किसी भी नदी, नहर, या पानी की धारा का अनियंत्रित प्रवाह जो सामान्य मार्ग से हट कर दूसरे निचले इलाको में आ जाता है, तथा धीरे - धीरे अन्य मागाँ की ओर बढ़ता है, उसे प्राकृतिक भाषा में बाढ़ कहते हैं। बहुत ज्यादा पानी गिरना या बहुत लम्बे समय तक पानी गिरना बाढ़ का मुख्य कारण है। बर्फ के ठन्डे स्थानों पर तापमान बढ़ने से बर्फ पिघलती है जो निचले इलाको में बाद का रूप ले लेती है। बाढ़ का कारण तूफ़ान के साथ पानी का प्रवाह बढ़ना भी है जिससे पानी तीन गति से आकर अन्य इलाकों में भर जाता है। अत्यधिक मिट्टी जमा होने पर पानी का बहाव किनारो से ऊपर हो जाता है यह अत्यधिक मिट्टी का जमाव जंगलों के नष्ट होने के कारण होता है क्योंकि पेड़ कटते हैं तो मिट्टी रुक नहीं पाती और नदी में बहकर आ जाती है। यह बाढ़ का एक मुख्य कारण है। कभी - कभी किनारे कटते जाते हैं जिससे पानी का मार्ग बदल जाता है और वह अन्य इलाको में पहुँच सकता है | भूकंप या जमीन खिसकने से भी नदियों के मार्ग बदल जाते हैं जो अनियंत्रित वेग से असमान्य मार्गे पर बहने लगती है और बाढ़ का रूप ले लेती है। वर्तमान में नदियों पर बन रहे बाँध भी नदियों .. के प्रवाह की दिशा बदल रहे हैं। यह बाँध के बनने से नदी का रुका हुआ पानी पीछे के निचले इलाकों में जमा होने लगता है। इस प्रकार यह रुका पानी बाढ़ का रूप ले सकता है। बाढ़ की रोकथाम हेतु अभियांत्रिकीय तैयारियों के अलावा ऐसे उपाय भी किये जा सकते हैं जो बाढ़ के आने की पूर्व सूचना दे सकें, ताकि लोग बाढ़ के पहले अपने समान सहित सुरक्षित स्थान पर जा सके। इस प्रकार के कार्यों में बाढ़ के प्रति भविष्यवाणी, लोगो को जागरूक करना, पहले से बचने की तैयारी करना आदि आता है। भविष्यवाणी के संदर्भ में नदी के किनारे पर रहने वाले लोगों को खतरे के निशान के बारे में बताना, यदि पानी बढ़ रहा है तो लोगों को दो दिन पहले से आगाह करना, जिससे कि वह अपना सामान आदि लेकर सुरक्षित स्थानों पर चले जायें। सरकार ने देश भर में कई जगह बाढ़ भविष्यवाणी केन्द्र तैयार किये हैं जो मुख्यतः बाढ ग्रस्त राज्य जैसे आसाम, पश्चिम - बंगाल, बिहार में हैं। बाढ़ प्रबंधन के लिये सबसे जरूरी है कि बाढ़ की रोकथाम के प्रभावी उपाय तैयार करना, इन तरीकों द्वारा बाढ़ को रोकने में कोई मदद नहीं मिलती बल्कि लोगों को समस्या ग्रस्त स्थान से हटाया जासकता है। उदाहरण के लिये बाढ़ संवेदन इलाको में लोगों को बसने नहीं देना चाहिये, उन्हें समय - समय पर सचेत करते रहना चाहिये। यह तरीके दो भागों में बाँटे जा सकते बाढ़ से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करना। बाढ़ के प्रति लोगो का भय कम करना। बाढ़ प्रबंधकीय योजना का मुख्य उद्देश्य है कि बाढ़ से होने वाली हानियों को रोका जाये। रोकने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश तैयार किये जायें। इसका अर्थ है कि नदी के आस पास का स्थान जहाँ बाढ़ आने पर पानी एकत्रित होता है। अर्थात बाढ़ के समय जब पानी बढ़ता है तो कुछ विशेष स्थान जो नदी के आसपास होते हैं वहाँ पानी भर जाता है, यह स्थान सामान्यतः निचले क्षेत्र होते हैं। अतः ऐसे स्थानों को खाली करा लिया जाना चाहिये। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में रहने वाले लोगों को हमेशा प्रत्येक मौसम में बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ता है, जिससे जान माल का नुकसान हमेशा होता रहता है। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में रिहायशी मकान नहीं होने चाहिये | लोगों को बाढ़ के पानी के फैलने वाले स्थानों पर नहीं रहना चाहिये एवं अपनी बस्ती ऐसे इलाकों से दूर बनाना चाहिये। ऐसे इलाकों में पानी छानकर और उबालकर पीना चाहिये क्योंकि बाढ़ का पानी, नाली के पानी के मिलने की संभावना बहुत ज़्यादा होती है जिससे पाचन तंत्र के संक्रमण फैलने और महामारियाँ होने के आसार रहते हैं। बाढ़ से लोगों की जान को खतरा कम रहता है क्योंकि अगर समय से सूचना प्राप्त हो तो लोग बाढ़ आने के पहले सुरक्षित स्थानों पर जा सकते हैं। बाढ़ के पूर्व की स्थिति का आपात कालीन प्रबंधन यदि ऐसा प्रतीत होता है कि बाढ़ आने वाली है तो उससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है, जिसके लिये उपरोक्त योजना पर क्रियान्वयन किया जाना चाहिये। 4.अलग - अलग विभाग से जरूरी जानकारियों एकत्रित की जानी चाहिये, जैसे- कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य विभाग आदि। b . अपनी सुरक्षा प्रबंध का सही आंकलन किया जाना चाहिये। c . स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध सभी सामग्रियों जैसे दवाई, चिकित्सक आदि का आंकलन किया जाना चाहिये d . ग्रामीण लोगों को या बाढ़ से प्रभावित होने वाले समुदाय को पूर्व चेतावनी देना अधिक आवश्यक होता है। बाढ़ पूर्व चेतावनी पर यदि अमल किया जाता है तो जानमाल की हानि कम से कम होती है, जिससे राहत कार्य में आने वाली परेशानियों को भी कम किया जा सकता है। परन्तु राहत कार्य में कोई ढील नहीं दी जानी चाहिये, जैसे प्रभावित क्षेत्र से समुदाय को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना। बाढ़ से प्रभावित होने वाले समुदाय को यथाशीघ सुरक्षित स्थलों पर पहुँचाना चाहिये। विशेष कर बच्चों और महिलाओं को इन स्थलों पर जीवनयापन संबंधि सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिये। बाढ़ .से निपटना बाढ़ के प्रलय को कम करने की कोशिश की जा सकती है। इसके लिये एक विशेष दल तैयार करना चाहिये। जो पुलिस के जवानों, अर्ध सैनिक बलों या फौज के जवानों का हो और जो खतरे की स्थिति में विचलित न हो। ऐसे दल का प्रमुख कार्य यह है कि यह बाढ़ में फांसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाये और जहाँ तक हो सके लोगों के सामान की सुरक्षा करे | आपात कालीन परिवहन ऐसे समय बाढ़ ग्रस्त इलाके से सुरक्षित स्थान तक पहुँचना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिये सभी प्रकार के यातायात के साधनों को तैयार रखना चाहिये। बाढ़ ग्रस्त इलाके को खतरे वाला स्थान। ( alarm area ) घोषित करना चाहिये। अन्य प्रबंधन कार्य बाढ़ से लोगों को बचाने हेतु अन्य वस्तुएँ जैसे लकड़ी का तख्ता, बाँस की थैलियों आदि का उपयोग किया जाना चाहिये। इसके अलावा ऐसी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिये जो मनुष्य को सुरक्षित स्थान तक पहुँचा सके।संचार माध्यम आपात कालीन समय में संचार के माध्यमों का होना बहुत जरूरी है क्योंकि इसके कारण लोगों को समय पर बचाने हेतु मदद मैंगवायी जा सकती है। बाढ़ ग्रस्त इलाके की जानकारी ली जा सकती है। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुँचाया जा सकता है। राहत सामगियों भेजी जा सकती है। स्वास्थ्य शिविर बाढ़ से पीडित समुदाय के :शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु सुरक्षित स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर लगाना चाहिये, जहाँ आपात कालीन सेवा समुदाय को मुहैया कराई जा सके। यहाँ पर मरीजों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, इलाज व भर्ती करने की व्यवस्था होना चाहिये राहत सामग्रियों में भोजन (Food), कपड़े की पर्याप्त मात्रा होना चाहिये जो मुख्यतः, बाढ़ पीडित लोगों को मिल सके। इसके लिये स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आकर लोगों के लिये सामगियाँ उपलब्ध कराना चाहिये। सुरक्षित स्थल का चुनाव सुरक्षित स्थल बाढ़ ग्रस्त इलाके से दूर होना चाहिये | पक्की इमारत से दूर होना चाहिये। जैसे स्कूल या स्टेडियम आदि। यह सुविधा उपलब्ध न हो तब टेंट कनात के द्वारा शिविर बनाये जा सकते है। मलबा हटाना यह अत्यंत जटिल कार्य है। जो विशेष दल के द्वारा किया जाना चाहिये। मलबे में घर, इमारत का बहा हुआ सामान तो रहता ही है। पर उसमें मृत शरीर भी रहते है। अतः सावधानी पूर्वक इन मृत देहो को अलग - अलग कर उसकी पहचान की जानी चाहिये एवं शीघ्रातिशीघ्र उनकी अंत्येष्टि करनी चाहिये।
मृत जानवरों के शरीर को भी शीघ्रता से नष्ट करना चाहिये।
दहाड़ना फाड़ना उखाड़ना सब कुछ बचपन में कर चुका हूं,
मैं जवानी के समंदर का खारा.... पानी घूंट घूंट पी चुका हूं।
तुम खामखां छींटाकशी आपसी दुश्मनी में उलझते फिर रहे,
मैं भाईचारे के सफ़र में खुशनुमा... जिंदगी खुब ज़ी चुका हूं।
कौन जिंदा बचा भला आज़ के दगा भरें इस बदरंग माहौल में,
मैं लाख बार वफ़ा कर करके जिंदा हर दफा मर भी चुका हूं।
सांस तलक न लेने देगा आयेगा जब वो कभी साथ ले जाने,
मैं ये मौत का खरा फलसफा जिंदगी को समझा भी चुका हूं।
सब रास्तों पर सच के पहरेदार अब भूल के कही मिलते नहीं,
मैं बाग़ी झूठों के चेहरे मतलबी भीड़ में पहचान भी चुका हूं।
अधीनता अखरती सबको।
है स्वाधीनता अखरती।।
इक उस वक्त है अखरती।
इक बाद में अखरती।।
गर नियमों में रहोगे तुम।
तो सकुशल रहोगे तुम।।
है नियमों की स्वच्छंदता।
हर मोड़ पर अखरती।।
दुनिया के अपमान से।
आकुल रहोगे तुम।।
हर मोड़ पर हर क्षण।
व्याकुल रहोगे तुम।।
कब तक बचोगे तुम।
दुनिया की नजर से।।
वह देखेगी उस निगाह।
जो है तुम्हें अखरती।।
1: मैं हूँ फलवाला बच्चों
मैं हूँ फलवाला बेटा जी
खा लो मीठे ताज़े फल
चौबीस घण्टे महा रसीले
खाओ हर पल ताज़े फल
2: सेब
दुनिया भर में उगता सेब
सबसे प्यारा लगता सेब
डाक्टर को तुम दूर भगाओ
प्रतिदिन यदि इक सेव खाओ
3: केला
दुनिया का अजब है मेला
हर कोई खाता है केला
इसे खाये पथिक थकेला
चाहे गुरू रहे या चेला
3: आम
पहले बोलो राम-राम
तब खाओ रसीले आम
पेड़ से स्वयं ही गिरता
गर्मियों में यह पकता
4: अमरूद
इलाहाबादी पेड़ा अमरूद
इसे तोड़े और खाये महमूद
जहांभर में ये पाया जाता
नमक रखके खाया जाता
5: नाशपाती
कुछ भी न करे तन की दुर्गति
नाशपाती फल उत्तम है अति
खाते इसको ज्ञानी ध्यानी
दादा-दादी, नाना-नानी
6: जामुन
मुझमें नहीं हैं कोई अवगुन
मैं हूँ बच्चों मीठा जामुन
मधुमेह में हूँ अति गुणकारी
मैंने काटी कई बीमारी
7: लीची
हो जाए ख़राब, मुट्ठी में यदि भीची
खाओ छील के रसीली मीठी लीची
चुनु जी और मुनु जी खूब इसे खायें
फिर दोनों मधुर मधुर गीत सुनायें
ये जो अफ़साने वुजूद अज़ा रब्बुल-अर्बाब के
सब फ़क़त हिस्सा है और कुछ नहीं नक़ाब के
मुझको पढ़ कर फ़िर भूल नहीं पाओगे कभी
मैं लिखता हूं ग़ज़ल खून लुब्ब-ए-लुबाब के
मजहबी जातिवाद जो मुझे अपना समझ रहे है
इक दिन वहम तोड़ूँगा मुॅंह पर दहन ए लु`आब के
मुझको किस्तों में मरना था सो ग़ज़ल कहने लगा
वैसे रास्तें तो बहुत सारे थे ख़स्ता - ओ - ख़राब के
कोई अब कहे सुफियाना इश्क तो वो बातिल होगा
सब बे-तरतीब मक़बूज़ा है मियां हुस्न ओ शबाब के
बरसो हो गए खत्म हुए ताल्लुकात ए नाज़ ऐसे वैसे
अब तो बस राख पसंद है मत दो फुल वुल गुलाब के
जितना जल्दी हो सके मुझे मार दो दफना दो हुकुम
मैं गर जिंदा रहा तो नारे लगेंगे फ़क़त इंक़िलाब के
मुझे नेमत में देना है तो मर्ग-ए-ना- गहानी दो कुनु
बरसो से हि खूब ख्वाब सजाते आ रहा हूं तुराब के
Written By Kunal Kanth, Posted on 25.07.2023ईश्वर ओम हो जाएगा
पत्थर मोम हो जाएगा
घर में क्लेश कैसा जब
संकट होम हो जाएगा
पढ़ अध्यात्म-दर्शन खुद
सात्विक रोम हो जाएगा
छिन पश्चात अपने आप
उच्छन्न ज़ोम हो जाएगा
छूके एक से मंजिल एक
हौसला व्योम हो जाएगा
पुर्जा-पुर्जा टुकड़ा-टुकड़ा
मिलकर तोम हो जाएगा
बन आफ़ताब या महताब
यामा-ओ-योम हो जाएगा
करके खुद को भस्मीभूत
सोनकर डोम हो जाएगा
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