सावन आया-सावन आया
संग अपने खुशियां लाया।
देख प्रकृति की छटा निराली
तन-मन मेरा हर्षाया
सावन आया- सावन आया।
बागों में देखो पड़ गए झूले
गाएं सखियां खुशी से झूमें
देख उन्हें मन मेरा ललचाया
सावन आया-सावन आया।
धरती ने ओढ़ी धानी चूनर
अम्बर ने अमृत बरसाया
सावन आया- सावन आया।
हाथों में मेहंदी बालों में गजरा
पैरों में महावर सजाया
सावन आया- सावन आया।
शिव भोले का पूजन कर
अखंड सौभाग्य सुख पाया
सावन आया- सावन आया।
रहने लगा जबसे कसाफ़त में
लुत्फ़ आने लगा है हिक़ारत में
क्यों करूँ पहल ए यार किसी से
जब तन्हाई पाया हूँ रफ़ाक़त में
बे-रुख़ी बे-दिली क्यों कर सँवारें
दिल नहीं लगता हर्फ़ - हिकायत में
ये हँसी, शादाब सुकूँ पीछे रह गया
ज़िंदगी गुजर रही है अब नदामत में
मर जाऊँगा पर गुलाम नहीं होने दूँगा
कलम उठाया हूँ रास्त के हिफाज़त में
तुम कह रहे हो गर तो मान लूँगा म`गर
मिरी ख़ुशी मिरा सुकूँ सब किताबत में
जीतना हो मुहब्बत कीजिए कुनु से
मुनाफ़ा कुछ नहीं है यारों अदावत में
Written By Kunal Kanth, Posted on 25.07.2023हे नारी तुम कितनी द्रढ हो,
आजादी तुमको मिली प्रष्ठों में|
दुबकी रही तुम घर कष्टों में,
सब देखे तुम्हें हेय द्रष्टों में ||
आएंगे मत लेने चरण तुम्हारे,
राजनीति का तुम मुखर बिन्दु|
बना योजनाएं उत्थान हेतु,
कहलाओगी कमल इंदु ||
बहन बेटी बोलने वालों के मुख,
सिल गए थे या बंद थी आँख|
चीरहरण होता रहा तुम्हारा,
वे बढ़ा रहे अपना ऐशो साख||
आएंगे नवराते पूजेंगे सब,
तब तक तुम अपमान सहो|
निर्भया,साक्षी,उन्नाव,हैदरा,
उंगलियों में नाम गिना न अहो||
लोग क्या तुम खुद भुलोगी,
भाषण उनके मधुर जो रहे|
देश विदेश में नाम है उनका,
खबर तुम्हारी दबी ही रहे||
रंग है परेशान करता कटि वस्त्रों का,
मूक हो जाते सब निर्वस्त्रों पर|
बनेंगी खबरे तन की बात पर,
खुश रहो तुम मन की बात पर||
गुनहगार मेरी कलम भी है,
लिखती रही जो सुंदरता पर|
बना कर तुमको हीर, लैला,
खुश करता रहा मैं कायरता पर||
है जिम्मेदार पूरा पुरुष समाज,
बन न सके जो तुम्हारी आवाज ||
पता नही हम जिसे चाहते है वो दूर हमसे क्यों हो जाता है,
हम चाहते है हमेशा उसे खुश रखना पर वो अक्सर हमे रुलाता है,
रहता हु जब अकेला तो उसका याद बहुत सताता है,
पता नही हम जिसे चाहते है वो हमसे दूर क्यों हो जाता है।
खुद को गलत बताऊ की किस्मत को दोषी ठहराऊ मैं,
समझ नही आता है ये बाते किसको बतलाऊ मैं,
सोचता हु उसके लिए बहुत कुछ करना पर सारा सपना चूर हो जाता है,
बोलता हु मै जब सच बाते तो मेरा ही कुसूर हो जाता है,
पता नही हम जिसे चाहते है वो हमसे दूर क्यों हो जाता है।
हर सुख दुख के बेला में उसका हाथ बटाता हु मै,
रहे न कभी वो उदास हरदम उन्हें हसाता हु मै,
पर वो तो अपने आप में अलग ही सुरूर बनाता है,
लाख समझाने के बाद भी वो मुझे नही समझ पाता है,
उन्हें याद कर मेरी आँखे फिजूल में आंसू बहाता है,
पता नही है जिसे चाहते है वो हमसे दूर क्यों हो जाता है।
सपने का मतलब
होता है ख्वाब
और मैं ख्वाब
नहीं देखता जनाब।
नही कोई समय लगता हैं
सपने को अपलोड करने में
परंतु जिंदगी बीत जाती है
सपने को डॉउनलोड करने में।
जो भी चाहिए
उसको उसको लक्ष्य बनाता हूं
पूरी मेहनत से उसको
पूरा करने में जुट जाता हूं।
अड़चने बहुत आती है
फिर भी नहीं घबराता हूं
हर परिस्थिति में
मुस्कराता हूं।
न किसी को दोष देता हूं
न किसी से शिकायत करता हूं।
अपना लक्ष्य पाने के लिए
दिन रात एक करता हूं।
जब तक आप असफल है
लोग आप पर हसेंगे,
सफलता मिलने पर यही
लोग आपके पीछे चलेंगे।
जब अडिग,अविचल, अटल राष्ट्र पर,
भारी संकट आया,
भारत माँ की अस्मिता पर,
एक कुटिल अभ्र सा छाया,
पर थे माता के लाल अतुल्य अनंत बलशाली,
और टूट पड़े थे दुःशासनों पर ,
बजा - बजा कर करतल ताली,
जूझ गए थे एक-एक कर,
वो वीर थे मानी-अभिमानी,
गोला बारूद जब खत्म किया,
फिर अपनी छाती तानी,
धन्य उर्वरा वसुंधरा,
जिसने हैं रण बांकुरे उपजाए,
बूंद-बूंद कर रक्त समर्पित,
फिर प्राणांत कर वो हर्षाए!
दोस्ती है उसका नाम,
जिसमें रूठना मनाना रोज का काम।
दोस्ती है दुनियां की हसीन हस्ती,
कभी ना डूबे इनकी कस्ती।।
दोस्ती मैं ना जात पात है,
दोस्तो में कुछ खास बात है।।
सारी बाते दोस्तो को बताते,
फिर भी दोस्त कभी नही जताते।।
सुख में भले ही पीछे हट जाए,
लेकिन दुःख में सबसे आगे आए।।
डांट फटकार लगाएं दोस्त,
सही और गलत भी बताए दोस्त।।
दोस्त होता है एक अच्छा सलाहकार,
कभी ना होने दे दोस्त को लाचार।।
बुरे वक्त में साथ न छोड़े,
दुःखी देखकर मुंह ना मोडे।।
ये दोस्ती भी है अजीब बीमारी,
क्योंकि करते है अपनी मनमानी।।
शक नही है दोस्त हैं मेरे सारे सच्चे,
और बहुत ही अच्छे।।
दोस्त वही जिसको देखकर मुंह खिले,
वो नही जो तुम्हें देखकर मुंह फेरे।।
दोस्त वही जो दोस्त की तरक्की से ना जले,
बल्कि जिनकी दोस्ती देखकर खुद दुनियां जले।।
आंखों में सुरमगी लिए बोझिल सा नूर है
वो मुस्कुरा रहे हैं कोई ग़म ज़ुरूर है
कुछ दिल की चाहतों का पता ख़ामशी भी है
हालांकि उनको दिल पर अपने उबूर है
हां में वो ना कहे हैं ना में वो हां किये
दावा है बोलने का उनको शऊर है
महके हुए वो ख़ुद हैं महका हुआ समा
नामा हुआ फुलां ये नामी उतूर है
पहले ये चाहा हम को हो जाए कुछ ख़बर
झुठला दिया नहीं ये हर गिज़ फ़ितूर है
आंसू रवा हैं उनकी आंखों से शाह जी
जाना मगर ये हम ने आबे तहूर है
क्या वाकई अंत में सब ठीक हो जाता है
मृत्यु शैय्या पर लेटा व्यक्ति क्या आराम से मर पता है?
क्या मरना इतना आसान है?
क्या मरने से ठीक पहले उसे याद नहीं आती अपनों की,
रिश्तों की, और उन छोटे-छोटे लम्हों की
जो खुशी -खुशी बिताए थे उसने अपने के संग.
क्या याद नहीं आता उसे अपनी जिंदगी का
वो हर छोटा बड़ा किस्सा जिसमें वो खुल के हंसा था,
वह पल जिसमें कुछ जाने कुछ अनजाने उसके अपने बने थे।
क्या मरने से ठीक पहले उसे याद नहीं आते वो रिश्ते
जो उसके मरने से पहले ही मर गए थे उसके लिए?
क्या याद नहीं आता उसे अपना घर जहां उसने
अपने जीवन के कितने वर्ष गुजार दिए
और क्या याद नहीं आता उसे अपनी माता-पिता की
गोद या गलती करने पर उनकी दी हुई डांट.
क्या याद नहीं आता उसे बाग का वो आम का पेड़
जिस पर पड़े झूले पर ना जाने ही उसने
दोस्तों संग कितनी मस्ती की थी.
क्या मरने से पहले उसे याद नहीं आती वो
जिम्मेदारियां जो वह निभाते निभाते अपनों से ही दूर हो गया...
क्या अंत में उसे लगता नहीं
कि काश कुछ वक्त और मिल जाता
वो मांग लेता माफी उनसे जिनका दिल दुखाया है उसने.
क्या मरने से ठीक पहले नहीं चाहता वो देखना
अपने उन सपनों को पूरा होते हुए जो रह गए थे
अधूरे जिम्मेदारियों के बोझ तले...
क्या मरने से ठीक पहले वो नहीं चाहता
अपने अंतिम समय में अपनों का साथ ,
उन्हें जीभर के देखना अंतिम बार और
उनसे की हुई बातें जो कभी खत्म ही ना हों,
वो उन अंतिम पलों में जीना चाहता है
वो जिंदगी को कभी वह शायद जी ही ना पाया हो.
इन्हीं सब चिंताओं के बीच फिर उसे चिंता सताती है अपनों की ,
कि अब उनका साथ छूट जाएगा ,
जिनके साथ था अब तक उनको अकेला छोड़ जाएगा ,
अब नम होने लगती है उसकी आंखें,
क्योंकि वो अब अपनों को कभी ना देख पाएगा.
चिता पर लेटा मनुष्य भी चिंता में होता है
और अंतः में चिता ही शेष रह जाती है ..
और अंत में वह छोड़ जाता है
उन तमाम सवालों को जिनके उत्तर उसे कभी ना मिले.
क्या वाकई अंत में सब ठीक हो जाता है?
कुछ ख्वाहिशें अधूरी है
तो रहने दो।
मोहब्बत की तरफ पाव नहीं जाते
तो रहने दो।
अपनापन दिखा कर भी
कोई अपना नहीं बनता
तो रहने दो।
मंदिरों मस्जिदों में घूम कर भी
हृदय नेक पाक नहीं होता
तो रहने दो।
दिलों जान से मोहब्बत करने के बाद भी
तुमसे किसी को इश्क नहीं होता
तो रहने दो।
दिल्लगी के बाद भी
कोई दिलदार नहीं बनता
तो रहने दो।
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