सारी दुनिया से जुदा अपना वतन है।
हमको अपनी जान से प्यारा वतन है।।
हैं जुदा मज़हब मगर है बात सच ये,
ये वतन हम सबका, हम सारे वतन के।
कह रही बहती पवन हर आदमी से,
ख़ुश्बुओं से त्याग की महका वतन है।।
सारी दुनिया से जुदा अपना वतन है।
हमको अपनी जान से प्यारा वतन है।।
अम्न क़ायम हो सदा हर एक मन में,
मुस्कुराती हैं बहारें इस चमन में।
फूल जैसे लोग सारे हैं वतन में,
कितने फूलों का ये गुलदस्ता वतन है।।
सारी दुनिया से जुदा अपना वतन है।
हमको अपनी जान से प्यारा वतन है।।
दीजिए ख़ुशियों का हर पल जाम सबको,
चैनो-राहत और हो आराम सबको।
इक यही `आनन्द` का पैग़ाम सबको,
जीतना दुनिया में हर दिल का वतन है।।
सारी दुनिया से जुदा अपना वतन है।
हमको अपनी जान से प्यारा वतन है।।
नव युग के नव भारत की गाथा, सुनते और सुनाते हैं।
कितना पाया या खोया है, इसका हिसाब लगाते हैं।।
वो मंगल की चिंगारी देखो, कैसा जोश था भरा हुआ।
वो झांसी वाली रानी के, साहस से गोरा डरा हुआ।।
वो वीर कुंवर का नाम अगर हम, अधरों पर न लाते हैं।
तांत्या संग नाना साहब की, कुछ बात अधूरी पाते है।।
वो जिनके घुंघरू टूट गए थे, देश प्रेम के भावों में।
हजरत महल का त्याग समर्पण, भूल ही होगी स्वभावों में।।
वो संग्राम के दौर का झोंका, शुरू हुआ था शून्य से ही।
सोचो जरा ये भूमि पावन, जिन पर ये प्रेमी आते यहीं।।
खुदी राम भिका जी कामा, या फिर तिलक धरोहर हो।
जय इंकलाब की गाते गाते, हैं तीन सूरमे जाते वो।।
वो करतार सिंह सराबा, क्या थे जवानी देखे हुए।
धन्य धरा का कण कण ही, जहां सावरकर से बेटे हुए।।
कलम जिक्र नहीं कर सकती, वो कैसी महा विभूति थीं।
लिखा तो पाया कल्पना संग, कवि की आंखे रोती थी।।
वो बहुधर्मी और बहुभाषी भी, बस भारत को ही जानते थे।
क्षेत्र है क्या और क्या है अहम, इन सबको कहां वे मानते थे।।
वो बोस हमारे ताज से बनकर, भी हैं जाने खोए कहां।
वहीं कहीं आज़ाद हम सबको, आज़ाद कराकर सोए कहां।।
इनकी जैसी गुमनामी भी, कई सारे सेनानी सह रहे हैं।
मेरा भारत देश महान है बस, ऊधम सिंह भी कह रहे हैं।।
वर्तमान और भूत का अंतर, इतने में ही समाप्त है।
बस तन की विभिन्नता पाई थी, अब मन ही यहां पर्याप्त है।।
राजनीति तब देशहितों में, पक्ष विपक्ष भी साझा था।
अब हम उल्लंघन पाते हैं, हर सीमा और मर्यादा का।।
दोषारोपण कर के कब तब, खुद को ही हम सुझाते हैं।
जानें गलती पर गलती का, हम हुनर कहां से लाते है।।
भारत मां के ध्रुव तारे ये, जो हैं आहुति दिए हुए।
अपने बलिदानों से ही अलग, पहचान हमारी किए हुए।।
इन की चरणों की रज से, अभी स्नान हमारा होना है।
भारत की पावन भूमि का, वास्तव में वही तो सोना है।।
मिल जाए जो हमें आदेश,
क्या आमजन और क्या विशेष,
मेरा मुझमें कुछ नहीं फिर
जब आव्हान करे मेरी माटी, मेरा देश...।
रगो में फिर उन्मुक्त प्रवाह हो,
मस्तिष्क देश विचारों से भरा हो,
हृदय निर्णय लेने में जो खरा हो,
बताओ, क्या रहा फिर शेष
मेरा मुझमें कुछ नहीं फिर
जब आव्हान करे मेरी माटी, मेरा देश...।
शान में इसकी ये प्राण न्यौछावर हैं,
चरणों में इसके ये हमारा सर है,
बताओ, फिर हमें किस बात का डर है,
जब मिलें हैं इस मिट्टी में शहीदों के अवशेष
मेरा मुझमें कुछ नहीं फिर
जब आव्हान करे मेरी माटी, मेरा देश...।
है तिरंगा तो सुरक्षित हम हैं,
लहलहाता रहे, ये ख्वाहिश हरदम है,
इसकी आन न होने देंगे कम,हम सबको कसम है
चाहे कितने ही अलग हो हमारे भेष
मेरा मुझमें कुछ नहीं फिर
जब आव्हान करे मेरी माटी, मेरा देश...।
आओ मिलकर याद करे आज
उन अमर बलिदानी को।
अंग्रेजो की गुलामी से जिसने
आजाद कराया भारत माँ की भूमि को।
आओ मिलकर याद करे....
हंसकर फाँसी पर चढ़ना जिसने स्वीकार किया
भारत माँ की अस्मिता के खातिर
जिसने जान भी अपना न्योछावर किया।
आओ मिलकर याद करे....
जिसके बलिदान से हमें मिली स्वतंत्रता
जिसके लिए हम एकत्र हुए
मनाने को देशपर्व स्वतंत्रता दिवस।
आओ मिलकर याद करे....
जिनके माँओ की आँचल सुनी हुई
जिसने हँसकर खुद को बेवा स्वीकार किया
उन बहनों को भी कैसे भूले
स्नेह अपना जो दे ना पाये अपने भाई को।
आओ मिलकर याद करे....
अंग्रेजों के क्रूर शासन से जिसने हमें मुक्त किया
दिया हमें एक खुशहाल भारत
जिनके हौशला जूनून को सुनकर
आत्मा हमारी काँप जाती है
बार बार जिन्होंने बिगुल आजादी का बजाकर
अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूर किया।
आओ मिलकर याद करे....
काटी जिसने कालापानी की सजा
खूब कोढ़े खाये पीठ पर जिसने
और गोलियां सीने पर खाना स्वीकार किया
फिर भी कभी ना जिसने
अंग्रेजों की स्वाधीनता स्वीकार किया।
आओ मिलकर याद करे....
जिसने हम समस्त भारतवासी के दिल पर
छाप अपना छोड़ गए
दिलाकर हमें आजादी खुद
अमर बलिदानी हो गए
ऋणी रहेंगे हम भारतवासी
सदैव उनके बलिदान के।
आओ मिलकर याद करे आज
उन अमर बलिदानी को।।
संकट-ग्रस्त को उबार देगा
अन्यायियों को सुधार देगा
पड़ी जरूरत अगर देश को
हर एक हाथ में कुठार देगा
स्वर बुलंद कर इंकलाब का
ललकार देगा; पुकार देगा
ऑंख दिखाने वालों का तो
धड़ से गरदन उतार देगा
राष्ट्र-विरोधी हरेक ताकतों को
उन्ही के भाषा में दुत्कार देगा
समझा शोषकों को उनकी भाषा
दलित-शोषितों को उभार देगा
गिरा के नफरत की दीवारें सारी
चमन ए वतन को निखार देगा
माॅं भारती के रक्षार्थ 'सोनकरन'
लहू का एक एक बूंद निसार देगा
देश की रक्षा कर रहे भाइयों को मेरा दिल से सलाम,
देश के लिए शहीद होने वाले वीरो को मेरा कोटि कोटि प्रणाम।।
1757 से लेकर 1947 तक गुलाम रहा भारत
करीब दो सौ साल बाद आजाद हो पाया भारत।।
अंग्रेजो ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को दी फांसी
ऐसे थे हमारे देश के महान क्रांतिकारी।।
जिन वीरों ने दी अपने प्राणों की आहुति
सदैव पूजी जाती है उनकी मूर्ति।।
देश को दे गए वे अनेक नारे
आज़ादी के लिए बलिदान दे गए सारे।।
करता है ये देश वीर सपूतों का सम्मान
अब युवाओं के हाथ में है देश की कमान।।
पं० जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी,
सरदार वल्लभ भाई पटेल ,सुभाष चंद्र बोस,
भगत सिंह ,गंगाधर तिलक आदि
इन महापुरुषों ने देश के लिए अपनी अपनी जान गंवा दी।।
बडी लंबी चली थी ये लडाई ।
15 अगस्त 1947 को मिली आजादी।।
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