हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Friday, 18 August 2023

  1. मुझे बिलकुल भी नहीं
  2. गुब्बारे की कारिस्तानी
  3. आज़ाद वतन अपना
  4. मैं अब पत्थर हो गया हूं
  5. बिटियाॅं माॅंगे अपना हक
  6. आसमान अपना
  7. जब तुम बढोगे
  8. इश्क़

Read other posts

लगते होंगे तुम्हें अच्छे
पर्वत...
ऊंचाइयां इनकी
तुम्हें भी भाती होंगी।
पर, मुझे नहीं...
मुझे बिलकुल भी नहीं।
क्योंकि
जब भी होता हूं
सामने पर्वत के
अपना अस्तित्व मुझे 
बौना नजर आता है।।

दिखता होगा तुम्हें सुंदर
आकाश...
विराटता इसकी 
तुम्हें भी भाती होंगी।
पर, मुझे नहीं...
मुझे बिलकुल भी नहीं।
क्योंकि 
जब भी होता हूं 
नीचे आकाश के 
यह मुझे लीलता
जान पड़ता है।।

करता होगा रोमांचित तुम्हे
समंदर भी....
गहराइयां इसकी 
तुम्हें भी भाती होंगी।
पर, मुझे नहीं...
मुझे बिलकुल भी नहीं।
क्योंकि 
होता हूं किनारे जब
भंवर इसका मुझे 
खींचता जान पड़ता है।।

Written By Surendra Gayki, Posted on 17.08.2023


एक बार,
आजादी के जश्न में शामिल होने निकला,
मैं मेरी बेटी संग पूरा परिवार,
लिया भाग दिन था इतवार,
वहां मिले गुब्बारे दो चार,
मेरे छोटे बाबू को था इससे प्यार,
गुब्बारे को कर लिया अपने साथ,
लेकर आगे बढ़ा ही था कि,
अचानक गाड़ी का तेल हुआ साफ,
गर्मी काफी थी इस कारण,
झेलने लगा गर्मी की मार,
किसी तरह गाड़ी को पहुंचाया,
उसके तेल भंडार  के पास,
गुब्बारा तब तक चिपका था हमारे साथ,
तेल का स्टॉक हुआ फूल,
हम लोग हुए वहां से गुल,
संग था गुब्बारा मेरे यार,
आपा धापी में पहुंचा
घर के पास,
रुकी गाड़ी उतरे झटपट,
गुब्बारा को शायद,
थी ज्यादा ही जल्दी,
वो भी उतरी फटाफट,
हड़बड़ी के चक्कर में,
रास्ता ही गई भूल,
कही से आया हवा और धूल,
लगा हिलाने डुलाने,
सब कुछ गई भूल, 
सोचने लगा जाऊं तो जाऊं कहां,
उलझन में इधर उधर गई झूल,
यह देख मैं हो गया कुल,
दौड़ पड़ा काबू न आया,
काफी जद्दोजहज के बाद,
पाया उस पर काबू,
क्योंकि उसे लाया था मेरा बाबू।
                  

Written By Vivek Kumar, Posted on 17.08.2023

आज़ाद वतन अपना

23TUE08804

Anand Kishore
~ डॉ आनन्द किशोर

आज की पोस्ट: 18 August 2023


संसार  में  न्यारा है आज़ाद वतन अपना।
ये जान से प्यारा है आज़ाद वतन अपना।।

क़ुर्बान हुये तब ही मिल पाई है आज़ादी,
कितने ही शहीदों ने दिलवाई है आज़ादी।
सालों की मशक़्क़त से खिल पाई है आज़ादी,
पुरनूर सितारा है आज़ाद वतन अपना।।

संसार  में  न्यारा है आज़ाद वतन अपना।
ये जान से प्यारा है आज़ाद वतन अपना।।

जो आँख दिखायेंगे त्यौरी से डरा देंगे,
लड़ने को जो आयेंगे हम धूल चटा देंगे।
क्या हमको मिटाएंगे हम उनको मिटा देंगे,
आबाद ये सारा है आज़ाद वतन अपना।।

संसार  में  न्यारा है आज़ाद वतन अपना।
ये जान से प्यारा है आज़ाद वतन अपना।।

सम्मान करो मन से इस हिन्द की धरती का,
ये  सत्य  की  है धरती, दे  प्रेम का  संदेशा।
दुनिया में कहीं कोई, ना इसके बराबर का,
अनमोल हमारा है आज़ाद वतन अपना।।

संसार  में  न्यारा है आज़ाद वतन अपना।
ये जान से प्यारा है आज़ाद वतन अपना।।

 

Written By Anand Kishore, Posted on 15.08.2023

उत्सवों को में अब नकार कर 
अलगाववादी हो गया हू
मन मे कोई दीप नही जलता
कोई रंग असर नही करता
मैंने बहुत प्रयास किया
बहुत गहरे तक मे 
अपने अंदर तक लौटा
मगर कोई उमंग
कोई उत्साह मुझे 
स्वयं में नहीं दिखा।

अब मेरे पैर किसी संगीत पे
थिरकते नही है
सारी खुशियो को छोड़
में अब खाना बदोश हो गया हूं
अब सारा उत्साह, उमंग
मेरे मन मे बंजर हो गये है
इन आँखों से सारे मंज़र
अब भूले नही जाते
सारी त्रासदियों को देख
 में अब पत्थर हो गया हूं।

Written By Kamal Rathore, Posted on 25.02.2022

अब अब्बू मुझको भी पढ़नें दो
हमें क्यों कहतें हों आप नो नो नो।
दिलादो पाटी बरता और पेंसिल दो
फिर हमको कहो विद्यालय गो गो गो।

दिलादो प्यारी सी यूनिफॉर्म दो,
सुहानी जुराबें और जूता जोड़ी वो‌।
पहनकर जाऊॅं साथ खाना ले जाऊॅं,
अज्ञानी रहना यह शर्म की बात है वो।।

जा रहीं चिंकी-पिंकी व मिंकी, 
खोई खोई सी है तुम्हारी यें बच्चीं।
करनी होंगी कठोर तुमको यें छाती,
नाम करुॅंगी आपका कहती हूॅं सच्ची।। 

समय आज का है यें अनमोल,
बिटियां माॅंगे अपना हक यें बोल।
न रखों भेद अब हम भाई-बहन में,
समान हमको रखकर निभाओ रोल।।

उम्मीद यें मेरी अब टूटनें न दो,
आत्मविश्वास मेरा बना रहनें दो।
पढ़-लिखकर आसमान यें छूनें दो,
क़लम उठाकर मुझे अब हाथ में दो।।

Written By Ganpat Lal, Posted on 17.05.2022

आसमान अपना

SWARACHIT6063

Rajendra Verma
~ राजेंद्र वर्मा

आज की पोस्ट: 18 August 2023

सूनी आँखों ने देखा है,
एक और सपना।
धरती इनकी-उनकी लेकिन
आसमान अपना ॥

एक हाथ सिरहाने लग
तकिया बन जाता है,
और दूसरा सपनों के सँग
हाथ मिलाता है,

पौ फटते ही योगक्षेम का
शुरू मंत्र जपना।

एक दिवस बीते तो लगता,
एक बरस बीता,
असमय ही मेरे जीवन का
अमृत-कलश रीता,

भरी दुपहरी देख रहा हूँ,
सूरज का कँपना।

जीवन की यह अकथ कहानी
किसे सुनाऊँ मैं,
जिसे सुनाने बैठूँ, उसको
सुना न पाऊँ मैं,

दुख को यथायोग्य देने को
सीख रहा तपना।।

Written By Rajendra Verma, Posted on 18.08.2023

जब तुम बढोगे

SWARACHIT6064

Hareram Singh
~ डॉ. हरेराम सिंह

आज की पोस्ट: 18 August 2023

जब तुम बढ़ोगे, तुम्हारे शत्रुओं की संख्या लगातार बढ़ेगी,
जब तुम बढ़ोगे, तुम्हारी शिकायतें हर तरफ़ सुनाई देंगी,
जब तुम बढ़ोगे, तुमसे जलने वाले और जलेंगे,
जब तुम बढ़ोगे, तुम्हारे हर कदम पर बाधा होगी,
जब तुम बढ़ोगे, तुम्हारी हत्या की साजिश रची जाएगी।
जब तुम बढ़ोगे, तो यह कहा जाएगा कि यह दुश्चरित्र है!
जब तुम बढ़ोगे, तुम्हारे अपने तुमसे बोलना छोड़ देंगे,
जब तुम बढ़ोगे, यह कहा जाएगा कि यह बेईमान है!
जब तुम बढ़ोगे, तुमसे सच्चा प्रेम बहुत कम करेंगे,
पर, यह भी सच है-
जब तुम बढ़ोगे पहले से ज्यादा विनम्र होगे,
जब तुम बढ़ोगे, तुम अधिकतर से प्रेम करोगे,
जब तुम बढ़ोगे, हर समय कुछ देना चाहोगे,
पर, यह भी सच है-
जब तुम बढ़ोगे, तुम्हारे प्रेम, तुम्हारी विनम्रता,
तुम्हारी देयता को सभी इंकार करेंगे।

Written By Hareram Singh, Posted on 18.08.2023

इश्क़

SWARACHIT6065

Himanshu Badoni
~ इं० हिमांशु बडोनी (शानू)

आज की पोस्ट: 18 August 2023

दांतों तले ज़ोर से पल्लू चबाता कौन है?
इश्क़ की वो अदा अब दिखाता कौन है?
उतर जाता है ख़ंजर सीने में आशिक के,
अब भला इश्क़ में ठोकर खाता कौन है?

इश्क़ को एहसान बता जताता कौन है?
अधूरे वादें सारे, सबको बताता कौन है?
इश्क़ को तुम सभी, ख़ूब सजाकर रखो,
बहुत दूर है मंज़िल, वहां जाता कौन है?

वादा करते तो हैं, पर निभाता कौन है?
बेवफा राहों पर, यूं चला जाता कौन है?
कहते हैं उन्हें शातिर उनके चाहने वाले,
मगर प्यार से उन्हें कभी बुलाता कौन है?

उनकी निगाहें हैं समंदर, ये माना हमने,
साहिल पर खड़े बंदे को डुबाता कौन है?
उनकी गिरफ्त से ख़ौफज़दा हैं आशिक,
जाल में फंसकर फिर घर जाता कौन है?

रहते हैं भीड़ से दूर, छाया उनका सुरूर,
उनका अक़्स आइने से मिटाता कौन है?
लगा है मेला, कुछ लोग हैं तन्हा-अकेला,
अकेले घर में उन्हें भला बुलाता कौन है?

आग से ज़्यादा गर्मी, है दिन के सूरज में,
फिर ये झुग्गी-झोपड़ियां जलाता कौन है?
पानी से ज़्यादा ठंडे हैं, यहां सबके दिल,
इनमें छिपे मर्म को भला बुझाता कौन है?

Written By Himanshu Badoni, Posted on 18.08.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

×

केवल सब्सक्राइबर सदस्यों के लिए


CLOSE

यदि आप सब्सक्राइबर हैं तो ईमेल टाइप कर रचनाएँ पढ़ें। सब्सक्राइब करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।