हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Wednesday, 06 September 2023

  1. शरण तिहारी
  2. श्री कृष्णा गोविंदा हरे मुरारी
  3. शिक्षक दिवस
  4. गुनगुनी धूप है शिक्षक
  5. शिक्षक को सम्मान चाहिए
  6. वर्णमाला
  7. कृष्ण लीला
  8. सत्यनरायन

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बोले मुरारी की कहां है तू?

कहां मैंने की शरण तिहारी,

फिर बोलें कब तक रहेगा?

कहां मैंने जब तक महिमा तिहारी,

मुस्कुराकर बोले,

फिर भटक तो नहीं जायेगा कहीं?

चरण पकड़े मैं भी बोला,

ये भी प्रभु मर्जी है तिहारी,

बोले फिर वो माधव,

जवाब देना सीख गया है,

कहा मैंने ये मुख क्या, ये जिव्हा क्या

ये शब्द क्या,

ये वर्णों से बने जवाब सब कृपा हैं तिहारी,

बोले फिर मोहन

कि बता फिर क्या समस्या है?

कहा मैंने किनहीं कुछ है अब

खतम हो गई मेरी लाचारी,

एक बार वो फिर बोले

कि किसका बालक है तू आखिर

इस बार मैं मुस्कुराया और बोला

जो हूं,जैसा हूं

तेरा ही बालक हूं मैं बिहारी,

बोले मुरारी की कहां है तू?

कहां मैंने की शरण तिहारी।

Written By Sumit Singh Pawar, Posted on 06.09.2023

श्री कृष्णा  गोविंदा  हरे  मुरारी।
रास  रचैया  गोवर्धन  गिरधारी।।

ग्वाल सखा के साथ की माखन चोरी।
माखन  खाया, मुंह  पर  दही  लपेटी।।
किशन के वध को जिसको कंस ने भेजा।
उस  राक्षसी  पूतना  को  क्षण  में  मारा।।
लीला   बालकिशन   की   विस्मयकारी।।

श्री कृष्णा  गोविंदा  हरे  मुरारी।
रास  रचैया  गोवर्धन  गिरधारी।।

इक उंगली पर परबत आन उठाया।
भारी  वर्षा से  हर जन को बचाया।।
पशुओं के, लोगों के प्राण बचाए।
आभारी   गोकुल   वासी  हर्षाए।।
गोकुलवासी कृष्णा के बलिहारी।।

श्री कृष्णा  गोविंदा  हरे  मुरारी।
रास  रचैया  गोवर्धन  गिरधारी।।

नृत्य  हुआ  विरला  अम्बर के नीचे।
राधा, कितनी  गोपी  मिलकर नाचे।।
कृष्णा  ने  वो  अद्भुत   रास  रचाया।
आज तलक जो कोई समझ न पाया।।
कृष्णा  की  लीला  है   अचरजकारी।।

श्री कृष्णा  गोविंदा  हरे  मुरारी।
रास  रचैया  गोवर्धन  गिरधारी।।

Written By Anand Kishore, Posted on 06.09.2023

शिक्षक दिवस

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Dumar Kumar Singh
~ डुमर कुमार सिंह

आज की पोस्ट: 06 September 2023

सहयोग जिनका लेकर हम
हर मंजिल प्राप्त कर लेते है,
आज 5 सितंबर का दिन
अपने शिक्षकों के नाम करते है।

जग में ऊँचा सबसे जो स्थान है
शिक्षक उनके अधिकारी है,
सबकुछ इनके आगे बौना बौना
ही लगने लगता है
नजर दौड़ाये अगर हम हर ठौर पर हमें
जरुरत महसूस होती
दिखाये सही दिशा हमें कोई
विद्द्यालय/महाविद्द्यालय में
प्राप्त करते जिससे शिक्षा हम
और सीखते जिससे जीवन की गूर बातें
सिवाये शिक्षक के जीवन कहाँ पूर्ण हमारा अब
जितनी करे तारीफे हम
सब अल्प ही नजर आता है
ये चन्द पंक्तियों में बखान
शिक्षकों का क्या हो पायेगा
जो खुद जलकर करता प्रकाशवान
अपने शिष्यों के जीवन का।

हर दिन बीतते इस जीवन में
हर वो विद्वान भी शिक्षक ही है
मिलकर जिससे हममे हुआ
सकारात्मक परिवर्तन है।

जन्म जब से हुआ है हमारा
इस प्यारी सी धरती पर
वो पहली शिक्षक भी हमारी
कितनी प्यार से सिखाती थी
माँ जिसे कहते है हम
फर्ज पहली शिक्षक की वही तो निभाती थी।

ईर्ष्या भरी इस संसार में
मिलना शुभचिंतक मुश्किल है
ऊपर ऊपर सब चाहते है
बहुत आगे तक जाये हम
पैर खींचना शुरू करता तब
जब उससे आगे बढ़ जाये हम
फिर बारी आती है शिक्षकों की
जिनको मतलब नहीं इन तुच्छ बातों का
शान महसूस करता है शिक्षक
जब शिष्य उनसे आगे बढ़ जाता है।

सहयोग जिनका लेकर हम
हर मंजिल प्राप्त कर लेते है,
आज 5 सितंबर का दिन
अपने शिक्षकों के नाम करते है।।

Written By Dumar Kumar Singh, Posted on 05.09.2023

ईश्वर का होता सु-रूप है शिक्षक,
सद्गुणों भरा मृदु कूप है शिक्षक  ।
अनसुलझी-सी सर्द फिजाओं  में,
जैसे कि-गुनगुनी  धूप  है शिक्षक।।

अज्ञानता भरे खाली अ से लेकर,
`ज्ञ` तक का देता है निश्छल ज्ञान  ।
नही  जगत में सदगुरु  से बढ़कर,
गोविन्द  हो  या, फिर  हो  इंसान।।

कहलाती प्रथम गुरु निज जननी,
लेती परख पलभर में  सब कुछ  ।
पिता है सदगुरु  धरती पर दूसरा,   
जाती,देख पीड़ा भरी पावक भुझ।।

तपकरक़े  स्वंय सद्कर्म  वेदी  में,
स्वर्ण को कुंदन बनाये सद्गुरु जी।
लगाए चांद के तिलक शिष्य निज,
पंखों में परवाज जगाये सद्गुरु जी।।  
  
अंधकार भरे छल-छ्द्ममी जग में,
सद्गुरु ही हैं एक महा दिव्य-दीप।
चुन चुनकर बूंद  स्वाति नक्षत्र की,
करता सृजित  वह अनमोल सीप।।

जिसे  मिला  सानिध्य सद्गुरु का,
बन गया  वह ``नर`` नारायण  यहां।
हुआ धन्य जीवनध्येय ``गोविमी``का
जब उठे कदम मेरे हो  कर्मपरायण।।

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 05.09.2023

राही को जो राह दिखाए,
गिरते को ऊपर उठाए,
कच्ची मिट्टी से घड़े बनाए,
धार उनकी कुंद बनाए,
अपनी बिना परवाह किए,
छात्रों का भविष्य बनाए,
मुसीबत आने पर भी,
डिगते नही पथ से कभी,
पथ प्रदर्शक,ज्ञान के दाता,
परखुशी इन्हें खूब है भाता,
सच्चाई की राह दिखाते,
घुलमिल वो सभी से जाते,
त्याग और बलिदान की मूरत,
इनका है राष्ट्र को जरूरत,
देते सेवा हरपल हरदम,
फिर भी जोश न होता कम,
अपने सारे दुख दर्द सहते,
मुंह से कभी उफ न करते,
इतने सारे जतन है करते,
फिर क्यूं इन्हें अपमान है मिलते,
दिल में छुपी एक कसक है,
शिक्षक दिवस पर बयां करते है,
जब गुरु होते है राष्ट्र निर्माता, 
प्रताड़ित क्यूं इन्हें किया जाता,
छात्र हित हेतु सर्वस्व करते कुर्बान,
इनपे होना चाहिए राष्ट्र को अभिमान,
स्वाभिमान का इन्हें दान चाहिए,
शिक्षक को सम्मान चाहिए।
शिक्षक को सम्मान चाहिए।
             

Written By Vivek Kumar, Posted on 04.09.2023

वर्णमाला

SWARACHIT6098

Himanshu Badoni
~ इं० हिमांशु बडोनी (शानू)

आज की पोस्ट: 06 September 2023

हिंदी वर्णमाला में क्रमानुसार, सर्वप्रथम रखे गए हैं स्वर।
तब लिखे जाते सब व्यंजन, जिनसे वाक्य बनते हैं प्रखर।
हिन्दी भाषा को विस्तार मिले, जब इनका संगम होता है।
भाव, सूचना, प्रसंग, संदर्भ, इनका पूर्ण समागम होता है।

असंख्य अक्षरों से भरा रहे, विद्यार्थी के जीवन का रस्ता।
पुस्तक के पाठ में समाहित है, वर्णों की अद्भुत व्यवस्था।

कुछ एकल व कुछ मिश्रित, तो कुछ वर्ण संयुक्त होते हैं।
हर वर्ण की विशेषता यही, वे सभी भाव से युक्त होते हैं।
यदि योग का गुण न होगा, तो वर्ण निर्माण मिट जायेगा।
तब नई वर्णमाला बनेगी, पुराना वर्ण उससे हट जाएगा।

वर्णों से वाक्य व व्याख्या बनें, भरा रहे भाषा का बस्ता।
भाषा प्रगतिपथ पे अग्रसर हो, साहित्य यूं ही रहे हंसता।

वर्णों के संयुग्मित होने के पीछे, छिपी है यह सीख बड़ी।
एकल का महत्त्व है कम, संयुक्त होते ही बने बारहखड़ी।
जो स्वर को मसाला मानें, तो व्यंजन उससे बना भोजन।
इनके आपसी मेल से ही, होते हिन्दी वर्णमाला के दर्शन।

जो भाषा को सम्मान देते, सौभाग्य उनके ऊपर बरसता।
जो करे इसका अपमान, वह ख़ुद सम्मान को है तरसता।

Written By Himanshu Badoni, Posted on 06.09.2023

कृष्ण लीला

SWARACHIT6099

Jay Mahalwal
~ डॉक्टर जय महलवाल

आज की पोस्ट: 06 September 2023

कैसे-कैसे लीला रचाता है
नटखट कान्हा देखो कैसे मुस्कुराता है,
पैरों में घुंघरू बांध देखो कैसे इतराता है,
गोपियों को देखो कैसे,
प्यारी प्यारी मुरली सुनाता है,
मुरली की धुन पर देखो,
गोपियों को कैसे-कैसे नचाता है,
सिर पर देखो कैसे,
प्यारा सा मोर पंख लगाता है,
दूध दही का इतना दीवाना,
देखो कैसे-कैसे मटकी फोड़ने आता है,
वृंदावन की गलियां देखो,
कैसे-कैसे अपने भक्तों का मन बहलाता है,
अपने मैया से करता है इतना प्यार,
उसकी डांट खाने से देखो,
बिल्कुल भी नहीं घबराता है,
नटखट कान्हा देखो,
कैसे कैसे अपनी लीला रचाता है,

गोवर्धन पर्वत को देखो कैसे,
अपनी उंगली पर उठाता है,
अपनी बाल लीला से देखो,
कैसे पूतना को हराता है,
देखो इस संसार में
कैसे अपनी लीला रचाता है,
कंस मामा का वध करके,
देखो सारे लोगों को कैसे,
उसके अत्याचारों से बचाता है,
अर्जुन का सारथी बन के,
देखो कैसे महाभारत के,
युद्ध में कौरवों को हारता है,
कैसे-कैसे देखो दुनिया को,
गीता का उपदेश पढाता है,
कृष्ण कन्हैया देखो,
कैसे-कैसे अपनी लीला रचाता है,
आज सारा जग देखो कैसे,
जन्माष्टमी धूमधाम से मानता है।

Written By Jay Mahalwal, Posted on 06.09.2023

सत्यनरायन

SWARACHIT6100

Rajendra Verma
~ राजेंद्र वर्मा

आज की पोस्ट: 06 September 2023

तेरी कथा हमेशा से सुनते आए हैं,
सत्यनरायन! तू भी तो सुन
कथा हमारी।

सत्य बोलने पर पाबंदी लगी हुई है,
किंतु झूठ के रंग में दुनिया रँगी हुई है,
रिश्ते हुए परास्त,
स्वार्थ ने बाज़ी मारी।

बस्ती-बस्ती जंगल में ज्यों बदल गई है,
शांत समीरण की तबियत भी मचल गई है,
पूजनीय हो गए
क्रूरता के व्यापारी।

है वसंत, लेकिन है सूनी डाली-डाली,
ज्वलनशील तासीर हो गई चंदनवाली,
मावस तो मावस,
पूनम भी हम पर भारी।

समय कुभाग लिए आगे-आगे चलता है,
सपनों में भी अब तो केवल डर पलता है,
कटे हुए पंखों से
उड़ने की लाचारी॥

Written By Rajendra Verma, Posted on 06.09.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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