखो हो गया अब साकार
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

हर समस्या का मिला निदान 
जीवन हुआ अब बड़ा आसान
दैनिक जीवन में विज्ञान 
कर रहा है बड़ा कमाल।

Written By Sunil Kumar, Posted on 21.07.2023

वैसी लड़की है वो

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Kunal Kanth
~ कुणाल कंठ कामिल

आज की पोस्ट: 08 September 2023

जैसी दिखती है ठीक हूबहू वैसी लड़की है वो 

या`नी कह रहा एकदम सही सही लड़की है वो

 

 नज्म में उसके बसते शहर शहर गाँव गाँव खुश

क्या बताऊं माशा-अल्लाह अच्छी लड़की है वो

 

चेहरे पे उसके कई अश`आर भी लिखूँ तो कम है

हाय..... ! सच - मुच बेहद हंसी लड़की है वो

 

लोग चाहते हुए भी उलझते नहीं डर से उसके

उफ़ थोड़ी मीठी खट्टी खूब तीखी लड़की है वो

 

मिरे ग़ज़ल में आ कद बढ़ा गई हरेक शेर की 

सोचो सोचो खुद में आखिर कैसी लड़की है वो

 

जिसे भी मिलेगी इस जहां वो खुशकिस्मत होगा 

हसीं मकबूल यार हूबहू ग़ज़ल जैसी लड़की है वो

Written By Kunal Kanth, Posted on 24.07.2023

बेजान

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Priti Sharma
~ प्रीति शर्मा- मधु

आज की पोस्ट: 08 September 2023

हाशिया बनाकर खुद खैर बनकर पूछना
खुश्क सा होकर खस्ता करना
देह स्वतंत्र सी लगे
और मन को कहीं कफस ने जकड़ा।

लफ्ज़ खामोश हो गए
मानो गहरी निद्रा में सो गए।
गुमनाम सा कुछ हो रहा था
बवंडरों में अब खो गया था।
गवारा नहीं था हृदय को
और हृदय ही गवाही दे रहा था।

गश में पड़े हैं पन्नो की तरह
नार्तस का नाम देकर
गैर सा बनकर
नालिशों में ही तो है जकड़ा।

Written By Priti Sharma, Posted on 31.07.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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