सर्दियों की धूप,
सुलगते अलाव,
चटकती मूँगफली और
एक प्याली चाय.
अनकहे कहकहे,
पुराने दोस्त,
बिसरी यादें और
एक प्याली चाय.
शारीरिक थकावट,
वक्त का गुजारना,
जायकेदार स्वाद और
एक प्याली चाय.
सुस्ती से फुर्ती,
जुबां में मिठास,
अदरक,तुलसी की महक और
एक प्याली चाय.
नुक्कड़ का खोखा,
दस रुपये का संसार,
दिल ने कहा फिर से हो जाए
एक प्याली चाय.
हमारे
जीवन में आए
उन सब
फासलों को
तुम भी मिटाओं
ताकि
बना रहे
धरा पर तुम संग
हमारा तुम्हारा
भाईचारा
जिससे रोशन हो
ये जग सारा
और
बना रहे हमारे संबंधों का
इस धरा पर उजियारा।।
Written By Manoj Bathre , Posted on 12.05.2021सभी से कह रहे हो ऐसी अय्यारी नहीं होती!
मुहब्बत हर किसी की यूँ तो बाज़ारी नहीं होती!
तुम्ही बतलाओ मेरी बात का आए यक़ीं कैसे,
किसी भी शख़्स की मुझसे दिल आज़ारी नहीं होती!
सभी रहते हैं मिल जुलके मुहब्बत से उख़ुव्वत से,
हमारे दरमियाँ नफ़रत की चिनगारी नहीं होती!
हमारे सब अमल हालात के माक़ूल होते हैं,
हमारी पहले से कोई भी तय्यारी नहीं होती!
मैं सीधा साधा इंसाँ हूँ यही सच्चाई अपनी है,
दिखावे के लिए मुझसे अदाकारी नहीं होती!
बुराई देखकर मैं भी अगर ख़ामोश रह जाता,
मिरे अन्दर ज़रा भी बाक़ी ख़ुद्दारी नहीं होती!
तख़य्युल में सही तुम आते जाते ही अगर रहते,
हमारी शामे ग़म इतनी कभी भारी नहीं होती!
अगर पूछो सवालों को `लकी` ग़द्दार कहते हैं,
जो कहते हैं ग़लत कहते हैं ग़द्दारी नहीं होती!
नाम आपका अमर रहेगा सम्राट पृथ्वीराज चौहान,
ऐसा रचाया इतिहास कि याद करता रहेगा जहान।
माफ़ किया आपने मोहम्मद-गौरी को सोलवी बार,
ढेरों युद्ध जीतकर रणभूमि से बनें हो आप महान।।
बचपनें में तीर-कमान युद्ध-कला में निपुण हो गये,
और १५ वर्ष की आयु में राज़ काज सम्भाल लिये।
पिता का नाम राजा सोमेश्वर एवं माता कर्पूरी देवी,
देश की एकता अखंडता के लिए बलिदान दे दिये।।
करतें वंदन आपकों दिल्ली के अन्तिम हिंदू सम्राट,
सबसे ऊंचा नाम रहेंगा आपका अजमेर के सम्राट।
५०० हाथी तीन-लाख सैनिक थें अनेंको घुड़सवार,
मान मर्दन एवं हिंदू कुलभूषण के चक्रवर्ती सम्राट।।
राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता है आपको,
शब्दभेदी तीर चलानें में संसार जानता है आपको।
महान राजकवि व परममित्र थे चंद्रबरदाई आपके,
चौहान वंश व हिंदू धर्म में सब पहचानते आपको।।
बाल्यावस्था से ही वैभवपूर्ण वातावरण में पले बड़े,
६ भाषा में सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ में पढ़ें।
युद्धकला और शस्त्र विद्या गुरु श्रीराम जी से लिये,
विवाह और बहादुरी के किस्से आपके है भरें पड़ें।।
रमण - भ्रमण करते है जाके
होगा तत्क्षण विश्राम कहा ,
गिनती विनती करते दमपति,
पाउती है वो बहुत कीमती,
अरे ओ श्रीमती सुनो तो!
आ रती करते है हम आप की
तुम हो मेरी घाती।
मुझको तो परती है लेकीन, इतनी नही है फुरती
अरे ओ श्रीमती सुनो तो!
करने को वो कर ले भरती,
फिर भी क्यो मुझको लगती है गलती,
तुम तो हो बहुत शर्मीली, कितनी हो मेहनती,
अरे ओ श्रीमती सुनो तो
भानुमती रानी हो मेरी,
तुम्ही मेरी रूपमती ,
अब खोज रहा हू तुम्मे मिल जाए, मुझको गुणवती
अरे ओ श्रीमती सुनो तो !
कविता की क्या परिभाषा दूँ मैं
कैसे कोई कविता बनती है
है लम्बी बहस का ये मुद्दा
इतना तो नहीं मुझमे माद्दा
कर सकता हूँ थोड़ी कोशिश
दिल टूटे उठती दुख की कशिश
कविता बन सामने आता है
क्या ये कविता की परिभाषा है??
यह भावों का शव्द रूप
अभव्यक्ति की यह वाणी है
प्रेम,आकर्षण, कल्पनाओं की
जलती-बुझती कहानी है
जिनको कहना यूँ मुमकिन न हो
उस मूक दिल की यह आशा है
उन आशाओं का भाषा स्वरूप ही
क्या कविता की परिभाषा है??
कोई प्यार किसी से करता है
विश्वास उसी पर करता है
बदले में मिलता धोखा है
आंखों से आँसू बहता है
वो आंसू खारा पानी नहीं
वो तो होती एक कविता है
वेदनाओं का यह सत्य स्वरूप
क्या कविता को परिभाषित करता है??
प्रकृति के अनसुलझे रहस्य को
प्रेम युक्त अनकहे उक्ति को
नयनों से अनदिखे दृश्यों को
संवेदनाओं से युक्त
कल्पनाओं के शव्दों से
माला की लड़ियों के समान
यथार्थ की धरा पर लाता
क्या ये न होती है कविता ??
क्रांति का यह विगुल बजाती
प्रेम के संदेशों को देती
वीर भाव भर भय निकालती
भक्ति भाव का मार्ग दिखाती
व्यंग्ययुक्त शव्दों से कभी यह
वास्तविकता को बाहर लाती
वुद्धि विवेक की सृजनशीलता
क्यूँ ना कहलाए यह कविता ??
नीरस कहानियों में रस भरती
वेजान शव्दों की प्राण वायु यह
छंदों में बंध, लय का प्रवाह यह
जीवन संगीत का तान सुनाती
प्रस्तुती की यह सुंदर कृति
कड़वापन में भी मधुर अहसास
दिल के तारों को झंकृत कर दे जो
ऐसी रचना ही कविता कहलाती।
ऐसी रचना ही कविता कहलाती।।
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