नज़रों को मिलाते रहो नजरों को झुकाते रहो,
बाग़ी जहां मुहब्बत मिलें वहां जां लुटाते रहो।
सोना चांदी कागज़ के नोट और नफ़रत नहीं,
तुम प्यार वफ़ा.. इंसानियत सदा कमाते रहों।
कुछ भी चलता नहीं संग अर्थी ओर जनाजे के,
सिवाय भलाई के सब कुछ कमाया गंवाते रहो।
जो आज़ धर्म जात मज़हब के नाम पर बांटते,
उनके घरों पे शैतानों के काले निशां लगाते रहो।
है खून ओर रूह का रंग रूप सबका एक सा ही,
``बाग़ी``गले सब को लगा के ये सच हां बताते रहो।
आज ज़माना भी गज़ब ढा रहा है
मोबाइल तक ख़ुद को सीमित कर रहा है
घर में चार लोग, बैठे चार किनारे
एक दूसरे को देखे भी ना..
और चैट पर पूछ रहे इक दूजे का हाल,
वक्त नहीं है, का बहाना लगा कर
इंसान ख़ुद को इक डिब्बे में बंद कर रहा है..
आज ज़माना भी गज़ब ढा रहा है।
दया ह्रदय में कोई नहीं, ख़ुद तन्हा रह रहा
ख़ाली ख़ुद वास्तों को बनाकर,
फिर सोशल मिडिया पर तन्हाई के स्टेटस लगा रहा है.....
आज ज़माना भी गज़ब ढा रहा है।
आया सावन झूम के
गीत खुशी के गाने दो
रोको न आज मुझे
पिया के संग जाने दो।
हाथों में मेहंदी बालों में गजरा
पैरों में महावर सजाने दो
ओढ़ के सर पे धानी चुनरिया
आज पिया के संग जाने दो
आया सावन झूम के
गीत खुशी के गाने दो।
मन में प्रेम फुहार फूट रही है
तन में विरह की आग लगी है
आज पिया के अंग लग जाने दो
आया सावन झूम के
गीत खुशी के गाने दो।
शिव भोले का पूजन कर
अखंड सौभाग्य सुख पाने दो
आया सावन झूम के
गीत खुशी के गाने दो।
वावेला खूब मगर सवाल नइ
रब्बुल आवाम पर मजाल नइ
शहर के शहर जल गए लेकिन
हुकुम को अबतक जवाल नइ
साख़्ता शादाब देख यक़ीन हुआ
समर तुराब अमन-ए-रिहाल नइ
खोट नीयत चमन नज़ीर गर्द ऑंखें
सब नाज़ ए शैतां नेक-ख़िसाल नइ
जो कहना होता है कह जाता बेबाक
इसके अलावा मुझमे कुछ कमाल नइ
इक बरस से है हसरत फाँसी की कुनु
हँसते हँसते झूल जाऊँ तो मलाल नइ
Written By Kunal Kanth, Posted on 24.07.2023कवि कुछ भी नहीं होता
जमाने की नजर में
होता है इक बोझ
जिसे झेलता रहता है
आएं दिनों
सुनता रहता है
उसकी बातें
झेलता रहता है
शब्द रूपी व्यंग
Written By Abhishek Jain, Posted on 31.07.2023दिल का मज़मून देख लेते हैं
ये लिफ़ाफे अजीब होते हैं
दिल में इक ख़ास कोना होता है
ये उसी के क़रीब होते हैं
राज़ दिल के अयां नहीं होते
राज़ दिल के हबीब होते हैं
ये लिफ़ाफे अजीब होते हैं
कुछ हैं काले तो कुछ सफ़ेद भी हैं
कुछ हैं हामिल तो कुछ अभेद भी हैं
ख़ुशनुमा कुछ तो कुछ हैं वहशतनाक
कुछ हैं हामिल तो कुछ गुरेज़ भी हैं
ज़ख़्म जैसे अदीब होते हैं
ये लिफ़ाफे अजीब होते हैं
कुछ खनकती है चूड़ियां जैसे
कुछ में तो चूनरी सरकती है
है जफा भी तो कुछ वफ़ा भी है
कूए क़ातिल है हम नवां भी है
कितने ज़िन्दा रक़ीब होते हैं
ये लिफ़ाफे अजीब होते हैं
इक लिफ़ाफ़ा हमारा दिल भी है
ज़िन्दगी का नुमाया तिल भी है
है तलातुम भी और साहिल भी
यार ये ख़ुश नसीब होते हैं
ये लिफ़ाफे अजीब होते हैं
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