हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Friday, 04 August 2023

  1. श्री महावीर हनुमत चालीसा
  2. ख़ाराशें तल्ख बातों की
  3. जाने क्या है बात तुझमें
  4. माँ क़े आंचल की छांव में
  5. सावनी बयार
  6. एहसासों की संधि
  7. बताता रहा कोई
  8. शिक्षक
  9. गुनाहों की सज़ा काट रहे हैं
  10. धीरे-धीरे

Read other posts

दोहे:

हे हनुमत, हे विश्व गुरु, प्रभु भक्त महावीर
उत्तम फल वाको मिले, जो सुमिरे रघुवीर .1.
बिसरायें दुष्कर्म को, हम तुच्छ बुद्धिहीन
हे बलधामा भक्त को, न रखिए दीन हीन .2.

चौपाई:

हे कपीस करुणा की मूरत
सब से न्यारी तेरी सूरत .1.

भक्त अनोखे तुम रघुवर के
काज किये सब जी भर भर के .2.

हो बलशाली अंजनी नन्दन
करता यह जग तेरा वन्दन .3.

हो पवन पुत्र आप अनूठे
आपसे कोई सन्त न रूठे .4.

युग सहस्त्र योजन की दूरी
पलक झपक कर डाली पूरी .5.

तेज प्रताप ऐसा निराला
सूरज का कर लिया निवाला .6.

नाम सुनी सब कांपे बैरी
शनि की दृष्टि न तुमपे ठहरी .7.

शोभित घुंघराले केशों में
रहें छिपकर साधु वेशों में .8.

कंचन काया, छवि निर्मल है
हाथों में ज्यों गंगा जल है .9.

हनुमत का बल बज्र समाना
सम्मुख शत्रु तनिक ना आना .10.

कांधे उन के सजा जनेऊ
राम लखन-सा करते नेहू .11.

रामचरित कंठस्त उन्हें है
पल पल प्रभु की याद जिन्हें है .12.

जो बजरंग बली को जपते
जन्म-जन्म के संकट मिटते .13.

हनुमत नाम को कम न आंके
भूत पिचाश निकट ना झाँके .14.

महाबली हो, बाहुबली हो
जग में इक बजरंग बली हो .15.

ज्ञानी तुम, विज्ञानी तुम हो
राम भक्ति के दानी तुम हो .16.

उत्तम हर व्यवहार किये हो
रामभक्ति को अर्थ दिये हो .17.

लघु रूप में सिया ने देखा
मिटी विषाद की तभी रेखा .18.

बजा हनुमत नाम का डंका
पूँछ जली तो फूंकी लंका .19.

दुष्ट असुर इक-इक कर तारे
खलनायक रावण के प्यारे .20.

माता का सन्देशा लाये
राम लखन दोनों हर्षाये .21.

हे हनुमत तुम प्यारे ऐसे
भाई भरत दुलारे जैसे .22.

प्रभु सेवक ऐसा ना दूजा
जिसकी सब करते हों पूजा .23.

भक्तों में है नाम तिहारा
दीन दुःखी का आप सहारा .24.

दिगपाल करें पल-पल वन्दन
देवी, देव करें अभिनन्दन .25.

यम, कुबेर हैं भक्त तुम्हारे
ऋषि-मुनि भी आरती उतारे .26.

राम मिले तो बाली तारा
यूँ सुग्रीवहिं काज सँवारा .27.

शरणागत को मित्र बनाये
काम प्रभु के विभीषण आये .28.

जब जीता प्रभु ने रण भीषण
लंकापति बने, प्रिय विभीषण .29.

हैं प्रसन्न सारे नारी – नर
रामभक्ति में डूबे सब घर .30.

कठिन सभी के काज सँवारे
राम दया की दृष्टि सहारे .31.

बल दो हमको हे बलशाली
अर्ज आपसे जाय न टाली .32.

भक्तों के रक्षक बजरंगी
दुष्टों के भक्षक बजरंगी .33.

शत्रु आगे टिके ना कोई
इनका तेज सहे ना कोई .34.

तुमसा नाथ कोई न दूजा
सकल विश्व में तेरी पूजा .35.

राम भक्तों पे कृपा तेरी
कही न जाये महिमा तेरी .36.

अष्ट सिद्धि नौ निधि के स्वामी
महाबली तुम, अन्तर्यामी .37.

हर संकट से आप बचाएँ
भक्तों के सब कष्ट मिटाएँ .38.

मनचाहे फल सब वो पावें
जो निशदिन हनुमत को ध्यावें .39.

महावीर कवि, दास तुम्हारा
जन्म-जन्म प्रभु, आप सहारा .40.

दोहा:

हर लेना संकट सभी, मंगल भक्त स्वरूप
तेरी महिमा क्या कहें, तेरे रूप अनूप

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 07.03.2023

ख़ाराशें तल्ख बातों की भुलाई नहीं जातीं,
चिन्गारियाँ जो नफरत की लिए फिरते हैं,
साथ उनके हो जाऊँ वो इंसान थोड़ी हूँ। 
मेरी खुशियों को लूटना चाहता है वो, 
काँट राहों में बिछा दूँ वो इंसान थोड़ी हूँ।
मेरे मुत्तालिक कोई राय तू कर ले कायम, 
मेरा भी किरदार है में बे - ज़मीर थोड़ी हूँ। 
एहसान करके मैं तो भूल ही जाता हूँ, 
हर पल जतलाऊँ वो इंसान थोड़ी हूँ।
ख़ाराशें तल्ख बातों की भुलाई नहीं जातीं,
पुराने ज़ख़्म भुल जाऊँ वो इंसान थोड़ी हूँ।
हवाओं में इस तरह कोई बातें न करो तुम, 
हक़ीक़त हूँ,मुश्ताक़ ` कोई ख़्वाब थोड़ी हूँ।

Written By Mushtaque Ahmad Shah, Posted on 22.03.2023

जाने क्या है बात तुझमें,

क्यों याद आती है मुझे,

जब तक रहती है पास मेरे,

हर काम भूल जाता हूं मैं,

तुझे देखकर और किसे देखूं,

कोई नहीं भाता है मुझे... जाने

जितना याद आती है मुझे,

इतना तड़पाती है तू,

तेरी याद में खोया रहता हूं,

मुझे और कुछ ना सूझे... जाने

मेरी आंखों में तेरी छवि है,

मेरे दिल में तूही बसी है,

तू दूर चली गई है कब से,

फिर भी भुला नहीं हूं तुझे... जाने

दिन में नहीं तो रात में,

हकीकत में नहीं तो ख्वाब में,

एक भी दिन ऐसा ना बीता,

कि याद ना आई हो मुझे... जाने

Written By Bharatlal Gautam, Posted on 22.04.2023

माँ के आंचल की छांव में
समाई है यह सृष्टि विराट।
सतत बरसती निर्मल ममता
मुस्काते भू के हर गली -घाट।।

अपने हिस्से ले संताप सकल
सन्तति को दिया मनचाहा वर।
सबके शीशों पर आशीषों के,
रहे उठते पल-पल पर कर।।

हर प्राणी की होती है,
माँ ही भाग्य विधाता जी।
बिना गर्भ के कब कोई
जीव धरा पर आता जी।।

होती है प्रतिरूप ईश का,
करे ह्रदय हर तीर्थ निवास।
माँ के श्री चरणों में बसते
सुख-समृधि शांति उल्लास ।।

भर जाता हर घाव गहरा,
माँ के ममतामयी स्पर्श से।
बिखरे चहुँ औऱ मोती-माणिक
मुस्काये `माँ` जब- जब हर्ष से।।

करना न दुःखी `मां`का ह्रदय,
चाहते जो जीवन में आराम।
माँ ही है आगाज़ भूतल का
माँ ही है अंतिम मकाम।।

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 08.05.2023

सावनी बयार

23SAT08651

Sunil Kumar
~ सुनील कुमार संदल

आज की पोस्ट: 04 August 2023

सावन की चली मदमस्त बयार 
खुशी से झूमे तन-मन आज
बस में नहीं मेरे जिया आज
सावन की चली मदमस्त बयार।

परदेस बसे सैंया मेरे पूछें न मेरा हाल 
तन-मन में आग लगाए सावनी बयार 
सावन की चली मदमस्त बयार।

काटे न कटे अब तो दिन रात 
पल-पल सताए सैंया तेरी याद 
सावन की चली मदमस्त बयार।

कोई संदेशा उन तक पहुंचा दे 
सजनी तेरी करे तेरा इंतजार 
सही न जाए अब विरह की रात  
पल-पल सताए सैंयाजी की याद 
सावन की चली मदमस्त बयार।

लौट के तू घर वापस आजा 
सजनी तेरी करे तेरा इंतजार
सावन की चली मदमस्त बयार।

Written By Sunil Kumar, Posted on 20.07.2023

प्यार का न हो कोई दिन विशेष, न कोई सप्ताह हो, न कोई माह।
ये प्रेम तो एहसासों की संधि है, जिसकी अति दूभर होती है राह।
इसमें न मंशा, संशा, न प्रशंसा, बस प्रियसी का हित मांगती चाह।
है इसका स्पर्श तो बूंद समान, पर आदर्श है इसका समुद्र अथाह।

सात जन्मों का साथी कभी, थामे हाथ को छोड़कर भागता नहीं।
समाज बीच वो प्रेम निभाता, पर मर्यादा की लकीर लांघता नहीं।
भोग-विलास जिसे घेर लेता, ऐसा प्रेमी तो निद्रा से जागता नहीं।
प्रेम में विश्वास भंग हो जाने पर, माफ़ी भिक्षा में वो मांगता नहीं।

Written By Himanshu Badoni, Posted on 04.08.2023

बताता रहा कोई

SWARACHIT6032

Kundan Singh
~ डॉ. कुन्दन सिंह

आज की पोस्ट: 04 August 2023

इक वादे को उम्र भर यूं निभाता रहा कोई
हर शाम आँगन में दीया जलाता रहा कोई

मौसम के बदलने का अंदाजा न था उसे
कि इस क़दर झूठा हाल बताता रहा कोई

ये जो दस्तक सुनाई पड़ती है दिल पर मेरे
दरवाजे की सांकल खटखटाता रहा कोई

जाके बैठा अल- सुब्बह खेतों की मेंड़ पर
ग़ज़ल की नई धुन गुनगुनाता रहा कोई

शहर के रस्तों पर चलकर इस कदर भूला
खुद ही के घर का पता बताता रहा कोई

Written By Kundan Singh, Posted on 04.08.2023

शिक्षक

SWARACHIT6033

Neeta Bisht
~ नीता बिष्ट (जौनपुरी)

आज की पोस्ट: 04 August 2023

शिक्षक शब्द के हैं अनेक अर्थ,
कभी नहीं जाती इनकी मेहनत व्यर्थ।।
गुरु शिष्य का प्यारा नाता,
एक आदर्श शिक्षक सबको है भाता ।।
अच्छी शिक्षा से करें शिष्य का निर्माण,
क्योंकि शिक्षक तो होता ही है महान।।
शिक्षक हैं ज्ञान का भंडार,
सदैव करेंगे उनका सत्कार।।
शिक्षक ही है शिक्षा का प्रथम स्तंभ,
जिनका सम्मान कभी ना हो पाए कम ।।
शिक्षक है सफलता की कुंजी,
सफल छात्रों के जीवन की पूंजी।।
छात्रों के भविष्य का करें ध्यान,
शिक्षक बनना नहीं है इतना आसान।।
डॉक्टर इंजीनियर कई पदों पर होते हैं छात्र नियुक्त,
क्योंकि एक शिक्षक होता है अनेक गुणों से युक्त।।
एक सफल नागरिक बनाने का करे काम,
सोचकर अक्सर में हो जाती हूं हैरान।।
आज भी याद है मुझे अपने सारे टीचर,
जिन्होंने बनाया मेरा फ्यूचर।।

Written By Neeta Bisht, Posted on 04.08.2023

ना करदा गुनाहों की सज़ा काट रहे हैं
हम जु़ल्फे तमन्ना से रिहा काट रहे हैं

हम सोज़े ग़मे यार में हंसते हुए अक़्सर
मजज़ूब से दोनों का मज़ा काट रहे हैं

ना ज़ेब नहीं ग़म भी है वाबस्ता उसी से
मन्सूब से क़िस्मत का लिखा काट रहे हैं

ख़्वाबों से मरासिम हैं आंखों से नुमू है
जो मिल ना सका उसका गिला काट रहे हैं

दिल चाहता जिसको भी क़िस्मत में नहीं है
ग़म ख़्वार हैं हम उसके बजा काट रहे हैं

हम चाहते दुनिया हैं अफ़सोस मगर शाह
हम यह के जहां में भी ख़ुला काट रहे हैं

Written By Shahab Uddin, Posted on 04.08.2023

धीरे-धीरे

SWARACHIT6035

Uma Patni
~ उमा पाटनी (अवनि)

आज की पोस्ट: 04 August 2023

गुजरते हुए दिन की तरह ढल रहा हूँ धीरे-धीरे
वक्त के मजबूत हाथों फिसल रहा हूँ धीरे-धीरे
हसरतों की पूंजी लिए ख्वाहिशें अधूरी हैं अब भी
बेकाबू हुए ख्वाबों संग मचल रहा हूँ धीरे-धीरे
यूं ही राहों में अक्सर गिरता-पङता ही रहा हूँ
अब मुकम्मल हो मैं संभल रहा हूँ धीरे-धीरे
उम्र की बढ़ चली है गिनती जिद में अपनी मैं नहीं अब
कुछ पुरानी आदतें बदल रहा हूँ धीरे-धीरे
कैद जो था जंजीरों में मुकद्दर की लकीरों में
स्वच्छंद पंछी की भांति निकल रहा हूं धीरे-धीरे
आसमां छूने की जिद है रास्ते परेशां है मगर
मैं अडिग, अदम्य पथ पर चल रहा हूँ धीरे -धीरे

Written By Uma Patni, Posted on 04.08.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

×

केवल सब्सक्राइबर सदस्यों के लिए


CLOSE

यदि आप सब्सक्राइबर हैं तो ईमेल टाइप कर रचनाएँ पढ़ें। सब्सक्राइब करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।