हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Monday, 21 August 2023

  1. मुश्ताक़ वो इंसान कैसा था?
  2. क्यों कहते हैं भगवान
  3. आओ स्कूल चलें हम
  4. आया सावन झूम के
  5. आने वाला है रक्षाबंधन
  6. शहीदों की गाथा

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याद कर वो बचपन गाँव का  कच्चा मकान कैसा था, 
दिल से सब ही अमीर थे, पास किसके कोई  पैसा था, 
गांव के बड़े बुज़ुर्ग चौपालों रहते थे बतियाते अकसर, 
सर्दियों में जहां मिलकर थे तापते वो अलाव कैसा था,  
ईद आई कि दिवाली आई,हां चहरों की मुस्कान बढ़ी, 
इक दुजे को जो बांटते फ़िरते थे, वो अरमान  कैसा था, 
जात और पांत की बातें कभी न हुई सच गांव में अपने,
शादी, विवाह का उबटन हल्दी हर्ष उल्लास कैसा था, 
वो अमराई प्यारी छांवऔर प्याऊ का पानी ठंडा, ठंडा,
दिलों से हाँ हो गया ग़ायब मुश्ताक़ वो इंसान कैसा था. 

Written By Mushtaque Ahmad Shah, Posted on 22.03.2023

क्यों कहते है तुझे भगवान,

इसकी आज हुई पहचान,

पहले तो था मैं नादान,

दिन रात करता तेरा अपमान,

लेकिन आज हुई पहचान,,,,,, क्यों कहते 

दिन रात लेता था नाम तेरा,

फिर भी नहीं बनता काम मेरा,

देर तो की अंधेर न कि,

तेरी महिमा आज समझ ली,

रख लिया तूने मेरा मान,,,,,,, क्यों कहते

टूटा नहीं आस मेरा,

छुटा नहीं सांस मेरा,

दुख हुआ नहीं गहरा,

तूने दिया मुझे सहारा,

हमेशा रखा मेरा ध्यान,,,,,,, क्यों कहते

Written By Bharatlal Gautam, Posted on 22.04.2023

हर अंधेरा अज्ञानता का,बन ज्ञान-दीप जलें हम,
भरकर जुनून जज्बातों में,आओ स्कूल चलें हम।

स्वर्णिम हो आने बाली भोर,चलो अथक अविराम
लौटना नही डर विपदाओं से,छोड़ ना देना संग्राम।

बन ज्ञानपुंज का दिव्य सूर्य,रोशन कर जहान यह 
अहो भाग्य मिली मानव देह,हर सारा अज्ञान भय।

क़दम चांद पर रखने का,लेखा तुम्हारी तक़दीर में,
बह रही गंगा स्मृद्धि की,दिखता तुम्हारी तनवीर में।

शिक्षा है दूध शेरनी का,दहाड़ना सबको सिखलाए
उचित-अनुचित की सीख,निष्छलता से दिखलाए।

हार ना जाना हिम्मत कभी,मुट्ठी भर अंधियारों से 
गूंजेगी एक दिन यह कायनात,तेरे ही जयकारों से।

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 11.05.2023

आया सावन झूम के 
गीत खुशी के गाने दो
रोको न आज मुझे 
पिया के संग जाने दो।

हाथों में मेहंदी बालों में गजरा 
पैरों में महावर सजाने दो
ओढ़ के सर पे धानी चुनरिया 
आज पिया के संग जाने दो
आया सावन झूम के 
गीत खुशी के गाने दो।

मन में प्रेम फुहार फूट रही है
तन में विरह की आग लगी है
आज पिया के अंग लग जाने दो
आया सावन झूम के 
गीत खुशी के गाने दो।

शिव भोले का पूजन कर 
अखंड सौभाग्य सुख पाने दो
आया सावन झूम के 
गीत खुशी के गाने दो।

Written By Sunil Kumar, Posted on 20.07.2023

आने वाला है रक्षाबंधन का त्यौहार,
होगी भाई बहनों के प्यार की बौछार।।

ये सिर्फ़ त्यौहार नही ये है एक प्यार भरा एहसास,
भाई और बहनों का रिश्ता तो है ही बहुत ख़ास।।

भले बहने खुद ना आ पाती,
फिर भी अपनी राखी पहुंचाती।।

जब था बचपना सब एक साथ थे मनाते,
जिम्मेदारियों के चलते अब तो कभी कभी मिल भी नही पाते।।

भाई चाहे खुश रहे बहन सदा,
बहने भी मांगे भाई की लंबी उम्र की दुआ।।

भाई बहनों के मिलन का ये त्यौहार,
साथ लाए खुशियां अपार।।

Written By Neeta Bisht, Posted on 21.08.2023

चंचल बचपन, मलंग जवानी, हर चेहरा भोला शामिल है।
संघर्ष की इस अनन्त यात्रा में, केसरिया चोला शामिल है।
किसी ने छोड़े समस्त सुख, किसी ने वक्त का दान किया।
पीढ़ियां संघर्षशील बनीं, बढ़-चढ़कर रक्त का दान किया।

पहले संघर्ष फिर पूरे हर्ष से, लिखी गई शहीदों की गाथा।
सुनकर इन वीरों की कथाएं, गर्व से ऊंचा हो जाए माथा।

जनता में लालच और डर के, भीषण चक्रव्यूह बनाए थे।
आज़ादी की बात सुनकर, शासन ने तिरछे मुंह बनाए थे।
चर्चाओं से भीड़ हुई इकट्ठी, उंगलियां मिलकर बनीं मुट्ठी,
जो स्वराज्य की बात करे, भगत ने ऐसे समूह बनाए थे।

दुश्मन के अत्याचारों ने, किया सबकी उम्मीदों को आधा।
किन्तु अमर क्रांतिकारियों ने, प्रयासों से दूर हटायी बाधा।

जो जैसे भी समझा, इसे उसकी बोली में समझाया गया।
आज़ादी है अंतिम लक्ष्य, ये संदेश हर घर पहुंचाया गया।
भगत, सुखदेव व राजगुरु ने, कार्य एक ऐसा नेक किया।
विदेशी संसद में जाते ही, एक प्राणघाती बम फेंक दिया।

वीरों के विवेकी शौर्य ने, था दुश्मन की समझ को लांघा।
जब उन क्रांतिवीरों ने, शासन से मृत्युदंड बदले में मांगा।

यदि फसल उगानी हो तो, कृषिभूमि श्रमदान मांगती है।
गर अलख जगानी हो तो, मातृभूमि बलिदान मांगती है।
जाग गए सब, भगत, सुखदेव, राजगुरु की शहादत से।
बाहर निकल आए सभी, ग़ुलामी की पुरानी आदत से।

क्रांति की अमिट ज्वाला से, हर पराधीन व्यक्तित्व जागा।
सुनी फरियाद, किया आज़ाद, क्रूर भारत छोड़कर भागा।

Written By Himanshu Badoni, Posted on 21.08.2023

Disclaimer

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