हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Saturday, 02 September 2023

  1. किसने साथ दिया था याद है?
  2. सांझ बेला में
  3. शिक्षा में व्यवधान के कारण
  4. मैं हिमाचल हूं
  5. तेरे शहर में आना हुआ
  6. खामोशी से तुझे आज भी चाहना

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फ़िर आवाज़ आयेगी फ़िर रोएगा कोई
ये इश्क़ है बदनाम सा
तुम्हारा दिल तोड़कर चैन से सोयेगा कोई
ठहरा कहाँ है एक शक्ल पर दिल सबका
बात करके बात बतायेगा कोई


सोशल- मीडिया का जमाना है
याद रखना जमाने को
तुम्हारी ही कसमें खा- खाकर
किसी और को आज़मायेगा कोई


वादा तो सभी करते हैं हमने भी किया था तुमसे
पर वादे को आज़ाद करके
राह नईं दिखायेगा कोई
किसने साथ दिया था याद है?
नहीं ना
किसी और का होकर किसी और के लिए जियेगा कोई


निभाना आना चाहिए प्रेम कैसा भी हो
प्रेम की कोई परिभाषा नहीं
तुमसे रूठकर और लड़कर
फ़िर प्यार जताता है वो
देख लेना ख़्वाब चाहे
पर उसकी तरह नहीं निभा पायेगा कोई


समझना आसान कहाँ होता है उसको
जो टूटा हो रूठा हो खुदसे
पर उसकी हँसी की तरह
तुम्हें हँसा नहीं पायेगा कोई
खत्म कहाँ होती है ज़िंदगी किसी के दूर जाने से
बस! राज़ पुरानी मोहब्बत के छुपायेगा कोई


इंतज़ार है मुझे भी उस घड़ी पल का खेम
``नादान कलम`` की तरह
क्या फ़िर इश्क़ मुझसा उससे निभा पायेगा कोई ?

Written By Khem Chand, Posted on 17.06.2022

सांझ बेला में

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Lalan Singh
~ ललन प्रसाद सिंह

आज की पोस्ट: 02 September 2023

सांझ को अपने,
घर लौटता श्रमिक हो,
घोंसले में लौटता पंछी हो,
चारागाहों से लौटता मवेशी हो,
लंबी दूरी तय कर लौटा पथिक हो,
या फिर मंचों से थका लौटा वक्ता हो,
सबको गंतव्य पंहुचने और 
प्यास बुझाने की 
जल्दी होती है.

सांझ को अपने,
ऑफिस से निकलते,
बाबू जेब टटोलते.
खाली होते ही,
निगल जाने वाली,
भूखी नज़रों से,
मुल्ला ढूंढते,
मिलते ही खिंचते हुए
रसगुल्ले-समोसे के दुकान
पर ले जाते.
क्यूं कि शाम के समय
प्यास बुझाने की
जल्दी होती है.

मुल्ला तो
मिल ही जाते हैं,
बूरे संयोग में
नहीं भी मिल पाते हैं.
तब तमाचे खाये गाल जैसी
मुंह लटकाए तेजी से
घर प्रस्थान कर जाते हैं.
देर रात तक
पत्नी के संग गाल बजाते हैं.
पूर्व के फुफूंदी नोटों का
दो पैग मार
मीठी नींद में डूब जाते हैं.

Written By Lalan Singh, Posted on 05.06.2022

हमको मां बापू ने पढ़ाने में।
न कोई कसर है छोड़ी।।
पेट काटकर है उन्होंने।
मेरी कांपी पुस्तक जोड़ी।।

दस पन्नों की पुस्तक का।
मूल्य दिया है दो सौ बीस।।
बहुत कमीशन है पुस्तक में।
और भरो तुम महंगी फीस।।

माना मंहगाई आयी है।
पर कुछ तो रहम करो भैया।।
हम गरीब भी सकें पढ़।
पर जेवर न बेंचें मैया।।

नहीं प्रशासन रुचि दिखाता।
इस लूट घसूट के खेलों पर।।
अभिभावक चाहे जहां से लावै।
करें दिहाड़ी या कुछ बेंचें वो ठेलों पर।।

Written By Shivang Mishra, Posted on 06.04.2023

मैं हिमाचल हूं

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Jay Mahalwal
~ डॉक्टर जय महलवाल

आज की पोस्ट: 02 September 2023

मैं हिमाचल हूं,
हिमालय का सरताज हूं,
मैं टूटूंगा नहीं,
कितनी भी मुसीबत,
आ जाए मुझ पर,
मैं झुकूंगा नहीं,
मैं हिमाचल हूं...........
आखिर कितना खोखला करोगे मुझे,
कितनी मेरी अंतरात्मा को कचोटोगे,
कितने जख्म दोगे मुझे,
सब सहन करके फिर उठूंगा मैं ,
मैं हिमाचल हूं.........
शिमला मनाली को कितना कंक्रीट बनाओगे,
पैसों के चक्कर में खुद को ही नुकसान पहुंचाओगे,
क्यूं कुदरत को बेबस कराते हो,
पर्यावरण का नुकसान कराते हो,
भोली भाली जनता के, आशियानों को क्यों उजड़वाते हो,
मानव तुम अपनी ,
करतूत से क्यों बाज़ नही आते हो,
अपने इस हिमाचल में,
फिर कैसे तुम सभ्य मानव कहलाते हो,,,,
मैं हिमाचल हूं,
हिमालय का सरताज हूं,
सब लोगों के प्यार का मोहताज हूं,
अपनी अनूठी प्राकृतिक छठा के लिए,
जाना जाता बेबाक हूं,
मैं हिमाचल हूं.........
मैं झुकूंगा नहीं,
अगर किसी ने मुझको बेवजह कुरेदा,
तो मैं विनाश करने से रुकूंगा नहीं,
मैं हिमाचल हूं,
मैं शिव के सिर का ताज़ हूं,
अगर कोई मेरा सिंहासन डोलेगा,
तो फिर मानव त्राहिमाम त्राहिमाम बोलेगा,
चाहे हो फिर शिमला की शिवबौड़ी,
या मंडी का पंचवक्तावर,
अपने पास से तांडव रचाऊंगा,
पानी से ऐसी गंगा बहाऊंगा,
सारी सृष्टि को साथ ले जाऊंगा,
मैं हिमाचल हूं..........
मैं झुकूंगा नहीं,
मैं रुकूंगा नही,
मैं ठार नही ठानूंगा,
मैं रार नही मानूंगा,
हिम का मैं आंचल हूं,
मैं हिमाचल हूं।

Written By Jay Mahalwal, Posted on 02.09.2023

मुद्दतों बाद तेरे शहर में आना हुआ
लौटकर के लगा इक ज़माना हुआ

कि तेरी बातों को याद कर कर के
लिखके रेत पर फिर मिटाना हुआ

तुमको चुनना था तुमने सितारे चुने
तीर इक था और दो निशाना हुआ

ना ही वो बात तुझमें या मुझमें रही
फ़स्ल-ए-गुल भी अब विराना हुआ

अब मुसाफिर हैं हम जिंदगी रास्ता
जहां ठहरा वहीं आशियाना हुआ

Written By Kundan Singh, Posted on 02.09.2023

खामोशी से तुझे आज भी चाहना
मुझे बेहद अच्छा लगता है,
तुम बढ़ चुकी हो अपने जीवन में बहुत आगे
पर चुपके से तुझे देखकर तुझे चाहते रहना
मुझे बेहद अच्छा लगता हैं।
माना कि तुझे तो एहसास भी नहीं कि
मुझे आज भी तेरी कितनी जरूरत है,
पर तुम खुश हो ये देखकर मुझे भी
सुकून मिलता हैं।
सोचा नहीं था कभी कि हमें भी
किसी से यू इस कदर मोहब्बत होगी।
लेकिन अब जो हुई है तो ये बेहद
हसीन सी लगती हैं।
ठहरना तो हम भी चाहते थे
हर पल साथ तेरे पर
मेरे किस्मत में तेरा साथ ही जब मुकम्मल नहीं
तो ये मोहब्बत भी अधूरी सी लगती हैं।
मिलते तो बहुत लोग है जीवन में
पर तेरे साथ होने से जो एहसास होता था
अब वो ना जाने क्यों वो एहसास
किसी और से नहीं मिलता।
साथ तो सब अच्छे से ही निभाते हैं
पर न जाने क्यों किसी का साथ
अब अच्छा नहीं लगता।

Written By Mulla Adam Ali, Posted on 02.09.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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