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Thursday, 10 August 2023

  1. अंतिम मित्र
  2. जरूरतें
  3. परिवार
  4. कुंठा
  5. गीला आँचल
  6. एक भारत नया बनाना है

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अंतिम मित्र

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Kamal Rathore
~ कमल राठौर 'साहिल'

आज की पोस्ट: 10 August 2023

सुनो! अपने मित्रो की सूची में 
मेरा नाम अंतिम पंक्ति में रखना
मेरे नाम के बाद कोई नाम ना हो।

भगवान ना करे कभी तुम्हें
कोई परेशानी घेर ले,और 
दूर-दूर तक कोई उम्मीद की 
किरण नज़र ना  आये।
जब सब अपनो को 
तुम परख लो।
तब तुम बेझिझक हक से
मुझको याद करना।
अपनी अंतिम उम्मीद के साथ 
 मुझको याद करना।
 मेरा वादा है
 एक दोस्त का दूसरे दोस्त से 
 तुम को मैं कभी 
निराश नहीं करूंगा।
तुम्हारी तकलीफों, परेशानियों को
 अस्त कर, मैं तुम्हें
 नया सवेरा, नई किरण देने का 
प्रयास करूंगा, पूरा पूरा प्रयास करूंगा।

Written By Kamal Rathore, Posted on 25.02.2022

जरूरतें

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Manoj Kumar
~ डॉ. मनोज कुमार "मन"

आज की पोस्ट: 10 August 2023

कुछ अरसा विश्राम करके
धरती और पौधों के प्यार 
की खट्टी-मीठी यादें लिए
निकल चला हूँ, 
फिर से उसी मंजिल की ओर
जो अब जरूरत-सी बन गई है.

हाँ, जरूरतें बदलती भले रहती हों
पर जरूरतें बनी जरूर रहती हैं
और शायद सभी उन जरूरतों की 
पूर्ति की जद्दोजहद में लगे रहते हैं.
शायद हर पल और शायद जीवनभर.

Written By Manoj Kumar, Posted on 08.05.2022

परिवार

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Rupendra Gour
~ रूपेन्द्र गौर

आज की पोस्ट: 10 August 2023

जितने अटूट रहे परिवार,
उतने  टूट   रहे  परिवार।

बाजारों की चकाचौंध में,
पीछे  छूट   रहे  परिवार।

पश्चिम वाली परिपाटी में,
जमकर डूब  रहे परिवार।

जैसे   फूटा   करते  दाने,
वैसे   फूट   रहे  परिवार।

रिश्तों  को  रख  ताक में,
बेजा  रूठ  रहे  परिवार।

देखा-देखी  में  नित पीते,
कड़वा  घूंट  रहे परिवार।

अपने हाथों से  स्वयं का,
गला   घोंट  रहे  परिवार।

मार  संबंधों  को  ठोकर,
मजे   लूट   रहे  परिवार।

आज नहीं नामोंनिशां है,
जो जो  ठूंठ रहे परिवार।

Written By Rupendra Gour, Posted on 15.05.2022

कुंठा

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Lalan Singh
~ ललन प्रसाद सिंह

आज की पोस्ट: 10 August 2023

आज भारत जैसे विकासशील देशों में एक और नये व्यापार का जन्म हुआ है. जिसमें धनकुबेरों द्वारा मानव और मानवता की करोड़ों में बोली लगने लगी है. बोली के बाद उसकी रातों-रात सोसायटी में उच्च स्तरीय मानक स्थापित होते हैं. और वह इतना बड़ा बन जाता है कि उनके आगे अब बड़े-बड़े हैसियत वाले बौने सिद्ध होने लगते हैं. अचानक शहर और गांव की गलियों में बच्चे-बूढ़े तक की जुवान पर उस क्रिकेटर के नाम की चर्चा होने लगती है, जिसे कल आईपीएल के लगने वाली बोली में उच्च भाव लगाए गये हैं। सारे न्यूज चैनल और अखबार दिन-रात छक कर गाथा गाने में लगे हैं.

नगर के नगरपालिका मैदान पर खेलने वाला....... इक्कीस साल के युवा खिलाड़ी, सुपर स्टार बना. 

अब क्रिकेट से विकर्षित लोगों में गहरी कुंठा के बीज तेजी से अंकुरित हुए हैं. 

Written By Lalan Singh, Posted on 02.06.2022

गीला आँचल

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Pamita Kumari Yadav
~ पामिता कुमारी

आज की पोस्ट: 10 August 2023

नम आँखों के कोर को आँचल से पोछ लेती है
अब यही घर है मेरा मै जाऊ कहा ये सोच लेती है
भींगती तो है रोज पलके और दिल भी भारी है
त्याग और तपस्या का दूसरा नाम ही नारी है
बनी ये अनपूर्णा सी मगर दुत्कारी जाती है
नवरात्र की पूजा के बाद जैसे देवी बहा दी जाती है
इसके गीले आँचल मे जाने कितने राज छुपे है
कभी खुद के आंसु पोछती है कभी किसी के दुख से भिगोती है
दिन पसीने से नहाती है रात आंसू से तकिया भिगोती है
एक चांद पर जा रही एक दबायी जाती है
कही आसमान को छूती है कही जलाई जाती है
कही सीता बना कर अग्नि परीक्षा दिलाई जाती है
अगले जन्म न नारी बनाना ये दुआ करती है
नम आँखों के कोर से आँचल को पोछ लेती है
अब तो जीना है यहाँ मै जाऊ कहा सोचती रहती है

Written By Pamita Kumari Yadav, Posted on 10.08.2023

हम निकल पड़े है प्रण करके
अपना तन मन अर्पण करके
अम्बर से उपर जाना है
एक भारत नया बनाना है
जवान लेकर किसान लेकर
उनका त्याग, बलिदान लेकर
ज्ञान लेकर विज्ञान लेकर
उन्नति का पहचान लेकर
चाँद को भी छु जाना है
एक भारत नया बनाना है
एक हाथ में कलम
एक हाथ में किताब
भारत को समृद्ध बनाने हेतु
हम सब को लेकर ख्वाब
हर एक को सामने आना है
एक भारत नया बनाना है
राम -रहिम की वही भूमी
जिस पर निछावर हो जाये ये प्राण
हमे चलना है उसी राह पर
करके इस मिट्टी को प्रणाम
पुनः वही संस्कृति लाना है
एक भारत नया बनाना है
गुजरात से लेकर अरुणाचल
काश्मीर से जोड़कर कन्याकुमारी
हम सब इसके सपुत है
वो है माँ भारत हमारी
आज हर एक को अपना र्भज निभाना है
एक भारत नया बनाना है

Written By Krishna Rajbhar, Posted on 10.08.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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