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Saturday, 05 August 2023

  1. मोबाइल
  2. हौसला बचाएं रखना
  3. ख़याल
  4. कृष्ण बिना ना कोई
  5. महादेव
  6. नहीं कुछ बोलना कभी
  7. अख़बार देखिए
  8. अगर मैं लिखता
  9. और किसी का नहीं सोच पाते हैं
  10. पुरोला शहर

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मोबाइल

23SUN07939

Shivang Mishra
~ शिवांग मिश्रा "राजू"

आज की पोस्ट: 05 August 2023

मोबाइल के दुनिया में आने से।
इक चमत्कार सा छाया है।।
मुट्ठी में पूरी दुनिया है।
और कहां धूप की छाया है।।

है इस यन्त्र के द्वारा हम सबको।
जग की पल पल की खबरें मिलती।।
इन्टरनेट कनेक्शन द्वारा।
हैं सारी सुविधाएं मिलती।।

ज्ञान और आध्यात्म से लेकर।
हर विभाग की खबरें।।
गूगल इंजन के द्वारा।
जो चाहे सब खोज लें।।

इस मोबाइल की दुनिया में।
रिश्ते नाते सब दूर हुए।।
बैठे बहुत हैं पास मगर।
मोबाइल में मसरूफ हुए।।

पिता पुत्र मां बहन सभी से।
यह सबको दूर भगाता है।।
घंटों इसमें वे बिज़ी रहे।
पर बात न कुछ कह पाता है।।

इसके कारण ही युवक युवतियां।
हैं सब मर्यादायें भूले।।
प्रेम की पइगें मार मार कर।
इक दूजे के बाहों में झूले।।

Written By Shivang Mishra, Posted on 01.04.2023

आख़री तीर है जब तलक कमान में,
तुम नज़रों को लक्ष्य पे जमाएं रखना।

लाख बाधा आयेगी पथरीले रास्तों पे,
तुम नदी सा यूं हौसला बचाएं रखना।

हो गम और दर्द दिल में कितना भी,
तुम हंस के लब अपने फेलाए रखना।

बिक जाए झूठ चाहे लाख महंगे भाव,
तुम सच की बड़ी दुकान सजाएं रखना।

मतलब कि गहरी नींद में सो रहा जमाना,
तुम खुद को वफादारी से जगाएं रखना।

लोग टिकने नहीं देते कभी गद्दी पर,
 जान पहचान सड़कों से बनाए रखना।

क़ातिल हो चाहे भले कोई तेरा अपना ही,
``बाग़ी`` तूं पता नहीं कि रट लगाए रखना।

Written By Ajay Poonia, Posted on 15.06.2023

ख़याल

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Priti Sharma
~ प्रीति शर्मा- मधु

आज की पोस्ट: 05 August 2023

अभी बहुत बाक़ी था
कि किनारा हो गया
बिना कुछ बोले हर दर्द प्यारा हो गया।
खोमोश ही तो है,
और कुछ थोड़ी है.
पर न जाने,ये कौन सी तन्हाई है
जो हर मलहम पर और गहरी है।
चुप सा रहने को जी चाहता है,
वही मिलों दूर तक खाई है
जितनी छलांग उतना बेबस
ये आख़िर कैसा इम्तिहान
जो मंज़िल पर आके तोड़े दम
जिंदगी है थोड़ी और रस्ता बहुत लम्बा
जो हर जिक्र को झंझोरने वाला,
जाना अभी कुछ ही हिस्सा
समझना कहीं दूर बाक़ी है।

Written By Priti Sharma, Posted on 10.07.2023

कृष्ण बिना ना कोई

23SAT08718

Shiwani Das
~ शिवानी दास

आज की पोस्ट: 05 August 2023

कृष्ण-कृष्ण कहत भोर हुई
कृष्ण-कृष्ण रटत दिन बीते
कृष्ण बिना ना कोई.

रोम-रोम में कृष्ण समाहित 
कृष्ण-कृष्ण कहत परछाई
नैनन तरसे कृष्ण को 
अश्रु भी कहत मुस्काये.

कब दर्शन मिली हे गिरिधारी 
मन-मंदिर तरसत ही जाए.

तोहरी चरणों में अर्पित हैं 
संपूर्ण जीवन हमारी 
हे आराध्य कृष्ण-मुरारी.

अखियन में नींद नाहिं 
कृष्ण नाम जपत हम जाई 
हे गिरिधर-गोपाल तू मोरा 
ना कोई दूसरा होई. 

कृष्ण बिना ना कोई 
कृष्ण बिना ना कोई.

Written By Shiwani Das, Posted on 27.07.2023

महादेव

23MON08746

Siddharth Yadav
~ सिद्धार्थ यादव

आज की पोस्ट: 05 August 2023

पवित्र नगरी के राजा हैं महादेव,
हर हर महादेव, जय जय महादेव।

नीलकंठ कैलाशपति हैं विश्वेश्वर
भोलेनाथ, भैरव, ओंकारेश्वर  । 

अर्धांगिनी भगवती के सहारे,
शिव बने अर्धनारीश्वर संसारे।

काल को हराए देव महाकाल कहलाए, 
विष पान किया प्रभु नीलकंठ बन गए। 

भस्मों को अलंकार बनाएं हुए,  
भुजंग गले में लपेटे हुए  । 

हर हर महादेव की महिमा अपार,
करते हैं शिव शंभु जग का उद्धार  । 

भक्ति भाव से जो जपे नाम शिव का,
तर जाए भव सागर से कृपा मिले शिव का  । 

कृपा करें महाकाल, सभी पर अपार, 
हर हर महादेव, जय जय महादेव।। 

Written By Siddharth Yadav, Posted on 30.07.2023

नहीं कुछ बोलना कभी

23MON08750

Abhishek Jain
~ अभिषेक जैन

आज की पोस्ट: 05 August 2023

चाहे कोई कितना भी कुछ कहें तुझसे
तुम न लब अपने खोलना कभी भी।
वो बोलें सामने तेरे कुछ भी मगर तुम
सामने उनके नहीं कुछ बोलना कभी भी।

जो तुम बोलें कुछ तो उपहास खूब उड़ाएंगे
खुद को ऊंचा दिखने को तुझको बहुत गिराएंगे
एक बात अगर तूने बोली तो
सो बातें तुझे सुनाएंगे।
खुद को ऊंचा दिखने को तुझको बहुत गिराएंगे। 

Written By Abhishek Jain, Posted on 31.07.2023

अख़बार देखिए

23THU08682

Kunal Kanth
~ कुणाल कंठ कामिल

आज की पोस्ट: 05 August 2023

दहशत चीख खून में सना अख़बार देखिए 

आदमी पर आदमी का अत्याचार देखिए 

 

आप सब तो नपुंसक है जाहिल है दरिंदे है 

मसलन चुप्पी साध बस बलात्कार देखिए 

 

ख्याल, दर्द, बेबसी क्रोध संवेदना बेकार है 

आप सिर्फ़ बहर शिल्प ओ अलंकार देखिए 

 

बदला युद्ध गुस्सा प्रेम गाली सब यहीं तक 

वक्ष योनि पे घूर्णन करता ये संसार देखिए 

 

आयेंगे कल आप भी जद में दरबार कवियों

खेर आज अपना ये बातिल व्यपार देखिए 

 

दु चार धमकी से डरने वाला कहाँ ये कुनु

यार ख्याल में आप मेरा हसीं मजार देखिए 

Written By Kunal Kanth, Posted on 24.07.2023


~

आज की पोस्ट: 05 August 2023
Written By , Posted on 01.01.1970

अगर मैं लिखता

SWARACHIT6038

Ashwini Kumar Tiwari
~ अश्विनी कुमार

आज की पोस्ट: 05 August 2023

अगर मैं लिखता हूँ, तो ऐसी होगी शैली,
जहाँ बिंदु-बिंदु संग्रहित हो समस्त संवेदनाएं।
व्याकुलता और सुरमई अर्थों के नये विचार,
छायेंगे शब्दों के पर्वत पर, उठेंगे उच्छ्वास।

रंगीन अलंकारों से सजी, आभूषित होगी छंद,
ताल की बोध और संगीत की आत्मा के साथ।
उठेंगे गीतों के स्वर, सुलगेंगे भावनाओं के विराम,
प्रवाहित होंगे विचार, जैसे नदी के पानी की धार।

ह्रदय में छायेंगे प्रेम के रंग उमड़े,
मिलेंगे दरिया, समुद्र, तारा, चंद्र, धूप, छाया।
दर्पण बनेंगे शब्द, प्रतिबिंब करेंगे अनुभवों को,
अनन्तता के आधार पर सबको मिलेगा पहचानों को।

सुनेगी कविता की क्षितिज से आवाज,
छेड़ेगी अंतरिक्ष के तारों की दूरी,
उड़ेंगे इमारतों के दीवारों से सीने,
मिटेंगी जीवन के सारे अवरोधी खिड़की।

इस कविता की शैली में छुपी होंगी अनगिनत भावनाएं,
शब्दों के मंजीर में बंद होंगे।

Written By Ashwini Kumar Tiwari , Posted on 05.08.2023

चारों तरफ सकुनी और धृतराष्ट्र नजर आते हैं।
अपना ही भला हो ,वो और किसी का नहीं सोच पाते हैं।।

तरह तरह के खेल खेल कर बाजी अपने पक्ष में करते हैं।
अपनी आंखों से हैं न देख दूसरों की आंखों से देखते हैं।।
आंखों में तो अंधेरा छाया ही है
कानों से भी बहरे हो गए हैं।
अपने भी अब उनके पराए हो गए हैं
चारों तरफ सकुनी और धृतराष्ट्र नजर आते हैं।
अपना ही भला हो और किसी का नहीं सोच पाते हैं।।

सारथी हो कृष्ण जैसा नहीं पसंद करते हैं।
दूसरों का माल हज़म करने से भी नहीं डरते हैं।।
लाख जतन करो भाई जिनको लालच
वो फरेबी और राजपाठ की लालसा हो।
दूसरों का माल कैसे अपना हो
हर दम यही सोच और जिज्ञासा हो।।
ऐसे सकुनी और धृतराष्ट्र का अंजाम क्या हो काश वो समझ पाते।
पांडवों के हिस्सों का वो हजम कर कैसे बच जाते।।
हर तरफ से पांडवों को मारने की ही ठानी।
पर जिसे राखे साइयां मार सके न कोय
नहीं उन्होंने मानी।।
सिर्फ अपना भला करने में ही पूरे दांव-पेंच लगाए।
पर समय कहां किसी का होता
अंत में नहीं बच पाए।
पाने के चक्कर में अपना भी गंवाना पड़ता है।
जैसा किया वैसा हर हाल में भुगतना पड़ता है।।
चारों तरफ सकुनी और धृतराष्ट्र नजर आते हैं।
अपना ही भला हो ,वो और किसी का नहीं सोच पाते हैं।।

Written By Hariprakash Gupta, Posted on 05.08.2023

पुरोला शहर

SWARACHIT6036

Lakshmi Rawat
~ लक्ष्मी रावत

आज की पोस्ट: 05 August 2023

मैं देवभूमि का पुरोला शहर हूँ
कमल नदी,कमलेश्वर मन्दिर हैं शान मेरी
मैं हरा भरा सा एक शहर हूँ
देवभूमि का लाल चावल का कटोरा
कहते मुझे मैं हरा भरा पुरोला शहर हूँ “

खो रही यह घाटी अब पहचान मेरी
हो रहा पलायन ले जा रहे जान मेरी
अब कुछ ही वर्षों का बचा खेल हूँ
मैं आप का हरा भरा पुरोला शहर हूँ

ये जो अपनी संस्कृति को खो रहे
ये सभी इंसान हैं कातिल है मेरे
इनकी महत्वाकांक्षा की चढ़ती भेंट हूँ
मैं आप का हरा भरा पुरोला शहर हूँ

कहीं मेरे पहाडों से पेड़ को काट रहे
कहीं मेरी भुजाओं से नदियों को बाँट रहे
अब धीरे धीरे बन रहा मैं बंजर खेत हूँ
मैं हरा भरा पुरोला शहर हूँ

अब तो रूक जाओ मैं कह रहा हूँ
बख्श जो मुझको कब से सह रहा हूँ
अब बचा लो मुझे जितना बचा शेष हूँ
मैं तुम्हारा अपना हरा भरा पुरोला शहर हूँ

Written By Lakshmi Rawat, Posted on 05.08.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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