वावेला खूब मगर सवाल नइ
रब्बुल आवाम पर मजाल नइ
शहर के शहर जल गए लेकिन
हुकुम को अबतक जवाल नइ
साख़्ता शादाब देख यक़ीन हुआ
समर तुराब अमन-ए-रिहाल नइ
खोट नीयत चमन नज़ीर गर्द ऑंखें
सब नाज़ ए शैतां नेक-ख़िसाल नइ
जो कहना होता है कह जाता बेबाक
इसके अलावा मुझमे कुछ कमाल नइ
इक बरस से है हसरत फाँसी की कुनु
हँसते हँसते झूल जाऊँ तो मलाल नइ
Written By Kunal Kanth, Posted on 24.07.2023नज़रों को मिलाते रहो नजरों को झुकाते रहो,
बाग़ी जहां मुहब्बत मिलें वहां जां लुटाते रहो।
सोना चांदी कागज़ के नोट और नफ़रत नहीं,
तुम प्यार वफ़ा.. इंसानियत सदा कमाते रहों।
कुछ भी चलता नहीं संग अर्थी ओर जनाजे के,
सिवाय भलाई के सब कुछ कमाया गंवाते रहो।
जो आज़ धर्म जात मज़हब के नाम पर बांटते,
उनके घरों पे शैतानों के काले निशां लगाते रहो।
है खून ओर रूह का रंग रूप सबका एक सा ही,
``बाग़ी``गले सब को लगा के ये सच हां बताते रहो।
बच्चे अब बच्चे कहां रहे।
वो अब नादान परिंदे नहीं रहे।
बुज़ुर्गों के साथ बैठ।
न अब ज्ञान सीखना चाह रहे।
अब वो सब कुछ ढूंढे इंटरनेट पर।
अरु मोबाइल में झांक रहे।।
न भान रहा उनको अब कुछ।
है अनुभव से ज्यादा ज्ञान नहीं।।
हैं अब गैरों में अपना ढूंढ रहे।
खुद अपनों की पहचान नहीं।।
यूँ करम मुझ पे तेरा शामो सहर होता है
मेरा हर लमहा मसर्रत में गुज़र होता है
सिद्क से काम हमेशा जो लिया करते हैं
उनकी बातों का ज़माने पे असर होता है
होके अफसुर्दा ये कहती है ज़ईफी मुझ से
,दर्द में कैफ नहीं फिर भी मगर होता है,
हाल क्या आशिके सादिक का बताऊँ में तुझे
उस का कांटों से ही हर वक़्त गुज़र होता है
इस लिए ज़िक्र तेरा में ने रखा है कायम
जब करूँ र्तक तो फिर र्दद जिगर होता है
तेरी खुशबू से ही नाज़ां का मुअत्तर है वजूद
गुलशन ए कलब का तु यूँ गुले तर होता है
तुम्हें
जब भी देखा
बस तुम्हें देखा
एकटक देखा
जी भर देखा
होकर देखा
खोकर देखा
तुम में
तुम्हें
जब भी देखा
तो नही देखा
घर
परिवार
समाज
नही देखा
कि क्या कहेंगे लोग
क्या होगा मेरा मजाक
तुम्हें
जब भी देखा
तो नही देखा
उद्धरण
नतीजा
सबक
नही देखा
अतीत
वर्तमान
भविष्य
नही देखा
लोकोक्तियां
क़िस्से
मुहावरे
नही देखा
अर्थ
काम
समय
नही देखा
नही देखा
सेहत
शरीर
स्वार्थ
नही देखा
तुम्हें
जब भी देखा
तो तुम्हें देखा
तुम्हें
जब भी देखा
तो देखा
आश्चर्य से
लय से
भय से
सबसे प्यारा हिंदूस्तान हमारा
तुम हिंदू राष्टृ का नारा लगाओ ।
इज्जत दी है वीरों ने जो हमें
उसे दिल से कभी न मिटाओ ।
देख वीरो के बलिदान को तुम
इसे तुम अपना आदर्श बनाओ ।
देश में भरे पड़े हैं गद्दार बहुत
तुम इनकी बातों मे न आओ ।
आपस में हो भाई चारा भाईयों
आपस में ही न लड़ मर जाओ ।
वीर भगत, चंद्रशेखर और
सुखदेव को तुम ना भुलाओ ।
नफ़रत के तुम बीज ना बोओ
तुम आपस में मत लड़ जाओ ।
नेहरू, गांधी और जिन्ना की
तुम गलतियों को न दोहराओ ।
रखके वीरों की कुर्बानी का मान
तुम मातृभूमि को स्वर्ग बनाओ ।
सबसे प्यारा हिंदूस्तान हमारा
तुम हिंदू राष्टृ का नारा लगाओ ।
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