वो गोधूलि का समय फिर छाया,
वो रवि,लालिमा साँझ की फिर लाया,
उड़ते हैं यादों के गुबार कभी-कभी विचारों संग
बदलाव चित्त में सर्द हवा का झोंका लाया...।
वो लौटते नर-पशु घर,
वो दौड़ लगाते जल्दी में अधर,
वो जिम्मेदारी लेकर सर पर,
खुद को बहुत सी दिक्कतों के बीच पाया
उड़ते हैं यादों के गुबार कभी-कभी विचारों संग
बदलाव चित्त में सर्द हवा का झोंका लाया...।
वक्त के साथ उगते और डूबते,
स्तिथी के साथ बनते और बिगड़ते,
मौसम के साथ सम्हलते और पिघलते,
एक बार फिर इस मन को समझाया
उड़ते हैं यादों के गुबार कभी-कभी विचारों संग
बदलाव चित्त में सर्द हवा का झोंका लाया...।
अपनापन क्या,जब रिश्ते आधे से हो,
मोहोब्बत क्या,जब टूटे वादे से हो,
आधुनिक क्या,जब सपने सादे से हो,
जमीर की सादगी को हमेशा गहरा पाया
उड़ते हैं यादों के गुबार कभी-कभी विचारों संग
बदलाव चित्त में सर्द हवा का झोंका लाया...।
बातें होती बहुत,जानते कम हैं,
सोचते हैं बहुत,मानते कम हैं,
रिश्ते बनाते हैं बहुत,निभाते कम हैं,
जीता वही,रिश्तों को जिसने दिल से निभाया
उड़ते हैं यादों के गुबार कभी-कभी विचारों संग
बदलाव चित्त में सर्द हवा का झोंका लाया...।
Written By Sumit Singh Pawar, Posted on 16.12.2021
पतंग ज़िन्दगी की न जाने कब कट जाएगी
एक बार जो मिली दोबारा न मिल पाएगी
कल की सोच कर बर्बाद मत करो इसे
आज में जी कर देखो खुशी दोगुनी हो जाएगी
लोग लगे रहते हैं एक दूसरे को गिराने में
बढ़ाते नहीं अपने हाथ गिरते को उठाने में
बीत गई ज़िन्दगी इसी उठा पटक में
क्यों वक्त बर्बाद करें मूर्ख को समझाने में
ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं
कभी खुशी कभी गम के दरिया बहते हैं
ज़िन्दगी जिंदादिली से जीने का ही नाम है
सुख उनको ही होते हैं नसीब जो दुख भी सहते है
ज़िन्दगी की पतंग की डोर मालिक के हाथ है
न जाने कब खींच लेगा वह पतंग की डोर
जुड़ नहीं सकती फिर जो एक बार कट गई
किसी में नहीं है उसे फिर से जोड़ने का जोर
ज़िन्दगी की पतंग इस तरह से उड़ाइये
सुख हो या दुख हो हमेशा मुस्कुराइए
किसी के चेहरे पर जो मुस्कुराहट ला सको
ज़िन्दगी का यही अपना मकसद बनाइये
सरे महफिल किसी के ऐब गिनवाया नहीं करते!
दुबारा लौटकर हम उस जगह जाया नहीं करते!
भुगतना तो पड़ेगा फल उसे अब झूठी क़समों का,
ख़ुदा का ख़ौफ है जिनको कसम खाया नहीं करते!
किसी उलझन को कह कर दोस्त कोई मशवरा माँगे,
कभी झूठी तसल्ली देके बहलाया नहीं करते!
तहायफ तो तहायफ हैं उन्हें क़ीमत से मत आँको,
कोई जब प्यार से दे तोहफ़ा ठुकराया नहीं करते!
सुनो ऐ दोस्तों अपनी पुरानी यह रिवायत है,
किसी मज़लूम पर ज़ुल्मो सितम ढ़ाया नहीं करते!
यही अजदाद ने हमको बताया है तो सीखा है,
किसी के घर इजाज़त के बिना जाया नहीं करते!
यक़ीनन ज़िन्दगी तो एक क़ुदरत का अतीया है,
किसी भी बेगुनह को फांसी लटकाया नहीं करते!
हर इक सिक्के के देखो यार दो पहलू भी होते हैं,
लकी हम लोग नाकामी पे मर जाया नहीं करते!
नई-नई मोहब्बतों के किस्से निराले होते हैं
ना दिन को सुकून आता हैं ना रात को चैन से सोते हैं
तेरी पायल की छम छम हमको बहुत लुभाती है
तेरी जुल्फों के साए में होश अपना खोते है
ये झरने कल कल करते हैं ये नदियां गीत सुनाती है
बागों में भंवरे की गुंजन हमको बहुत ही भाती है
फूलों पर भी आई जवानी हमको देख इतराती है
तेरी गलियां हमको तुमसे मिलने को बुलाती है
तुम लैला सी लगती हो, हम मजनू बन जाते हैं
चांदनी रातो में, तारों से हम तो रोज बतियाते हैं
तुमको चांद कहते हैं, हम दीवाने हो जाते हैं
तेरी तस्वीर दिल से लगा कर हम रोज सो जाते हैं
कल फिर तुमसे मिलना होगा, हम तो खुश हो जाते हैं
नई-नई मोहब्बतों के किस्से निराले होते हैं
मेरे नाम से मेरी जो पहचान है,
मेरी वही पहचान रहने दो
मैं अनजान हूँ मुझे अनजान रहने दो
चलती हूँ जिस राह पर सफर की तलाश में
उस राह को तुम सुनसान रहने दो,
सुनसान राह को तुम बेखबर रहने दो
जब पहुंचेंगे पग मंजिल के आखिर पड़ाव पर
सब को अपने आप हो जायेगी खबर
दो गज जमीन के नीचे ढूंढा है घोंसला
सब ले लो मुझसे बस वो मकान रहने दो,
सुनाएंगे कई लोग तुम्हें किस्से कहानियाँ मेरी,
हक ही होगा अब उनका उन्हें कहने दो
मैंने चुना है दर्द को अपना जो हमसफ़र
दूर रहो, इसे मुझे खुद उसे सहने दो
मेरे शब्द गर पड़े तुम्हारी नज़र के सामने
परेशान ना हो, अपने चेहरे पर मुस्कान रहने दो
अनजान हूँ मुझे अनजान ही रहने दो.
न तेरे है न मेरे हैं,
जो हम सब भुगत रहे,
वो तो वक्त के थपेड़े हैं ।
अपना अपना कर्म सब कर रहे,
चाहे वो अपने है या चचेरे हैं,
उसी का फल सब भुगत रहे,
जिसको कहते वक्त के थपेड़े हैं।
आजकल की दुनिया में कर रहे सब,
एक दूजे पर प्रत्यक्ष या परोक्ष वार,
धीरे धीरे टूट रहे सब लोगों के सामूहिक परिवार।
नीचा दिखाने में हर कोई लगा हुआ है,
कर रहे प्रयोग अपने अचूक हथियार।
यहां कहीं नही दिखती चांदनी,
यहां तो सिर्फ अंधेरे ही अंधेरे है।
बस इसी का फल हम सब भुगत रहे,
कहते जिसको वक्त के थपेड़े हैं।
दूसरों को बदनाम करके सोचते,
जैसे मिल गए उनको लड्डू पेड़े हैं,
पर वो भी न भूलें, उनके कर्मों का भी हिसाब होगा वहां,
हर अच्छे बुरे का इंसाफ होगा वहां,
फिर वो भी बोलेंगे ,
अपने कर्मों का फल भगत रहे हम,
ये तेरे हैं न मेरे हैं,
सबके हिस्से आयेंगे ये,
कहते जिनको वक्त के थपेड़े हैं।
"जय" भी कहता सबको ,
करो कर्म तुम अपना अच्छा,
बुरा न करो ,बुरा न बोलो किसीको, ऊपरवाला सब देख रहा,
परिस्थितियां वो बना रहा उसी हिसाब से फिर,
और हम कहते ये तो वक्त के थपेड़े हैं,
ये तो वक्त के थपेड़े हैं।
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