हिन्दी बोल India ई-पत्रिका

Thursday, 20 July 2023

  1. अब राम का दर्शन दूर नहीं
  2. ईश्क़ का बाज़ार हो जाऊं
  3. प्रीत की सजा
  4. रहेगी गूंजती गाथा प्रताप की
  5. मां
  6. पुरुष

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जन मानस के मन में था जो
और सृष्टि के कण-कण में था जो
अब राम का दर्शन दूर नहीं……
प्रभु मंदिर का निर्माण वहीं……

दीपों से फिर सजी अयोध्या
मन-मंदिर में बसी अयोध्या
अब राम का दर्शन दूर नहीं……
प्रभु मंदिर का निर्माण वहीं……

मोदी ने संकल्प लिया था
योगी ने हठयोग किया था
अब राम का दर्शन दूर नहीं……
प्रभु मंदिर का निर्माण वहीं……

आई पूजन की मधुर बेला
जनमानस का उमड़ा मेला
अब राम का दर्शन दूर नहीं……
प्रभु मंदिर का निर्माण वहीं……

अटल ने यही सपना देखा
अवध में भवन अपना देखा
अब राम का दर्शन दूर नहीं……
प्रभु मंदिर का निर्माण वहीं……

रथ यात्रा अब सफल हुयी है
कार सेवक को मुक्ति मिली है
अब राम का दर्शन दूर नहीं……
प्रभु मंदिर का निर्माण वहीं……

Written By Mahavir Uttaranchali, Posted on 07.03.2023

हक़ की बातें न करूं मैं  सच्चाई से दूर हो जाऊं, 
अपने ज़मीर से लड़लुं,कोई अखबार  हो  जाऊं, 

मेरे दिल को  हो गया भरम  कि मैं फरिश्ता हूं, 
मगर डर लगता है ज़माने,से  इंसान हो जाऊं, 

तिजारत का है  बाज़ार,हर चीज़ यहां  है सस्ती,  
ज़माने के साथ चलूं ईश्क़ का बाज़ार हो जाऊं,

उससे है गर मुहब्ब्त तुझको तो सोचना क्या है, 
बेहतर है कि बस उसका ही तलबगार हो जाऊं,

गल्तियां मेरी  नहीं हैं फ़िर भी अब बहुत सोचूं, 
बड़ा हुं घर का अब मैं ही समझदार हो जाऊं, 


ईश्क़ के सभी रिश्ते यहां कच्चे धागों से बंधे हैं, 
मैंभी इस खेल का मुश्ताक़,फ़नकार हो जाऊं

Written By Mushtaque Ahmad Shah, Posted on 23.03.2023

प्रीत निभाने की सजा |
कुछ इस तरह मिली हमको ||
फरमान जुदाई का आ गया |
दो लफ्ज भी न कहे हमको ||

सदा सब का करें सम्मान यही कर्तव्य हमारा |
जिससे कभी ना हो अपना मेल मिलाप खारा ||
लेकिन जब भी स्वाभिमान पर आंच आ जाए |
दे दो उसका जवाब तुम तुरत करारा ||

बहुत हो चुके हैं जख्म |
अब तो ना कुरेदो ||
मांगा था मरहम ना दिया |
तो अब नमक ही दे दो ||

मोहब्बत तो यारो।
दो तरह से होती है ॥
कभी आपसी प्यार से होती।
कभी नफरत से होती है ॥
देख लो तुम जरा इतिहास रावण और सीता का।
जरा तुम गौर फरमाओ रावण और सीता का ॥
सीता राम का तो प्यार जगत विदित है।
करता रावण भी था प्यार लेकिन दिखाई नफरत देती है ||

प्यार के दो लफ्ज है तुमसे न कह सके ;
जब याद तेरी आयी तो आँसू न रुक सके।
मुद्दतो साथ रहे हम और तुम ;
न तुम कह सकी कुछ न हम कह सके||

Written By Shivang Mishra, Posted on 25.03.2023

धन्य हुई कोख़ जयवंता की,जन्मा प्रताप-सा तूर्य 
उदय हुआ उदय सिंह के महलों,तेजस्वी एक सूर्य !

नो मई सन पन्द्रह सो चालीस,था मंगलकारी वार 
सो-सो शेर की दहाड़-सी, अंगना  गूंजी किलकार ! 

वरछा,भाला,कृपाण कटारी से,थी बचपन से यारी 
कुम्भलगढ़ की ममतामयी माटी,थी प्राणों से प्यारी !

चढ़कर चेतक पर जब चलते,थम जाते तूफान भी 
टकराती थी जब तेग समर में,थर्राता आसमान भी!

मर-मिटने  लालायित थे सैनिक, भील औऱ मीना 
हर मुश्किल में होक़े निर्भय,रहते साथ तान सीना!

जब-जब हुआ अरी से सामना,हर बार धूल चटाई 
शीषों से धरती जाती थी पट,लहू पी सरि मदमायी!

कुछ कुलघाती,द्रोहियों ने,पीट पर खंजर भी घोपे
पर देश-धर्म के दीवानों ने,स्वाभिमानी  ध्वज रोपे ! 

पन्ना-पन्ना इतिहास का,राणा के रक्त से पोषित है,
नही जान जिसे हो प्यारी,करे भारत वो शोषित है !

बूंद-बूंद समर्पित लहू,मातृभूमि की निगहबानी में 
रहेगी गूंजती गाथा प्रताप की,नगर-गाँव ढाणी में !

Written By Govind Sarawat Meena, Posted on 10.05.2023

मां

SWARACHIT5080

Neeta Bisht
~ नीता बिष्ट (जौनपुरी)

आज की पोस्ट: 20 July 2023

मां ही है वो महान बच्चो की होती है जान
मां है एक फरिश्ता दुनियां का सबसे अनमोल रिश्ता
मां है जन्मदाता ईश्वर का बनाया प्यारा नाता
मां के बिन घर है सूना सूना कभी ना करना मां की बातो को अनसुना
मां ही है वो अवतार सबसे ज्यादा करती जो प्यार
मां है संसार बच्चो में भरती संस्कार
गुण हैं उसमे अनगिनत उसके प्यार की नही कोई कीमत
मां के प्यार का नही कोई मूल्य सभी समस्याओं को कर देती शून्य
मां की सेवा प्रथम धर्म धरती पर मिल जाए स्वर्ग
मां सिखाती ज्ञान की बाते फिर कैसे बच्चे मां को भूल जाते
बहन बहु बेटी सभी रूप है उसमे युक्त मां का प्यार ही मिल पाता मुफ्त
चुका ना सकोगे मां का कर्ज कब समझोगे अपना फर्ज
मेरी मां है मेरा गहना मां के बारे में अब ज्यादा क्या कहना।।

Written By Neeta Bisht, Posted on 20.07.2023

पुरुष

SWARACHIT5081

Amit Dogra
~ अमित डोगरा

आज की पोस्ट: 20 July 2023

पुरूष,
संस्कृति का दर्पण है

पुरूष
आत्मविश्वास का प्रतिनिधि है

पुरूष
कर्मठता का प्रतीक है

पुरूष
संघर्षशीलता का चित्रण है

पुरूष
आर्थिक परिस्थिति से जूझता
यौद्धा है

पुरूष
श्रीराम जैसा एक आदर्श है

पुरूष
श्रीकृष्ण जैसा सर्व क्लेश
नाश करने वाला है

पुरूष
नव जीवन को अंकुरित करने वाला है

Written By Amit Dogra, Posted on 20.07.2023

Disclaimer

कलमकारों ने रचना को स्वरचित एवं मौलिक बताते हुए इसे स्वयं पोस्ट किया है। इस पोस्ट में रचनाकार ने अपने व्यक्तिगत विचार प्रकट किए हैं। पोस्ट में पाई गई चूक या त्रुटियों के लिए 'हिन्दी बोल इंडिया' किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है। इस रचना को कॉपी कर अन्य जगह पर उपयोग करने से पहले कलमकार की अनुमति अवश्य लें।

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